नई दिल्ली: अयोध्या विवाद में मध्यस्थता कर रही कमेटी का कार्यकाल सुप्रीम कोर्ट ने 15 अगस्त तक बढ़ा दिया है. कमेटी की तरफ से सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई रिपोर्ट में विवाद के हल में ‘सकारात्मक प्रगति’ होने की बात कही गई थी. इसे देखते हुए कोर्ट ने कमेटी को काम पूरा करने के लिए 3 महीने का अतिरिक्त समय दे दिया.8 मार्च को कोर्ट ने सभी पक्षों से बातचीत कर हल निकालने के लिए पूर्व जज एफ एम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में 3 मध्यस्थों का एक पैनल भी बनाया था. कोर्ट ने कमेटी को काम पूरा करने के लिए 8 हफ्ते का वक्त दिया था. आज कमेटी ने और वक्त की मांग की, जिसे कोर्ट ने मान लिया.कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई फिलहाल दस्तावेजों के अनुवाद पर हुए विवाद के चलते अटकी है. कोर्ट ने सभी पक्षों को यूपी सरकार की तरफ से करवाए गए अनुवाद को देख कर अपनी सहमति बताने को कहा है. सुनवाई कर रही 5 जजों की संविधान पीठ का विचार था कि इसमें लगने वाले समय का इस्तेमाल बातचीत के ज़रिए किसी समाधान तक पहुंचने के लिए करना बेहतर होगा.कोर्ट का ये भी मानना था कि मामला करोड़ों लोगों की धर्मिक आस्था से जुड़ा है. ऐसे में इसे साधारण भूमि विवाद की तरह नहीं देखा जा सकता. मसले का कोई ऐसा हल निकालने की कोशिश होनी चाहिए, जिस पर सभी पक्षों की सहमति हो.जस्टिस एफ एम आई कलीफुल्ला – 2016 में रिटायर हुए सुप्रीम कोर्ट के जज फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला की छवि एक विद्वान और ईमानदार जज की रही है.श्री श्री रविशंकर – आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री पहले भी इस मामले में मध्यस्थता की कोशिश कर चुके हैं. हिंदू पक्ष के एक बड़े वर्ग के साथ मुस्लिम पक्ष में भी एक हद तक उनके लिए स्वीकार्यता है.श्रीराम पांचू – चेन्नई के बड़े वकील पांचू मध्यस्थता विशेषज्ञ माने जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट पहले भी उन्हें असम-नगालैंड सीमा विवाद समेत कुछ और मामलों में मध्यस्थता का ज़िम्मा सौंप चुका है5 जजों की संविधान पीठ की कार्रवाई बहुत थोड़ी देर के लिए चली. बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस ने कहा, “हमें कमेटी की तरफ से 7 मई को एक रिपोर्ट मिली है. हमने उसे पढ़ा है. कमेटी ने बताया है कि प्रक्रिया सकारात्मक तरीके से बढ़ रही है. विवाद का हल निकलने की उम्मीद है. कमेटी ने अपना कार्यकाल 15 अगस्त तक बढ़ाने की दरख्वास्त की है. हम इसे स्वीकार कर रहे हैं.8 मार्च को मध्यस्थ पैनल बनाते वक्त कोर्ट ने ये साफ कर दिया था कि बातचीत बंद कमरे में होगी, उसे गोपनीय रखा जाएगा. इस दौरान की जा रही बातों की मीडिया रिपोर्टिंग नहीं होगी. ऐसे में फैज़ाबाद में चल रही इस प्रक्रिया में पक्षकार क्या कह रहे हैं, ये सार्वजनिक नहीं हो सकता.कमेटी अब और 3 महीने तक विवाद का हल निकालने की कोशिश करेगी. अगर बातचीत सफल रहती है, उसमें कोई ऐसा हल निकलता है जो सबको स्वीकार हो तो कोर्ट उसे औपचारिक आदेश की शक्ल दे सकता है. अगर हल नहीं निकलता तो अदालती सुनवाई जारी रहेगी.
अयोध्या विवाद पर जारी रहेगी मध्यस्थता, SC ने कमेटी का कार्यकाल 3 महीने बढ़ाया
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