डॉक्टर कल्याणी कबीर
इंसान का महज इंसान होना ही काफी नहीं होता . बहुत जरुरी होता है कि वह इंसानियत का फर्ज़ निभाए. इस परिभाषा के तहत कौशल किशोर सिंह का नाम हमेशा सबसे ऊपर आएगा . आज के इस स्वार्थ से लिपटी मतलबी दुनिया में भी यदि कोई बिना किसी राजनीतिक मंच की समृद्धि के लालच में या प्रसिद्धि के लालच में मानवता की सेवा के लिए अपने हाथ आगे करता है तो ऐसे इंसान का हमारे बीच मौजूद होना आश्चर्य से कम नहीं.राष्ट्र संवाद पत्रिका और जमशेदपुर की धरती के लिए हमेशा यह बात गौरव की बात रहेगी कि इस ज़मीं पर कौशल किशोर सिंह जैसे महापुरुष भी हुए जिनके दरवाजे से आज तक कोई उदास नहीं लौटा . दरअसल समाज ऐसे ही लोगों के बलबूते अपने धमनियों की संवेदनशीलता को बचाकर रखता है .
मूलत : छपरा के रहने वाले कौशल किशोर सिंह के सामाजिक कार्यों की फेहरिस्त काफी बड़ी है . गरीब की बेटी का कन्यादान हो या बेटे की पढ़ाई ,वो हमेशा ऐसे मामलों में मदद करने के लिए आगे आते रहे हैं .पेशे से बिल्डर रहे के के सिंह का ह्रदय गंगा की तरह निश्छल और शुद्ध था . किसी की मदद करने से पहले वे उसकी जाति ,धर्म या सम्प्रदाय नहीं पूछते थे.उनके लिए सबसे बड़ा धर्म मानव की सेवा करना ही हुआ करता था. मानवता की सेवा करने वाले के के सिंह का ह्रदय विशाल गंगोत्री की तरह था जो सबों के दु:ख और पीड़ा को खुद में समाहित कर लेने में ही अपने जीवन की सार्थकता समझता था. जमशेदपुर शहर में बिल्डर के व्यवसाय को एक सम्मानीय और उत्कृष्ट मुकाम तक ले जाने वाले के के सिंह के अंदर भारतीय सभ्यता और परम्परागत मूल्यों के प्रति अगाध श्रद्धा थी . उनका मानना था कि भारत का अतीत बहुत ही समृद्ध और गौरवशाली है और हमारी नई पीढ़ी को चाहिए कि वो पूरी ईमानदारी और जिम्मेदारी के साथ उस गौरवशाली परंपरा का निर्वाहन करे और उसे आगे बढाए . इसी सोच के तहत उन्होंने योग गुरु रामदेव के पतंजलि योग पीठ की शाखा को जमशेदपुर में स्थापित किया और उसे जमाने — बढ़ाने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई . एक सच्चे देशप्रेमी थे के के सिंह इसलिए हर उस व्यक्ति को आगे बढ़ाते थे जिसके अंदर देश के लिए कुछ करने का जुनून दिख जाता था उन्हें . भारतीय मूल्यों और दर्शन की बात करने वाली हर संस्था की ये जी जान से मदद करते और उसे आगे बढ़ाते. रिश्तों में स्थायित्व बनाये रखें भी इनकी एक विशेस्ता थी .ये जिस किसी भी संस्था से जुड़ते उसी के होकर रह जाते . कदाचित इसलिए हर वो संस्था जिससे ये जुड़े वह आज भी शहर में पल्ल्वित और पुष्पित हो रही है और वो हर संस्था के साथ राष्ट्र संवाद पत्रिका इनकी ऋणी भी है . एक कामयाब बिल्डर की भूमिका में भी उन्होंने सिर्फ अपना फायदा ही नहीं देखा बल्कि समाज के भौतिक स्थिति की तरफ भी नज़र दौड़ाई .आज भी झारखण्ड के कई सड़क और पुल हैं जिनके निर्माण में इनकी भूमिका रही है. ग्रामीण इलाकों में भी छोटे छोटे पुल— पुलिया बनाकर इन्होंने उस इलाके में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर को सुधारने के प्रति अपनी संवेदनशीलता जाहिर की .
सही अर्थों में संत वही है जो किसी की भलाई उससे प्रतिफल पाने के लिए नहीं करता बल्कि इंसानियत के नाते करता हो . इस दृष्टिकोण से आदरणीय के के सिंह का नाम अग्रणी रहेगा . जीवन का गूढ़ रहस्य ही यही है कि माटी का ये तन है जो एक दिन माटी में मिल जाएगा . उस मिटटी में एकाकार होने से पहले जो समाज के लिए जी ले , सही मायने में वही ज्ञानी है . आदरणीय के के सिंह सही अर्थों में ज्ञानी थे और इस बात पर यकीं करते थे कि हर आत्मा में परमात्मा का निवास है. तभी तो दूसरों को खुशी देकर ही वो ईश्वर की भक्ति और आराधना का कार्य सम्पन्न मानते थे . अपनी इन्हीं विषेशताओं के कारण आज भी हर समाज उनका नाम आदर के साथ लेता है और नई पीढ़ी के युवा उन्हें अपना आदर्श .
सनातन धर्म के आग्रही आदरणीय के के सिंह अपने धर्म के प्रचार — प्रसार में भी खुलकर आगे रहे . अपने धर्म , आध्यात्म और परंपरा का पालन वो लकीर के फकीर की तरह किया करते थे . हिंदुत्व में गहरी आस्था रखने वाले पहरुए के के सिंह जी ने अपने बच्चों में भी यही संस्कार डाला. छ: पुत्रियों और एक पुत्र की परवरिश भी इस बात को ध्यान में रखकर की गई कि वे बड़े होकर अपने धर्म और रीति की जड़ों को मजबूत करेंगे . कई धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थाओं में संरक्षक और पदाधिकारी के पद पर रहे के के सिंह ने अपने सामर्थ्य के अनुसार उस संस्था को समृद्ध किया . ईश्वर में अगाध आस्था रखने वाले के के सिंह ने कई मंदिरों के निर्माण और पुनर्निर्माण में सहयोगात्मक रवैया अपनाते हुए मुक्त हृदय से मदद की . एक बिल्डर के रूप में अपनी भूमिका निभाने के पहले वे इक इंसान होने की भूमिका निभाना ज्यादा जरुरी समझते थे . अपने धर्म और अपनी पहचान को लेकर वो इतने संवेदनशील थे कि यदि कहीं इनके अधीन ठेकेदारी का काम चल रहा होता था तो पहले वहाँ के आस पास के मंदिरों को दुरुस्त करते थे फिर अपने व्यवसाय के काम को देखते थे . बनारस के रामजानकी मंदिर से लेकर बिहार — झारखण्ड के कई ऐसे मंदिर हैं जो इनके धार्मिक ह्रदय का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं . ईश्वर की सत्ता पर असीम विश्वास रखने वाले के के बाबू ऐसे सभी संस्थाओं का उद्दार करने में अग्रसर रहते थे जो सनातन धर्म और आध्यात्म की बातें प्रसारित करती थीं . ये जमशेदपुर में श्रीकृष्ण सिन्हा संस्थान , ब्रह्मर्षि विकास मंच ,रेड क्रॉस के पेट्रन ,भारत सेवक समाज , भारत स्वाभिमान ट्रस्ट , पतंजलि योग समिति और के के एजुकेशनल ट्रस्ट जैसे सामाजिक और शैक्षिक मंच से जुड़े थे . अमूमन देखा गया है कि समाज के प्रतिष्ठित उद्यमी और व्यवसायी सिक्कों की खनक में ही खो कर रह जाते हैं . के के सिंह इसका अपवाद थे . बिल्डर होने के बावजूद इन्होने सिर्फ धन सम्पति की मीनारें ही खड़ी नहीं कीं बल्कि सभ्यता और परंपरा की ज़मीं को मजबूत करने के लिए भी उतना ही प्रयास किया . आने वाले कई — कई वर्षों तक के के सिंह का नाम समाज सेवा , उद्यमिता और धर्म के क्षेत्र में एक मील के पत्थर की तरह जाना जाएगा .
उनके जन्मदिवस पर रेड क्रॉस भवन में रेड क्रॉस सोसायटी द्वारा मेघा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है साथ ही साथ जमशेदपुर के दर्जनों संस्थाओं के द्वारा कई कार्यक्रम भी रखे गए हैं स्वर्गीय केके सिंह के पुत्र और ब्रह्मर्षि विकास मंच जमशेदपुर के अध्यक्ष विकास सिंह ने अपने आवास पर श्री राम चरित्र मानस अखंड पाठ का आयोजन आज से शुरू किया है जो कल संध्या 5:00 बजे तक चलेगा महा आरती के बाद प्रसाद ग्रहण का भी कार्यक्रम रखा गया है ब्रह्मर्षि विकास मंच के अध्यक्ष विकास सिंह ने रक्तदान शिविर के साथ साथ अखंड पाठ में भी शामिल होने का लोगों से किया है आग्रह कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए ब्रह्मर्षि विकास मंच जमशेदपुर रेड क्रॉस सोसायटी ,केके एजुकेशनल फाउंडेशन ट्रस्ट के पदाधिकारी लगे हुए हैं