अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल का 201वाँ सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न
मगही के पांच साहित्यकारों को मगही विभूषण से सम्मानित किया गया -‘मगही रत्न’ श्री राम रतन प्रसाद सिंह ‘रत्नाकर’
नई दिल्ली: विश्व मगही परिषद्, नई दिल्ली के तत्वावधान में रविवार, 15 दिसंबर 2024 को सायं 6 बजे अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल का 201वाँ सम्मेलन संपन्न हुआ। इस सम्मेलन का विषय “मगही साहित्य में लघुकथा और कविसम्मेलन ” पर केंद्रित था, जिसमें मगही साहित्य की लघुकथा विधा और मगही कविता की महत्वपूर्ण भूमिका पर गहन विचार-विमर्श किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत साहित्यकार महेंद्र प्रसाद देहाती जी के सरस्वती वंदना से हुआ मगही क्षेत्र में काम करने वाले पांच साहित्यकारों क्रमशः श्री नारायण प्रसाद पुणे महाराष्ट्र , कवि राजकुमार भागलपुर , श्री नरेंद्र प्रसाद सिंह नवादा , डॉ दिलीप कुमार पालीगंज पटना और महेंद्र प्रसाद देहाती , अरवल को विश्व मगही परिषद् के दूसरे सबसे बड़े सम्मान मगही विभूषण से सम्मानित किया गया
इस महत्वपूर्ण आयोजन में जिला नवादा (बिहार) के जाने-माने साहित्यकार, पत्रकार, मगही मनीषी और ‘मगही रत्न’ श्री राम रतन प्रसाद सिंह ‘रत्नाकर’ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ सम्मेलन में मगही साहित्य के अन्य प्रमुख हस्तियों का भी स्वागत किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालमणि विक्रांत जी ने की। कार्यक्रम का संचालन और तकनीकी सहयोग प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र नारायण, अंतरराष्ट्रीय महासचिव, विश्व मगही परिषद् द्वारा किया गया। अति विशिष्ट अतिथि के रूप में सनातन संस्कृति के ध्वज वाहक,रससिद्ध कवि एवं सिद्ध संत परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज,जो ‘दुर्गा चरित मानस’ महाकाव्य के साथ-साथ दर्जनों ग्रंथ सृजन कर राष्ट्र की सेवा में जुड़े हैं।दस लाख से भी ऊपर इनके शिष्य-शिष्या अपनी संस्कृति को जगाने में जुटे हैं। मगही गीत सम्राट श्री जयप्रकाश बाबू भी मगध गौरव गीत गाकर अपनी उपस्थति दर्ज कराई ।
सम्मेलन में देश-विदेश से दो दर्जन से अधिक विश्व मगही परिषद् के कार्यकारिणी सदस्य और मगही प्रेमी उपस्थित रहे। सम्मेलन में भाग लेने वालों में मगही के प्रमुख कवि, कवयित्री, लोकगायक, समाजसेवी, साहित्यकार और पत्रकार शामिल हुए। नवादा जिले से हिंदी और मगही के साहित्यकार श्री नरेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ. बालेंदु कुमार बमबम , डॉ. शिवेंद्र नारायण सिंह, अनमोल कुमारी और वर्षा कुमारी की विशेष उपस्थिति रही।
पटना जिले से समाजसेवी सह साहित्यकार पूजा ऋतुराज, शेखपुरा से चुनचुन पांडेय, दिल्ली से समाजसेवी श्रीमंती रंजना कुमारी , भागलपुर से साहित्यकार, कवि और गीतकार राजकुमार, लखीसराय से डॉ. राजेंद्र राज, जहानाबाद से हिंदी-मगही साहित्यकार सह कवि श्री रविशंकर शर्मा, अरवल जिला से महेंद्र प्रसाद देहाती, नालंदा से श्री जयराम देवसपुरी और श्री रंजीत दुधु, धनबाद से डॉ. सत्यनारायण प्रसाद टंडन सहित अन्य राज्यों से भी मगही प्रेमी शामिल हुए।
प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र नारायण ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस सम्मेलन में मगही साहित्य की लघुकथा विधा और मगही कविता पर विशेष ध्यान दिया गया। उन्होंने कहा कि लघुकथा मगही साहित्य में संक्षिप्तता की शक्ति का अद्वितीय प्रमाण है, जो गहन अर्थ को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करती है। इस तरह के आयोजन से मगही भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित कराने के प्रयासों पर बल मिलेगा।
सम्मेलन के समापन पर प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र नारायण ने मगही भाषा के विकास के लिए मगध के साहित्यकारों को सम्मानित करने को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि भविष्य में भी इस प्रकार की गोष्ठियाँ आयोजित की जाएँगी, ताकि मगही भाषा के विकास और संवर्धन के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
विश्व मगही परिषद् के इस प्रयास से मगही भाषा को सम्मान दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे, जिससे मगही भाषा का संवैधानिक दर्जा प्राप्त करने का सपना जल्द ही साकार हो सके।