बीजेपी विरोध के नाम पर कांग्रेस को लाइन मार रहे हैं क्षेत्रीय दल, इतरा रही है कांग्रेस
प्रेम कुमार
नई दिल्ली। 2019 में कांग्रेस के लिए क्षेत्रीय दलों का प्यार उमर पड़ा है। सबको चाहिए कांग्रेस का साथ। बगैर ‘हाथ’ के खुद उन्हें अपने हाथ पर भरोसा नहीं दिख रहा है। ‘बीजेपी विरोध’ का सब्जबाग दिखाकर ये क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस को लाइन मार रही हैं। मगर, कांग्रेस ‘बीजेपी विरोध’ के अपने स्वाभाविक सौन्दर्य पर इतरा रही है। वह किसी को तवज्जो देने को तैयार नहीं है।
टीएमसी को भी चाहती है कांग्रेस के समर्थन का श्रृंगार
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की भावना भी अरविन्द केजरीवाल जैसी ही है। वह भी कांग्रेस को अपने साथ जोड़ने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। फर्क थोड़ा ये है कि बंगाल में टीएमसी का श्रृंगार बढ़ा सकती है कांग्रेस। उसके पास बीजेपी विरोध वाला ‘सौन्दर्य क्रीम’ पहले से है। टीएमसी इसे आजमाती भी रही है। बस टीएमसी की चाहत है कि कांग्रेस भी उसके सौन्दर्य क्रीम का इस्तेमाल करे। दोनों बहनें साथ-साथ जब इस क्रीम को लगाकर पश्चिम बंगाल में घूमेंगी, तो बात ही कुछ अलग होगी। मगर, कांग्रेस दुविधा में है कि कहीं एक साथ एक ही क्रीम लगाकर घूमने से नुकसान न हो जाए। वैसे भी ममता बनर्जी दीदी वाला रुतबा छोड़ने को तैयार नहीं होंगी। तो बेवजह उनकी धौंसपट्टी क्यों सहना। कांग्रेस जानती है कि दीदी को उनका साथ अधिक जरूरी है। इसलिए क्यों न इस मौका थोड़ा फायदा उठा लिया जाए।
यूपी में कांग्रेस को महसूस हुआ अपना ‘अपमान’
उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी गठबंधन ने कांग्रेस के लिए एकतरफा दो सीटें छोड़कर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया था। यह बात कांग्रेस को बिल्कुल हजम नहीं हुई। उसने तुरंत ही इसका उपचार निकाला। प्रियंका गांधी के रूप में नैचुरल आयुर्वेदिक क्रीम के साथ कांग्रेस ने जब यूपी के चुनाव मैदान में उतरने की ठानी, तो एसपी-बीएसपी को अपने ‘बीजेपी विरोध’ वाली क्रीम को ‘हवा’ लगने का डर पैदा हो गया। वह कांग्रेस को पटाने में जुटी हुई है कि मैं भी वही, तू भी वही। काहे की नाराज़गी सखी।
एसपी-बीएसपी के साथ आरएलडी को जोड़ते हुए अखिलेश यादव ने जब अपने गठबंधन का सौन्दर्य निखारा, तो वे यह कहना नहीं भूले कि कांग्रेस भी उनके ही कुनबे की है। महागठबंधन का हिस्सा है। अब कांग्रेस के चेहरे पर हंसी आयी है। मगर, वह कुनबे में अपने रुतबे के साथ ही लौटना चाहती है अन्यथा उसका भाव यही है कि मेरा बीजेपी विरोधी सौन्दर्य किसी से कम नहीं।
कई राज्यों में परवान चढ़ रहा है ‘बीजेपी विरोधी’ सौन्दर्य
तमिलनाडु, बिहार, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी कांग्रेस के साथ बीजेपी विरोधी गठबंधन यानी बीजेपी विरोधी सौन्दर्य परवान चढ़ चुका है। कर्नाटक जैसे राज्य में यह तय रहने के बावजूद कि जेडीयू और कांग्रेस मिलकर इस ब्यूटी कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेंगी, अब तक सीटों के तालमेल की रूपरेखा सामने नहीं आ पायी है। कांग्रेस वहां जेडीयू से अधिक से अधिक कुर्बानी मांग रही है। कांग्रेस खुद कुर्बानी देने को तैयार नहीं दिख रही है।
जिन राज्यों में कांग्रेस का दबदबा है वहां कांग्रेस किसी सहयोगी दल को घास डालने को तैयार ही नहीं है। राजस्थान में सभी 25 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कांग्रेस कर चुकी है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी रुख वैसा ही है। यानी कांग्रेस इस बात की चिन्ता करती ही नहीं दिख रही है कि बीजेपी विरोधी मतों का बिखराव न हो। इसकी वजह ये है कि कांग्रेस को यह बात साबित नहीं करना है कि वह बीजेपी विरोधी है। उसे विश्वास है कि बीजेपी विरोधी मत उसे मिलेंगे ही, मगर क्षेत्रीय दलों को यह बात साबित करने के लिए कांग्रेस का साथ चाहिए।
कांग्रेस को नैचुरल ब्यूटी पर भरोसा
कांग्रेस की स्वाभाविक बीजेपी विरोधी स्थिति यानी नैचुरल ब्यूटी ही उसकी मोलभाव की क्षमता को गैर बीजेपी दलों में बढ़ाए हुए है। ऐसे में अब कांग्रेस पर बीजेपी के साथ सांठगांठ यानी अवैध संबंध के हास्यास्पद आरोप का सिलसिला भी शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी नेता अरविन्द केजरीवाल ने ऐसा करके इस फ्रस्ट्रेशन का इजहार किया है। एक बात 2019 में तय हो चुकी लगती है कि क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस की ज़रूरत है और इसके लिए वह बीजेपी विरोध का नारा देकर कांग्रेस का साथ मांग रही है। मगर, क्या कांग्रेस की इन दलों के प्रति बेरुखी खुद कांग्रेस के हित में हैं? ये लाख टके का सवाल है।
बीजेपी विरोध के नाम पर कांग्रेस को लाइन मार रहे हैं क्षेत्रीय दल, इतरा रही है कांग्रेस
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