अफसरशाही ,अपराध व सियासत की तंदूर में भस्म हो गई प्रीति दुबे?भाग 1
पद और पैसे के नशे में मदहोश अधिकारी और नेता के लिए अब लगता है लोक लाज जैसी कोई चीज मायने नहीं रखती थोड़ा सा पैसा आते ही पद की रसूख जाग उठती है और पद मिलते ही सुरा सुंदरी को पाने की हवस जाग उठती है पैसे और पद के जोर पर वह इसे आसानी से हासिल कर लेते हैं लेकिन कई बार यह हवस उन्हें कहीं का नहीं छोड़ती प्रीति दुबे की संदेहास्पद मौत झारखंड में इसका उदाहरण बनी जमशेदपुर एमजीएम थाना कांड के पूर्णावृत्ति से इनकार नहीं किया जा सकता है
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के विधानसभा क्षेत्र स्थित बिरसा नगर थाना अंतर्गत वास्तु विहार कॉलोनी बारीडीह में प्रिया दुबे की संदेहास्पद मौत इसी की ओर इशारा करती है जमशेदपुर में पदस्थापित एक अधिकारी , एक नेता और प्रीति दुबे के मकान मालिक के ऊपर ऐसा ही नशा चढ़ा कि यह तीनों मिलकर दुबे की अस्मत से खेलने लगे? उनकी करतूतों की शिकार पूर्व नेत्री प्रीति दुबे हो गई? प्रीति दुबे की संदेहास्पद मौत ने मामले को मामले को गंभीर बना दिया है प्रीति दुबे के हाई प्रोफाइल होने के कारण मामले को रफा दफा करने की पूरी कोशिश जारी है प्रीति दुबे की कहानी दरअसल सियासी तंदूर में भस्म होती लड़कियों की कहानी है अधिकारियों और नेताओं के संपर्क में रहने वाली औरतों के लिए भी प्रीति दुबे की मौत एक चेतावनी है
प्रीति दुबे ने खुदकुशी से पहले एक सुसाइड नोट लिखा जिसे कथित तौर पर उसने खुद जलाया सुसाइड नोट पर पुलिस ने गंभीरता से जांच करना मुनासिब नहीं समझा की सुसाइड नोट प्रीति दुबे ने ही जलाई या किसी और ने? सवाल उठता है की एक दबंग किस्म की हाई प्रोफाइल महिला किसी नेता ,अधिकारी की विकृत मानसिकता के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर हुई?
कथित रूप से आत्महत्या के पूर्व चंद घंटे पहले किसके साथ वह कॉलोनी से बाहर निकली थी? किसकी गाड़ी में किससे मिलने गई थी?
चुके मामला अफसरशाही और नेताओं से जुड़ा हुआ है तो सियासत भी होगा स्थानीय निवासियों के साथ साथ विभिन्न राजनीतिक दल के लोगों ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और इसकी निष्पक्ष जांच कराने की बात कही है
प्रीति दुबे के बेटे से राष्ट्र संवाद ने जो बात की उससे स्पष्ट था कि प्रीति दुबे भीतर से हिल चुकी थी क्योंकि उसके साथ विश्वासघात किया गया उसे बाहर होटलों में भेजा जाने लगा था जब उसके बेटे ने कहा कि उस अधिकारी ने हमें 80000 से ₹100000 दो महीना में देता था मैं खुद जाकर लाता था फिर उस अधिकारी पर हाथ डालने से क्यों कतराने लगे हैं जाँच अधिकारी ?किसके दबाव में ……
*क्रमशः*