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    Home » इस तरह तबाह किया आतंक का गढ़ बालाकोट कैंप
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    इस तरह तबाह किया आतंक का गढ़ बालाकोट कैंप

    Devanand SinghBy Devanand SinghFebruary 27, 2019No Comments3 Mins Read
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    नई दिल्ली: बालाकोट के आतंकी ठिकाने पर हमला कर भारतीय वायुसेना ने जैश ए मुहम्मद की कमर तोड़ दी है. हमले में न सिर्फ जैश के लगभग 25 टॉप कमांडर समेत 300 से अधिक आतंकी मारे गए, बल्कि हथियारों का जखीरा भी बर्बाद हो गया.जैश ए मुहम्मद के लिए यह आतंकियों को हथियारों की एडवांस ट्रेनिंग देने का प्रमुख कैंप था. आइएसआइ और पाकिस्तान सेना के संरक्षण में चलने वाले आतंकी ट्रेनिंग कैंप में जैश के अलावा हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों को भी ट्रेनिंग दी जाती थी.हवाई हमले के लिए बालाकोट को चुने जाने की वजह बताते हुए सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अजहर मसूद की मुख्य आतंकी गतिविधियों का केंद्र यही था. 1999 में कंधार विमान अपहरण के एवज में रिहा किए जाने के बाद मसूद ने जैश ए मुहम्मद के आतंकियों की ट्रेनिंग के लिए बालाकोट को चुना था.तब से यहां आतंकियों की ट्रेनिंग का सिलसिला अभी तक जारी है. परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल में भले ही जैश ए मुहम्मद को प्रतिबंधित कर दिया गया था, पर इसके आतंकी शिविर का इस्तेमाल हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों की ट्रेनिंग के लिए होता रहा.एजेंसियों के मुताबिक बहावलपुर के मदरसे में बच्चों और युवाओं को कट्टरता का पाठ पढ़ाकर आतंकी बनने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाता है, लेकिन असली ट्रेनिंग उन्हें बालाकोट में ही दी जाती थी. जैश ए मुहम्मद के लिए बालाकोट के ट्रेनिंग कैंप की अहमियत को इस बात से समझा जा सकता है कि मसूद अजहर का सगा बहनोई मौलाना यूसुफ अजहर उर्फ उस्ताद गौरी के हाथ में इसकी कमान थी.मसूद अजहर को जेल से छुड़ाने के लिए यूसुफ अजहर ने ही इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण किया था. कुंहर नदी के तट पर बालाकोट शहर से 20 किलोमीटर दूर इस कैंप में आत्मघाती हमले से लेकर समुद्री रास्ते से हमले की भी ट्रेनिंग दी जाती थी.अत्याधुनिक हथियारों की ट्रेनिंग के लिए यहां फायरिंग रेंज भी था और आतंकियों के लिए जिम की सुविधा भी थी. पाकिस्तान सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी यहां आतंकियों को ट्रेनिंग देते थे. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड अब्दुल राशिद हाजी को भी ट्रेनिंग इसी कैंप में दी गई थी.यही नहीं, अलग-अलग हिस्से में सक्रिय आतंकियों के सुरक्षित संपर्क के लिए एक सेंटर भी बना रखा था. इसे जैश का अल्फा-तीन सेंटर कहा जाता था. यहीं से आतंकियों को हमले के लिए संदेश भेजे जाते थे और उनके बीच समन्वय का काम किया जाता था.एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पुलवामा हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक के डर से आतंकियों को पीओके के लांच पैड से हटा लिया गया था और उन्हें इसी कैंप में रखा गया था. उन्हें भारत में अगले आतंकी हमले के लिए ट्रेनिंग दी जा रही थी. खैबर पख्तूनख्वा में स्थित जैश का यह अड्डा सामरिक रूप से काफी अहम माना जाता था.पीओके से बाहर पाकिस्तान की सीमा के भीतर होने के कारण इसे भारतीय आक्रमण से सुरक्षित माना जाता था. वहीं कश्मीर में नियंत्रण रेखा से इसकी दूरी भी बहुत ज्यादा नहीं थी. लेकिन पहली बार भारतीय वायुसेना ने पीओके के उस पार पाकिस्तान के भीतर आतंकी ठिकाने को ध्वस्त कर दिया.

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