होली बुराई पर अच्छाई की जीत और आपसी प्रेम का प्रतीक है – अब्दुर रकीब
संवाददाता/जामताड़ा
पसमांदा नेता मौलाना अब्दुर रकीब अंसारी कहते हैं भारत में त्योहार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं होते, बल्कि ये आपसी प्रेम, एकता और सद्भाव को भी सुदृढ़ करने का जरिया हैं। इस वर्ष होली का रंगों भरा पर्व और रमजान का पवित्र महीना एक साथ आने से यह अवसर और भी खास बन गया है। उन्होंने कहा होली बुराई पर अच्छाई की जीत और आपसी प्रेम का प्रतीक है। यह पर्व हमें न केवल सामाजिक भेदभाव को मिटाने का संदेश देता है, बल्कि सभी को एकता के सूत्र में पिरोता भी है। होली में होलिका दहन बताता है कि यह बुराई के अंत और सत्य की विजय का प्रतीक है। रंगों की होली- इस दिन लोग आपसी गिले-शिकवे भुलाकर प्रेमपूर्वक रंग खेलते हैं और भाईचारे को मजबूत करते हैं। हालाँकि, यह भी आवश्यक है कि यह त्योहार मर्यादा, सहमति और संयम के साथ मनाया जाए। किसी पर जबरन रंग डालना, हानिकारक रसायनिक रंगों का उपयोग करना, नशे में अनुशासनहीनता फैलाना या महिलाओं को असहज महसूस कराना अनुचित है। मौलाना ने कहा रमजान इस्लाम का सबसे पवित्र महीना माना जाता है, जिसमें रोजे रखे जाते हैं, आत्मसंयम का पालन किया जाता है, गरीबों की मदद की जाती है और अधिक से अधिक इबादत की जाती है। यह महीना संयम, धैर्य, सहिष्णुता और समाज सेवा की प्रेरणा देता है। रमजान का वास्तविक सदेश यही है कि समाज में हर व्यक्ति की परवाह की जाए और गरीबों, जरूरतमंदों और वंचितों की मदद की जाए। यही वजह है कि इस महीने को दान-दक्षिणा और जकात देने का सर्वोत्तम समय माना जाता है। उन्होंने कहा इस वर्ष होली जुमे के दिन पड़ रही है। ऐसे में यह आवश्यक है कि सभी समुदाय आपसी समझदारी और सौहार्द बनाए रखें। अखिल भारतीय पसमांदा मुस्लिम संघ हिंदू और मुस्लिम समाज के सभी लोगों से अपील करता है कि मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में आपसी सहमति से जुमे की नमाज का समय 2:00 बजे से 2:30 बजे तक निर्धारित किया जाए ताकि किसी भी समुदाय को कोई असुविधा न हो और दोनों पर्व शांति और सद्भाव के साथ संपन्न हो सके।