त्वरित टिप्पणी:महाकुंभ भगदड़ में मौतों का जिम्मेदार कौन?
कुंभ स्नान करने गए मुसाबनी निवासी शिवराज गुप्ता का भगदड़ से मौत*
देवानंद सिंह
प्रयागराज, 29 जनवरी : महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली। इस दुखद हादसे से यह सवाल उठता है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
मजे की बात यह है कि यह हादसा ऐसी स्थिति में हुआ, जब सरकार के पास लाखों लोगों के पहुंचने की जानकारी थी, जिला प्रशासन भी पूरी तरह से सतर्क था, लेकिन फिर भी यह हादसा कैसे हो गया? क्या प्रशासनिक लापरवाही, सुरक्षा के अभाव या भीड़ को नियंत्रित करने में विफलता इसके कारण बने?
ऐसे मौकों पर राजनीतिक दल हमेशा अपनी जिम्मेदारियों से भागने लगती हैं, वो केवल एक-दूसरे को घेरने का प्रयास करती हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि सुरक्षा प्रबंधों में ढील और असंवेदनशीलता ने इस भयावह हादसे को जन्म दिया। ऐसे में, समय रहते सुधार और जिम्मेदारी तय नहीं की गई तो ऐसे हादसे और घट सकते हैं।
यदि, प्रशासन ने समय रहते भीड़ प्रबंधन, रास्तों का सही ढंग से विभाजन और लोगों की आवाजाही पर कड़ी निगरानी रखने जैसे पर्याप्त इंतजाम किए होते तो इस तरह की त्रासदी से बचा जा सकता था। एंट्री पॉइंट्स की बंदी, भीड़ को नियंत्रित करने की सही योजना और सुसंगत मार्गदर्शन के अभाव में यह दुर्घटना हुई। क्या प्रशासन ने भगदड़ के संभावित खतरे को गंभीरता से लिया था? क्या पर्याप्त सुरक्षा उपाय और पुलिस बल की तैनाती की गई थी? इन सवालों के उत्तर प्रशासन को देने होंगे।
धार्मिक आयोजनों के दौरान सुरक्षा के प्रबंधों में कई बार ढिलाई देखने को मिलती है। महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में, जहां हर दिन लाखों लोग एकत्र हो रहे हैं, प्रशासन की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। इसके बावजूद अक्सर यह देखा गया है कि धार्मिक आयोजनों के आयोजक और प्रशासन, श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने और उनकी सुरक्षा के मामलों में लापरवाह होते हैं। जब एक स्थान पर इतनी बड़ी संख्या में लोग होते हैं, तो एक छोटी सी लापरवाही भी बड़े हादसे का रूप ले लेती है।
महाकुंभ न केवल एक धार्मिक अवसर है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस मेले के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, जिससे न केवल धार्मिक गतिविधियां संचालित होती हैं, बल्कि व्यवसाय, होटल, परिवहन और अन्य सेवाओं का भी भारी लाभ होता है, लेकिन जब सुरक्षा की कमी होती है या प्रशासन की उपेक्षा होती है तो इस तरह के हादसों के कारण पूरा आयोजन सवालों के घेरे में आ जाता है। क्या प्रशासन ने केवल आर्थिक लाभ पर ध्यान केंद्रित किया और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को नजरअंदाज किया? यह सवाल महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि सुरक्षा प्राथमिकता होती, तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था।
इस घटना के बाद प्रशासन को गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है। भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए, सुरक्षा प्रबंधन में सुधार किए जाने चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाए कि श्रद्धालुओं को हर कदम पर दिशा-निर्देश दिए जाएं और भीड़ को व्यवस्थित तरीके से नियंत्रित किया जाए। साथ ही, अधिक संख्या में पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की जाए। सुरक्षा उपायों में हर किसी की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए, तभी आने वाले दिनों में महाकुंभ में ऐसे हादसों से बचा जा सकता है।
*कुंभ स्नान करने गए मुसाबनी निवासी शिवराज गुप्ता का भगदड़ से मौत*
मुसाबनी। प्रयागराज कुंभ में गए मुसाबनी सुंदर नगर के रहने वाले शिवराज गुप्ता का संगम तट में भगदड़ मचने से मौत हो गया। बताया जाता है कि शिवराज गुप्ता जो पूर्व में कॉपरेटिव बैंक में कार्य करते थे, वह और उनके साथ 14 श्रद्धालुओं का एक दल 15 सीटर वाहन से 25 जनवरी की सुबह मुसाबनी से प्रयागराज के प्रस्थान किया था, और यह सभी बनारस अयोध्या होते हुए मंगलवार की शाम प्रयागराज कुंभ मेला क्षेत्र में पहुंचे थे। परंतु भीड़ के कारण ट्रैफिक जाम में फंस गए और इन्हें अपनी गाड़ी छोड़कर लगभग 8 किलोमीटर पैदल चल कर संगम तट पहुंचे। देर रात अचानक भगदड़ मचने के कारण व अपने टीम से बिछड़ कर भीड़ में दब गए जिससे उनकी मौत हो गयी। शिवराज गुप्ता की उम्र लगभग 64 वर्ष थी। उनके साथ कुंभ स्नान के लिए गए अन्य लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है मृतक शिवराज गुप्ता अपने पीछे पत्नी एक बेटा और एक बेटी छोड़ गए हैं। सुंदर नगर स्थित उनके आवास पर लोगों का तांता लगा हुआ है ।उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है।