शहीद पत्रकारों को समर्पित होगा ‘राष्ट्र संवाद’ का रजत जयंती समारोह
लोकतांत्रिक राष्ट्र में पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है या यूँ कहें कि पत्रकारिता के बिना लोकतंत्र का हर सिद्धांत अधूरा है। लोकतंत्र का उत्थान तभी संभव है जब पत्रकारिता अपने दायित्वबोध को समझता हो ।
पत्रकारिता की अलग-अलग विधाओं में खोजी पत्रकारिता की एक अलग विशेषता है। यहाँ खोजी पत्रकारिता की बात करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि मैंने भी अपने पत्रकारिता कैरियर की शुरुआत खोजी पत्रकारिता से ही की थी। मेरे लिए और सुधी पाठकों के लिए यह अत्यंत गौरव का विषय इसीलिए भी है, क्योंकि आपका अपना ‘राष्ट्र संवाद’ रजत जयंती वर्ष मनाने जा रहा है।
‘राष्ट्र संवाद’ का यह रजत जयंती समारोह उन शहीद पत्रकारों को समर्पित रहेगा, जिन्होंने पत्रकारिता करते हुए अपने प्राण गंवाए। राष्ट्र संवाद का मानना है कि जो देश और समाज अपने शहीदों को विस्मृत कर दे उसे इतिहास कभी क्षमा नहीं करता। हम पत्रकार ही हैं जो हाथों में अस्त्र-शस्त्र की भांति कलम थामे राष्ट्र की एकता ,अखंडता, भाईचारे और संस्कृति की रक्षा के लिए अथक प्रयासरत रहते हैं। स्थिति – परिस्थिति कितनी भी अनुकूल – प्रतिकूल हो हम सदैव एक सेतु की भूमिका में शासन और प्रजा के बीच वैचारिक योद्धा के रूप में कार्य करते हैं । कभी-कभी यह पथ जोखिम और चुनौतियों से भरा होता है और इस संघर्ष में कई बार पत्रकारों को प्राणों की भी आहुति देनी पड़ती है । इसलिए इस बार ‘राष्ट्र संवाद’ के रजत जयंती विशेषांक को हम शहीद पत्रकारों को ही समर्पित करेंगे और एक भागीरथी प्रयास करेंगे कि हम उन सभी कलम के सिपाही ,शहीद पत्रकारों के समर्पण और शहादत से आपको परिचित कराएं , जिन्होंने पत्रकारिता के मूल्यों की रक्षा करते हुए अपने प्राण गंवाए।
हमारा प्रयास ऐसे महान पत्रकारों के परिजनों को भी सम्मानित करने का रहेगा। मैं आप सबसे भी निवेदन करना चाहूंगा कि अगर आपके पास ऐसे किसी शहीद पत्रकारों के बारे में जानकारी हो तो [email protected]
व्हाट्सएप नंबर 9431179542
हमें अवगत कराने की कृपा करें, जिससे हम उनके परिजनों को सम्मानित कर सकें।
डॉक्टर कल्याणी कबीर की इन पंक्तियों के साथ
*कृतज्ञ हैं हम सभी उनके शहादत के समक्ष*
*कलम हाथ से न छोड़ा जिन्होंने सांस के रूकने तलक* …….
*आपका*
*देवानंद सिंह, संपादक*
*राष्ट्र संवाद*।