Close Menu
Rashtra SamvadRashtra Samvad
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • होम
    • राष्ट्रीय
    • अन्तर्राष्ट्रीय
    • राज्यों से
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
      • ओड़िशा
    • संपादकीय
      • मेहमान का पन्ना
      • साहित्य
      • खबरीलाल
    • खेल
    • वीडियो
    • ईपेपर
    Topics:
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Home » मणिपुर में अशांति की पुनरावृत्ति: लोकतंत्र-जातीयता और राज्य की विफलताओं का समवेत प्रतिबिंब
    Breaking News Headlines जमशेदपुर संपादकीय

    मणिपुर में अशांति की पुनरावृत्ति: लोकतंत्र-जातीयता और राज्य की विफलताओं का समवेत प्रतिबिंब

    News DeskBy News DeskJune 10, 2025No Comments7 Mins Read
    Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Share
    Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link

    देवानंद सिंह
    मणिपुर एक ऐसा राज्य है, जो पिछले दो वर्षों से जातीय हिंसा, प्रशासनिक विफलताओं और सामाजिक विभाजन के गंभीर संकट से गुजर रहा है। एक बार फिर मणिपुर उथल-पुथल का केंद्र बना हुआ है। शनिवार की रात इंफाल और आसपास के क्षेत्रों में भड़की हिंसा, इंटरनेट सेवाओं की बंदी, धारा 163 का लागू किया जाना, और विरोध प्रदर्शनों पर रोक, इन घटनाओं ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि मणिपुर की राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता अभी भी नाजुक दौर से गुजर रही है। इस बार हिंसा की चिंगारी बनी मैतेई संगठन अरामबाई तेंगगोल के एक नेता, कानन सिंह की गिरफ्तारी, जिसे लेकर राज्य में भारी जनाक्रोश देखा गया। इन घटनाओं ने न केवल राज्य में अशांति का नया दौर शुरू किया है, बल्कि यह भी दर्शाया कि केंद्र और राज्य की सरकारें अभी तक इस संकट की मूल जड़ों को समझने और हल निकालने में विफल रही हैं।

    मणिपुर का जातीय संघर्ष कोई नया विषय नहीं है। मई 2023 में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच भड़की हिंसा के बाद राज्य सामाजिक और राजनीतिक रूप से दो स्पष्ट खेमों में बंट गया था। इसकी पृष्ठभूमि में मैतेई समुदाय की वह मांग थी, जिसमें वे स्वयं को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलवाने के लिए उच्च न्यायालय और सरकार से अनुरोध कर रहे थे। हालांकि, यह मांग मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में बसे कुकी और अन्य आदिवासी समुदायों को उनके आरक्षण अधिकारों पर संभावित अतिक्रमण लगती है। इसके परिणामस्वरूप 3 मई 2023 को मणिपुर में भीषण हिंसा भड़की, जिसने अब तक 250 से अधिक जानें ले ली हैं और हज़ारों लोगों को विस्थापन के लिए मजबूर कर दिया।

    एक मैतेई संगठन के रूप में अरामबाई तेंगगोल को कुकी समुदाय विरोधी चरमपंथी संगठन के रूप में देखा जाता है। इस संगठन की गतिविधियों और कथित हिंसक भूमिका को लेकर पहले भी कई बार रिपोर्टें आ चुकी हैं। कानन सिंह की गिरफ्तारी को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या यह गिरफ्तारी कानून व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने की दिशा में उठाया गया कदम है, या फिर यह एक असंतुलन पैदा करने वाला राजनीतिक निर्णय? कानन सिंह की गिरफ्तारी के बाद इंफाल के क्वाकेइथेल और उरीपोक इलाकों में भड़के विरोध प्रदर्शनों ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि एक बड़े भावनात्मक और राजनीतिक घटनाक्रम का हिस्सा है। प्रदर्शनकारियों ने टायर और फर्नीचर जलाए, सड़कें अवरुद्ध की गईं और कुछ स्थानों पर आगज़नी की घटनाएं भी हुईं। राज्य सरकार द्वारा चार ज़िलों—इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल और काकचिंग में धारा 163 लागू कर दी गई और बिष्णुपुर ज़िले में कर्फ्यू का आदेश जारी किया गया।

    यह सब ऐसे समय में हुआ, जब मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इसी वर्ष फरवरी में इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में, यह सवाल उठता है कि जब राज्य में केंद्र का प्रत्यक्ष प्रशासन है, तब इतनी व्यापक अव्यवस्था क्यों? राज्य सरकार ने कानन सिंह की गिरफ्तारी के बाद हिंसा को रोकने के लिए इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, थौबल, बिष्णुपुर और काकचिंग जिलों में इंटरनेट सेवा को पांच दिनों के लिए बंद कर दिया है। सरकार का तर्क है कि सोशल मीडिया पर हेट स्पीच, अफवाहों और हिंसात्मक सामग्री के प्रसार से कानून व्यवस्था और बिगड़ सकती है, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या इंटरनेट बंद करना लोकतांत्रिक समाज में समस्या का समाधान है, या यह असहमति की आवाज़ों को दबाने की रणनीति बन गई है?

    भारतीय लोकतंत्र में इंटरनेट अब अभिव्यक्ति और सूचना का एक प्रमुख माध्यम है। मणिपुर जैसे संवेदनशील राज्य में बार-बार इंटरनेट बंदी लोगों के अधिकारों का हनन है और यह प्रशासनिक अक्षमता का द्योतक भी बनता जा रहा है। कानन सिंह की गिरफ्तारी एनआईए द्वारा की गई है और उन्हें गुवाहाटी ले जाया गया है। उन पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मोइरंगथेम अमित के घर पर हमले और एक सरकारी अधिकारी के अपहरण जैसे गंभीर आरोप हैं। लेकिन इन आरोपों के बावजूद यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उन्हें किस विधिक प्रक्रिया के तहत और किन सबूतों के आधार पर हिरासत में लिया गया है।

    इसके साथ ही 5 जून को कुकी नेशनल आर्मी के एक शीर्ष नेता कामगिंगथांग गंगटे की गिरफ्तारी भी की गई थी, जिन पर 2023 में एसडीपीओ चिंगथम आनंद की हत्या का आरोप है। दोनों समुदायों के प्रभावशाली नेताओं की गिरफ्तारी एक ओर जहां कानून की समानता को दर्शाती है, वहीं दूसरी ओर यह भी आशंका उत्पन्न होती है कि क्या यह कार्रवाई संतुलन बनाए रखने के लिए है, या फिर दोनों समुदायों को शांत रखने की रणनीति? मणिपुर की वर्तमान स्थिति किसी भी प्रकार से एक मजबूत राजनीतिक नेतृत्व का उदाहरण नहीं है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है, मुख्यमंत्री इस्तीफा दे चुके हैं और केंद्र सरकार की ओर से कोई स्पष्ट रोडमैप सामने नहीं आया है। विपक्षी नेता जयराम रमेश का यह सवाल कि क्या प्रधानमंत्री मणिपुर का दौरा करेंगे? मात्र राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि उस व्यापक उपेक्षा को उजागर करता है जो केंद्र द्वारा इस संवेदनशील राज्य के प्रति बरती जा रही है।

    ऐसे समय में, जब राज्य जल रहा है, केंद्र की चुप्पी और स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता, दोनों ही जनता में विश्वास की कमी को और बढ़ाते हैं। मणिपुर की स्थिति बताती है कि सिर्फ बल प्रयोग और निषेधाज्ञा से समस्याओं का समाधान नहीं होता, बल्कि एक समावेशी, संवाद-आधारित और संवेदनशील नीति की आवश्यकता है। मणिपुर का सामाजिक ताना-बाना बेहद नाजुक है। राज्य में मैतेई, कुकी, नागा और अन्य आदिवासी समुदायों के बीच ऐतिहासिक असहमतियां रही हैं। इन असहमतियों को राजनीतिक लाभ के लिए हवा देना, केवल अस्थायी सामरिक लाभ दे सकता है, लेकिन दीर्घकालिक शांति को नष्ट कर देता है।

    अरामबाई तेंगगोल की 10 दिन के बंद की अपील हो या कुकी संगठनों का 24 घंटे का हड़ताल, ये सब राज्य की आम जनता के लिए अभिशाप साबित हो रहे हैं। स्कूल, अस्पताल, परिवहन, व्यापार, सब कुछ ठप हो जाता है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित वे आम नागरिक होते हैं, जिनका इन संघर्षों से कोई सीधा सरोकार नहीं होता।मणिपुर को शांति की ओर ले जाने के लिए अब केवल प्रशासनिक आदेश और पुलिस बल पर्याप्त नहीं हैं। राज्य को एक बहुपरतीय नीति की आवश्यकता है। केंद्र सरकार को तत्काल कुकी और मैतेई प्रतिनिधियों के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए, जिसमें जनजातीय अधिकारों, भूमि अधिकारों और आरक्षण से जुड़े मसलों को खुले मन से सुना जाए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक स्वतंत्र जांच आयोग बनाया जाना चाहिए जो पिछले दो वर्षों की हिंसा, प्रशासनिक कुप्रबंधन और जातीय अत्याचारों की जांच कर सके।

    राहत शिविरों में रह रहे हजारों लोगों के पुनर्वास के लिए एक प्रभावी नीति बने, जिससे वे सुरक्षित माहौल में अपने घर लौट सकें। राष्ट्रपति शासन के बजाय मणिपुर में जल्द से जल्द लोकतांत्रिक सरकार का गठन हो, ताकि राज्य की जनता को जवाबदेह नेतृत्व मिल सके। कुल मिलाकर, मणिपुर की वर्तमान स्थिति न केवल राज्य के लिए, बल्कि भारतीय संघीय ढांचे और लोकतंत्र के लिए भी एक चेतावनी है। एक तरफ जहां भारत वैश्विक मंच पर लोकतंत्र और सहिष्णुता की बात करता है, वहीं देश के पूर्वोत्तर में एक राज्य लगातार हिंसा, अविश्वास और विघटन का शिकार हो रहा है। अगर, अब भी संवाद, संवेदनशीलता और समावेश की राह नहीं अपनाई गई, तो मणिपुर की आग धीरे-धीरे भारतीय लोकतंत्र के अन्य हिस्सों तक भी पहुंच सकती है। इसलिए मणिपुर को अब केवल कानून-व्यवस्था की दृष्टि से नहीं, बल्कि एक सामाजिक और राष्ट्रीय चुनौती के रूप में देखा जाना चाहिए, जिसका समाधान भी वैसा ही व्यापक और मानवीय हो।

    Share. Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Previous Articleगरीबी के साथ आर्थिक असमानता दूर करने का लक्ष्य हो
    Next Article अब मिस नहीं, मिसेज भी मचाएंगी धमाल, जमशेदपुर में पहली बार ‘सुपर मॉम’ कॉन्टेस्ट

    Related Posts

    एक्सएलआरआई में सुनिधि चौहान का यादगार लाइव कॉन्सर्ट, वलहल्ला-2025 के समापन पर थिरका पूरा जमशेदपुर

    November 18, 2025

    एक्सएलआरआई में सुनिधि चौहान का यादगार लाइव कॉन्सर्ट, वलहल्ला-2025 के समापन पर थिरका पूरा जमशेदपुर

    November 18, 2025

    एनडीए के लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं होगा नया कार्यकाल

    November 18, 2025

    Comments are closed.

    अभी-अभी

    एक्सएलआरआई में सुनिधि चौहान का यादगार लाइव कॉन्सर्ट, वलहल्ला-2025 के समापन पर थिरका पूरा जमशेदपुर

    एक्सएलआरआई में सुनिधि चौहान का यादगार लाइव कॉन्सर्ट, वलहल्ला-2025 के समापन पर थिरका पूरा जमशेदपुर

    एनडीए के लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं होगा नया कार्यकाल

    राशिफल

    संवाद 2025 का तीसरा दिन: सहयोग और सामुदायिक नेतृत्व रहा मुख्य आकर्षण

    टाटा कंपनी के संवेदक पर मजदूरों को हटाने का आरोप, यूथ इंटक ने उप श्रमायुक्त से की मुलाकात

    चतरा सांसद ने टंडवा एनटीपीसी प्रबंधन के अनियमितता पर खोला मोर्चा, वरीय अधिकारियों को संज्ञान लेने के निर्देश

    मौन अन्याय: झारखंड की रजत जयंती में कॉ. ए.के. रॉय की अनदेखी एक नैतिक विफलता क्यों है

    उपायुक्त ने दिए बिना अनुमति मशीन लगाने पर कार्रवाई के निर्देश

    विधानसभा अध्यक्ष ने राज्यपाल से की शिष्टाचार भेंट, स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने का आमंत्रण

    Facebook X (Twitter) Telegram WhatsApp
    © 2025 News Samvad. Designed by Cryptonix Labs .

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.