भारतीय उद्योग जगत के महानायक थे रतन टाटा
देवानंद सिंह
टाटा ग्रुप के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा के निधन के बाद पूरे देश में एक खालीपन सा आ गया है। एक दूरदर्शी औधौगिक नेतृत्व के रूप में देश के विकास में उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है। वह भारतीय उद्योग जगत के महानायक थे। उनकी नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता ने न केवल टाटा समूह को विश्वस्तरीय कंपनी बना दिया, बल्कि उन्होंने भारत के औद्योगिक और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके कार्यों का प्रभाव हमेशा महसूस किया जाता रहेगा और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
रतन टाटा ने 1991 से 2012 तक टाटा समूह की अध्यक्षता की। उनके नेतृत्व में, समूह ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विकास किया। उन्होंने टाटा मोटर्स के तहत नैनो कार का निर्माण किया, जिसे “सस्ती कार” के रूप में प्रस्तुत किया गया। यह एक ऐसा प्रयास था, जिसने भारतीय बाजार में परिवहन की पहुंच को तो बढ़ाया ही, बल्कि देश के आम आदमी तक सस्ती कार की पहुंच भी आसान बनाई। इसके अलावा, उन्होंने टाटा स्टील, टाटा पावर और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और विकास को प्रोत्साहित किया। रतन टाटा ने अपने कार्यकाल के दौरान वैश्विक स्तर पर टाटा ग्रुप का विस्तार भी किया। उन्होंने विभिन्न अधिग्रहणों के माध्यम से समूह को अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थापित किया, जैसे कि जगुआर-लैंड रोवर का अधिग्रहण। इन पहलों ने भारत को वैश्विक औद्योगिक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिया।
रतन टाटा का सामाजिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने हमेशा कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) पर जोर दिया। टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से, उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में अनेक परियोजनाओं का समर्थन किया। उनकी सोच यह थी कि व्यवसाय केवल लाभ कमाने के लिए नहीं होते, बल्कि समाज के उत्थान में भी उनकी जिम्मेदारी होती है।
टाटा मेडिकल सेंटर का निर्माण कैंसर के उपचार में अग्रणी है। उन्होंने हमेशा गरीब और वंचित वर्गों की सहायता के लिए प्रयास किए, जिससे उनके कार्यों ने लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाया।
रतन टाटा को एक ईमानदार और नैतिक व्यवसायी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने हमेशा नैतिकता और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी। उनके कार्यों में हमेशा परोपकार की झलक देखने को मिलती रही। उनका यह दृष्टिकोण न केवल टाटा समूह की संस्कृति को प्रभावित करता रहा है, बल्कि पूरे व्यवसाय जगत के लिए एक आदर्श स्थापित करता है।
रतन टाटा के निधन के बाद, उन्हें एक महान व्यवसायी, समाजसेवी और प्रेरणादायक औधौगिक नेतृत्व वाले शख्स के रूप में याद किया जाएगा। उनके द्वारा स्थापित नैतिक मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें एक अद्वितीय पहचान दी है। भारतीय उद्योग जगत में उनकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी और उनके विचार और कार्य हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।
रतन टाटा की उपलब्धियां और उनके सिद्धांत एक ऐसी विरासत हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनेंगी। उनके योगदान के कारण भारत न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हुआ, बल्कि एक नैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी एक बेहतर समाज की ओर अग्रसर हुआ। ऐसे व्यक्तित्व को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा और उनके विचारों और कार्यों की गूंज हमेशा हमारे साथ रहेगी।
टाटा ग्रुप का झारखंड के विकास में योगदान भी अद्भुत रहा है, क्योंकि टाटा ग्रुप ने झारखंड में जमशेदपुर जैसा शहर बसाकर झारखंड को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। इस तरह झारखंड के विकास में टाटा ग्रुप का योगदान तो अविस्मरणीय है। टाटा ग्रुप ने 20वीं सदी की शुरुआत में जमशेदपुर शहर की नींव रखी थी और 1907 में टाटा स्टील की नींव रखी, जिसे पहले टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी के नाम से जाना जाता था। यह भारत की पहली और एशिया की सबसे बड़ी स्टील प्लांट में से एक है। इस संयंत्र ने न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार दिया, बल्कि पूरे क्षेत्र के औद्योगिक विकास की नींव रखी। टाटा स्टील की स्थापना ने जमशेदपुर को एक औद्योगिक शहर में बदल दिया, जिससे अन्य उद्योगों का भी विकास हुआ।
टाटा ग्रुप ने यहां केवल औद्योगिक विकास पर ही ध्यान नहीं दिया, बल्कि सामाजिक विकास में भी उन्होंने योगदान दिया। टाटा स्टील ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में कई पहल की हैं। जमशेदपुर में कई स्कूल, कॉलेज और अस्पताल स्थापित किए गए हैं, जो स्थानीय समुदाय के लिए सुविधाएं प्रदान करते हैं। टाटा ट्रस्ट ने भी विभिन्न सामाजिक परियोजनाओं में निवेश किया है, जिससे स्थानीय लोगों का जीवन स्तर सुधरा है।
यहां के बुनियादी ढांचे के विकास में टाटा ग्रुप की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। कंपनी ने सड़कों, रेलवे और अन्य परिवहन सुविधाओं के विकास में सहयोग दिया है, जिससे न केवल जमशेदपुर, बल्कि पूरे झारखंड में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है। अच्छी संचार सुविधाओं के कारण निवेशकों का ध्यान खींचा गया है, जिससे राज्य में औद्योगिक विकास को और गति मिली है।
जमशेदपुर का विकास केवल झारखंड तक सीमित नहीं है, इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई है। इसे “स्टील सिटी” के रूप में जाना जाता है और यह भारत के औद्योगिक नक्शे पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जमशेदपुर की आधुनिक सुविधाएं, जैसे कि अच्छी सड़कें, परिवहन नेटवर्क, और सामाजिक बुनियादी ढांचे, इसे एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र बनाती हैं। जमशेदपुर की औद्योगिक संरचना और टाटा ग्रुप का नाम अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण रहा है। विदेशी कंपनियों ने यहां अपने कारखाने और कार्यालय स्थापित किए हैं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हुई है। इस प्रकार, जमशेदपुर ने झारखंड को वैश्विक मानचित्र पर रखा है। जमशेदपुर केवल औद्योगिक शहर नहीं है, क्योंकि यह एक सांस्कृतिक केंद्र भी है। शहर में कई पर्यटन स्थल हैं, जैसे कि डिमना झील, जो प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, यहां आयोजित होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम और मेले भी इसे एक जीवंत शहर बनाते हैं। इस तरह, जमशेदपुर ने न केवल औद्योगिक, बल्कि सांस्कृतिक पहचान भी बनाई है।
रतन टाटा के निधन के बाद जिस तरह देश के है हिस्से से इतनी गहरी और भावपूर्ण संवेदनाएं देखने को मिल रही हैं, जो इस बात का प्रतीक है कि उनकी देश के आम आदमी के मन में कितनी इज्जत थी। देशवासी उनको दिल से प्यार और सम्मान देते थे, क्योंकि उन्होंने यह सब सम्मान अर्जित किया था। उनके उत्पाद सबसे बेहतरीन और उच्च गुणवत्ता के दम पर बाजार में तमाम तरह की चुनौतियों और स्पर्धा के बाद भी बेजोड़ बने हैं। इतनी बड़ी शख्सियत होने के बाद भी रतन टाटा अंहकार से कोसों दूर और आम आदमी के बारे में चिंता करने वाले सच्चे देशभक्त थे। वह भारतीय उद्योग जगत की सबसे शालीन हस्ती के तौर पर सदा ही लोगों के दिनों में जिंदा रहेंगे।