नई दिल्ली। केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत अब विकसित राष्ट्रों की कतार में खड़ा होने की ओर अग्रसर है। पूरी दुनिया अब इस बात को स्वीकार कर रही है। इतिहास गवाह है कि देश की आर्थिक उन्नति में मारवाड़ियों का अमूल्य योगदान है। अब हमारी वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को भी विकसित भारत बनाने के लिए लक्ष्यबद्ध होकर काम करना होगा।
त्यागराज स्टेडियम में गुरुवार को राजस्थान मित्र मंडल की ओर से आयोजित प्रवासी राजस्थानियों के कार्यक्रम में शेखावत ने कहा कि जीवन की हर विधा में राजस्थान का आदमी उस क्षेत्र में टॉप था। चाहे वह वीरता, पुरुषार्थ, त्याग तपस्या हो या भक्ति और शक्ति। हर क्षेत्र में राजस्थान के लोगों ने नया उत्कर्ष स्थापित किया। जब जमाना बदला तब तलवार की जगह कलम और कलम की जगह अर्थ का जमाना आया। तब भी राजस्थान के मारवाड़ियों ने देश की आर्थिक राजधानी कोलकाता में अपना प्रभुत्व स्थापित किया और हिदुस्थान के आर्थिक जगत में अपना वर्चस्व कायम किया।
शेखावत ने कहा कि पिछले 15-20 साल में जितने नए कॉरपोरेट हाउस विकसित हुए हैं। उनमें से 90 प्रतिशत हाउस राजस्थान से संबद्ध हैं। राजस्थानी समाज के लोग दुनिया में कहीं भी रहते हैं, वे दूध में शक्कर की तरह घुल जाते हैं। वे स्थानीय संस्कृति के साथ जुड़ जाते हैं। अपनी संस्कृति को जीवंत रखते हैं। तीज त्योहार आज भी दुनियाभर मारवाड़ी अपनी संस्कृति के अनुसार ही मनाते हैं। इसको जीवित रखने का किसी को श्रेय है तो वह मातृशक्ति को है। आने वाली पीढ़ी में भी यह संस्कार जुड़े हुए रखने की जिम्मेदारी वर्तमान पीढ़ी की है। आजकल एक टर्म में काम में लेते हैं सीएसआर, लेकिन राजस्थान के लोग कहीं भी रह रहे हैं, सौ साल पहले से ही सीएसआर का काम करते आ रहे हैं। कहीं अस्पताल बना रखा है। कोई भोजन का काम कर रहे हैं। मारवाड़ियों की धारणा है कि जो कुछ भी मैंने समाज से अर्जित किया है, उसे वापस चुकाना है। इसका बड़ा उदहारण राम मंदिर निर्माण में आर्थिक योगदान है। राम मंदिर के लिए देश भर से तेरह सौ करोड़ रुपए एकत्र हुए थे। इसमें से छह सौ करोड़ रुपए अकेले राजस्थान से आए थे। इसमें प्रवासी राजस्थानियों के योगदान भी जोड़ ले तो हजार करोड़ रुपए का योगदान केवल राजस्थान का है।
संकल्पबद्ध होकर करें काम
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि दुनिया मान रही है कि भारत विकसित देश होने की और अग्रसर है। इसमें राजस्थान का बड़ा योगदान है। हिदुंस्तान के इतिहास में से राजस्थान का इतिहास निकाल दिया जाए तो किताबें ही छोटी हो जाएंगी, लेकिन वर्तमान कालखंड में हम जी रहे हैं। आने वाले समय में देश बदल जाएगा। इसे विकसित होने से कोई रोक नहीं सकता। अब विचारणीय यह है कि बदलाव के इस दौर का जो इतिहास लिखा जाएगा उसमें हम कितना योगदान कर पाएंगे। इसकी जिम्मेदारी वर्तमान पीढ़ी की है। जो व्यक्ति जिस क्षेत्र में काम कर रहा है, उसे इस लक्ष्य के साथ काम करना है कि मेरे काम से भारत आगे बढ़ेगा। यह हमारे लिए अवसर है। इसे छोड़ना नहीं है।