त्वरित टिप्पणी
भाजपा के उपेक्षा से मर्माहत है झारखंड के ब्रह्मर्षि
*देवानंद सिंह*
आज भाजपा द्वारा जारी राँची,कोडरमा और चतरा के प्रत्याशियों की सूची में कोडरमा सांसद सह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा.रवींद्र राय का नाम नहीं होना यह सिद्ध करता है कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व को अब ब्रह्मर्षि समाज की आवश्यकता नहीं है।बर्षों से राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाला यह समाज भाजपा द्वारा उत्तर प्रदेश,बिहार एवं झारखंड में जारी प्रत्याशियों की सूची में अपनी उपेक्षा से मर्माहत है क्योंकि वर्तमान में इस समाज के लोग भाजपा के परंपरागत वोटर हैं।किसी व्यक्ति को टिकट मिलना या कटना उस पार्टी का अंदरूनी मामला हो सकता है पर जनसंख्यानुपात उचित प्रतिनिधित्व न देना किसी साजिश की ओर ध्यान आकृष्ट करता है यही कारण है कि दबी जुबान समाज के लोग अब सोचने को मजबूर हैं कि अब हम करें तो क्या करें।राजनीति में इस समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे नेताओं के भी गुण-दोष चर्चा का विषय बना हुआ है कि गलती हुई तो कहाँ हुई,जिसे समाज ने अपने समाज का सम्मान बढ़ाने हेतु नेता रूपी मुकुट पहनाया है क्या वो इतना कमजोर हो गया है कि अपना टिकट भी नहीं बचा पाता या किसी दुश्मन के साजिश का शिकार हो रहा है।झारखंड में तो यह साजिश ही लगती है क्योंकि चतरा सीट भी लंबित था परन्तु एक विशेष वर्ग से पी एन सिंह को प्रतिनिधित्व मिलने के बाद भी इस वर्ग के सुनिल सिंह का टिकट बच जाता है और रवीन्द्र राय का टिकट कट जाता है।अगर सामाजिक संतुलन बनाये रखने की मंशा होती तो बिहार में उपेक्षित ब्रह्मर्षि समाज को कोडरमा या चतरा से किसी भी भूमिहार को टिकट दिया जा सकता था।इसलिए ऐसा लगता है कि आने वाले कुछ दिनों में बुद्धिजीवी कहलाने वाला ब्रह्मर्षि समाज कोई न कोई ठोस निर्णय लेकर अपने समाज की गरिमा बनाये रखेगा
*रविन्द्र राय को टिकट नहीं देकर भाजपा ने ब्रह्मर्षियों का किया अपमान किया:अनिल ठाकुर*
ब्रह्मर्षि विकास मंच के महासचिव अनिल ठाकुर ने कहा है कि रविंद्र राय झारखंड भाजपा के स्तंभों में एक थे प्रत्याशियों की सूची में उन्हें स्थान नहीं देना झारखंड में ब्रह्मषियोंं का अपमान है।
महासचिव ठाकुर ने कहा राष्ट्रीय नेतृत्व को रविंद्र राय की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ”झारखंड में राय भाजपा के स्तंभ थे। और अब उन्हें कैसे दरकिनार किया गया है। निश्चित रूप से यह झारखंड के ब्रह्मर्षियों का अपमान है।