बीलो प्रथा को जड़ से समाप्त किया जाएगा:कन्हाई चंद्र माल पहाड़िया
एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
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निजाम खान
22 जुलाई को जामताड़ा के गांधी मैदान में वाम एकता कन्वेंशन को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव कन्हाई चंद्र माल पहाड़िया ने राष्ट्र संवाद को जानकारी देते हुए कहा कि गांधी मैदान में वाम एकता कन्वेंशन को लेकर एक अहम बैठक की जाएगी। यह बैठक सीपीआई के जिला सचिव कन्हाई चंद्र माल पहाड़िया और सीपीआईएम के जिला सचिव लखन मंडल के संयुक्त नेतृत्व में किया जाएगा ।पहाड़िया ने कहा पूरे देश में वामपंथी दल को एकजुट करने के लिए तथा संगठन को मजबूत करने के लिए यह कन्वेंशन किया जाएगा। जिसमें प्रत्येक पार्टी के 200 कार्यकर्ता भाग लेंगे। कहा कि यह कन्वेंशन सीपीआई, सीपीआईएम ,सीपीआईएमएल और फॉरवर्ड ब्लॉक की संयुक्त रूप से होगी। कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य यही होगा जामताड़ा जिला में लगभग सभी विभाग में पूरे झारखंड में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार चरम पर है।कहा कि विशेषकर आरईओ ,विशेष प्रमंडल, पीडब्ल्यूडी और भूमि संरक्षण विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त है ।कहा जामताड़ा जिला में इंजीनियर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार पर लिप्त है ।कहा कि जामताड़ा जिला में अजय बराज नहर में करोड़ों रुपया खर्च हो गया लेकिन आज तक किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो सका। अनेकों किसान के जमीन बर्बाद हुई है। जिसका खजाना आज भी किसानों को भुगतान करना पड़ता है और जमीन बेकार में बर्बाद हो गया है। इसके जिम्मेदार भ्रष्ट पदाधिकारी है। कहा कि इन दिनों बीलो प्रथा में वृद्धि हुई है जो आम जनता के लिए काफी घातक साबित हो रहा है ।कहा कि पहले 10% सरकार टेंडर से बिलो रखती थी। यह नियम ठीक था। अभी वर्तमान में देखा जा रहा है वहीं 10% बढ़कर प्रायः 40% हो गया है ।ऐसे में टेंडर 40% बीलो में ठीक तरीके से वहा किसी भी योजना का निर्माण कैसे कर पाएंगे? ऐसे में योजना लेने का देना पड़ जाता है ।आपको बताते चलें बीलो प्रथा की व्याख्यात्मक रूप से बात की जाए तो जो सरकार की योजनाएं दी जाती है वह योजना भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला सचिव कन्हाई चंद्र माल पहाड़िया के मुताबिक योजनाओं का डाक किया जाता है जो जितना प्रतिशत सरकार को देंगे उसी को वह टेंडर मिलेगा। ऐसे में सवालिया निशान यहां उठता है कि सरकार के पास व रकम भले ही जाती है। लेकिन इसमें एक सवाल यह भी है कि जो योजना जनता के लिए दिया जाता है ऐसे में उस योजनाओं से एक करोड़ में अगर 40से42 लाख रुपए सरकार रख ले तो उस 58 या 60 लाख रुपए में टेंडर ठीक तरीके से काम कैसे कर पाएगा ?ऐसे में कहीं ना कहीं योजना लेने का देना पड़ जाएगा। जिससे योजनाओं में लोगों को लाभ नहीं मिल पाएगा।कहा लघु सिंचाई में जो बांध का निर्माण किया जाता है उसमें कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर है।