चौथे चरण का चुनाव कई मायनों में रहा महत्वपूर्ण
देवानंद सिंह
सोमवार को चौथे चरण के तहत 10 राज्यों की 96 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ। आगे तीन चरण का चुनाव और बचा है, ऐसे में अधिकांश उम्मीदवारों का भविष्य ईवीएम में कैद हो चुका है। सोमवार को चौथा चरण सीटों के लिहाज से सभी सात चरणों में से दूसरा सबसे बड़ा चरण रहा।
इस फेज में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सभी सीटें शामिल रहीं, वहीं, आंध्र प्रदेश में 175 सीटों पर विधानसभा चुनाव भी इसी दिन हुआ। साथ ही, इसी फेज से झारखंड और ओडिशा में लोकसभा चुनाव की वोटिंग की शुरुआत भी हुई। इस चरण में कुल 1,717 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, जिनमें करीब 10% महिला उम्मीदवार शामिल रहीं।
यह चरण इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि इस फेज में 5 केंद्रीय मंत्री चुनाव मैदान में थे, जिनमें गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, अजय मिश्रा टेनी, अर्जुन मुंडा, जी किशन रेड्डी के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक शामिल रहे। वहीं, सिने स्टार शत्रुघ्न सिन्हा और दो पूर्व क्रिकेटरों- यूसुफ पठान और कीर्ति आजाद पर भी सबकी नजर थी। इसमें एक महत्वपूर्ण नाम कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का भी रहा।
चौथे चरण में जिन सीटों पर चुनाव हुआ, वहां 2019 के लोकसभा चुनाव में रिजल्ट कैसा रहा था, यह देखना भी काफी दिलचस्प है। 2019 में इन सीटों पर सबसे ज्यादा बीजेपी ने 42 सीटें हासिल की थीं। वाईएसआर कांग्रेस को 22, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को 9 और कांग्रेस को 6 सीटें मिली थीं। वहीं, अन्य के खाते में 17 सीटें गई थीं।
चौथे फेज की जिन 89 सीटों पर बीजेपी ने 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा था, उनमें से 43 सीटों पर उसका वोट शेयर 40% से ज्यादा था, जबकि कांग्रेस का पिछले चुनाव में 43 सीटों पर उसका वोट शेयर 10% से भी कम रहा था।
अगर, यूपी की बात करें तो पिछले दो लोकसभा चुनावों में यूपी ने भाजपा को अजेय बढ़त दिलाई थी। मध्य यूपी की जिन 13 सीटों पर सोमवार को मुकाबला हुआ, उनमें से पिछली बार भाजपा ने इस क्षेत्र में जीत दर्ज की थी। इन सीटों में कन्नौज सबसे अहम सीट है। सपा नेता अखिलेश यादव ने आखिरी समय में घोषणा की कि वह इस सीट से चुनाव लड़ेंगे, जो 2019 तक उनकी पार्टी का गढ़ हुआ करती थी। ऐसे में, यह फैसला राज्य में मुख्य विपक्षी दल की मजबूती का पैमाना साबित होगा।
तेलंगाना की 17 सीटों पर भी सोमवार को मतदान हुआ, यहां 2019 के चुनाव से इतर, बीआरएस ने अपनी जमीन खो दी है। विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी पदाधिकारियों के दलबदल का सिलसिला जारी रहा। इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने वाला है, जिसमें कांग्रेस और भाजपा अन्य दावेदार हैं।
आंध्र प्रदेश में अपने पड़ोसी राज्य तमिलनाडु की तरह, क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व है। विभाजन के बाद से हुए दो चुनावों में सरकारें बदल गई हैं और यहां तक कि लोकसभा चुनावों में भी क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व है। मध्य और उत्तरी महाराष्ट्र में 11 सीटों पर भी चौथे चरण का चुनाव सोमवार को हुआ। 2019 में एनडीए का इस क्षेत्र में दबदबा था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है, क्योंकि दो शिवसेना और एनसीपी मैदान में हैं। इसके अलावा, कुछ लोकसभा क्षेत्रों में मतदान मराठों के लिए लंबे समय से चल रहे आरक्षण आंदोलन से प्रभावित होने की उम्मीद है। 11 सीटें बहुत विविधतापूर्ण हैं। इनमें पुणे और नंदुरबार जैसे शहरी केंद्र शामिल हैं, जहां अच्छी खासी आदिवासी आबादी है।
चौथे चरण में बंगाल में हुई वोटिंग भी महत्वपूर्ण रही। दरअसल, यहां बहरामपुर एक अलग-थलग इलाका है, जहां कांग्रेस अपनी पकड़ बनाए रखने में कामयाब रही है। चौथे चरण के लिए आठ निर्वाचन क्षेत्रों में से एक, यह अधीर रंजन चौधरी का गढ़ है, जिन्होंने पिछले लोकसभा में कांग्रेस का नेतृत्व किया था। वे भाजपा और टीएमसी के यूसुफ पठान, जो गुजरात से क्रिकेट विश्व कप विजेता हैं, के साथ त्रिकोणीय मुकाबले में हैं। कृष्णानगर से टीएमसी की महुआ मोइत्रा भी मैदान में हैं, जिनका भाग्य भी ईवीएम में बंद हो चुका है।
कुल मिलाकर, लोकसभा की 543 सीटों के लिए कुल 7 चरणों में चुनाव हो रहे हैं।।तीसरे फेज तक 284 सीटों पर मतदान हो चुका है। 13 मई (सोमवार) तक कुल 380 सीटों पर वोटिंग पूरी हो चुकी है। बाद के 3 फेज में 163 सीटों पर मतदान होगा। इसीलिए 4 जून को जब वोटों को गिनती होगी, इन सीटों में 2019 जैसा परिणाम हो देखने को मिलेगा या फिर कुछ परिवर्तन देखने को मिलेगा।