देवानंद सिंह
जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत के हालिया संविधान संशोधन से पाकिस्तान के हुक्मरानों में बौखलाहट अंतिम स्तर तक पहुंच चुकी है। राज्य के पुनर्गठन और अनुच्छेद 370 को खत्म करने के भारत के फैसले के जवाब में पाकिस्तान सरकार ने कई इकतरफा घोषणाएं कर दी थीं। उसने भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को निलंबित कर दिया था और राजनयिक संबंधों का स्तर घटा दिया था। अपने हवाई क्षेत्र के कुल नौ में से तीन कॉरिडोर भी उसने भारतीय नागरिक उड़ानों के लिए बंद कर दिए थे। जम्मू-कश्मीर मसले को वह एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में ले जाना चाहता है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने तो यहां तक कह दिया है कि इस फैसले की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हो सकता है। वह भी परमाणु युद्ध। इससे साफ जाहिर होता है कि पाकिस्तान की बौखलाहट किस चरम पर पहुंच चुकी है।
पाक एक तरफ शांति-शांति का राग अलापता है, दूसरी तरफ आंतकवाद को बढ़ावा तो देता ही और बात-बात पर परमाणु हमले की धमकी देता है। इस तरह की धमकी से पाकिस्तान क्या जताना चाहता है, इसको समझना भी बहुत अधिक मुश्किल नहीं है। इसीलिए पाकिस्तान की इस तरह की धमकियों का कोई मतलब नहीं है। खराब आर्थिक हालत के दौर से गुजर रहे पाक के लिए युद्ध से गुजरना तो दूर इसके बारे में सोचना भी बुरे स्वप्न जैसा है। पाकिस्तान पहले ही बदहाली के दौर से गुजर रहा है, अगर, वह युद्ध के दौर से गुजरता है तो उस पर क्या बीतेगी, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। भारत अपने एक राज्य के प्रशासन को लेकर क्या फैसला करता है, यह उसका आंतरिक मामला है। इस पर पाकिस्तान की इतनी तीखी प्रतिक्रिया समझ से परे है। पाक अधिकृत कश्मीर में वह किस तरह से शासन चला रहा है, इस पर भारत कहां कुछ कहता है? जब-जब वहां आतंकी गतिविधियां बढ़ती हैं तो उसकी निंदा जरूर की जाती है, जो खुद पाकिस्तान के लिए भी कम सिरदर्दी नहीं है। अभी जो कदम पाकिस्तान ने खीझ में उठाए हैं, और वह बात-बात में भारत को परमाणु हमले की धमकी दे रहा है, वह उसके लिए भी घातक हैं।
भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को निलंबित करने का ज्यादा नुकसान उसी का हो रहा है। इसका कारण यह है कि पाकिस्तान कई जरूरी चीजों का आयात भारत से करता है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद व्यापार संबंधों में तनाव के चलते भारत से पाकिस्तान को होने वाले निर्यात में पहले ही कमी आई हुई है। इस मामले में भारत उस पर ज्यादा निर्भर नहीं है। इसी तरह हवाई क्षेत्र के कुछ कॉरिडोर को बंद करने से उड़ानों को 12 मिनट का अतिरिक्त समय लगेगा। इससे भारत को कितना नुकसान होगा? इस चीज को पाकिस्तान को समझ लेना चाहिए।
भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को कम करने का ही नतीजा है कि पाकिस्तान में जरूरी दैनिक चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। सब्जियों के दाम भारत के मुकाबले कई गुना ज्यादा हैं। ठमाठर 300 रुपए किलो तक पहुंच चुका है। पेट्रोल-डीजल के दाम भी भारत के मुकाबले बहुत ज्यादा हैं। सोना करीब एक लाख रुपए प्रति तोले पर पहुंच चुका है। पाक सरकार के पास सचिवालय का बिजली का बकाया बिल भरने का पैसा नहीं है। ऐसे में, अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुफ्त में बिलबिलाने से कुछ नहीं होगा। कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है, उस पर पाक को न तो चिंता करने की जरूरत है और न ही दुनिया के हर चौखट पर कश्मीर का राग अलापने की जरूरत है। इस बात को दुनिया भी जानती है, तभी तो दुनिया के अन्य देशों ने साफ तौर पर कह दिया है कि यह भारत का आंतरिक मामला है। लिहाजा, इस पर उनका हस्तक्षेप उचित नहीं है। इन परिस्थितियों में पाकिस्तान को भी समझ लेना चाहिए और अपनी आंतरिक समस्याओं को दूर करने की तरफ ध्यान लगाना चाहिए।
पाकिस्तान कई बड़ी समस्याओं से जूझ रहा है। विकास के मामले में वह भारत से बहुत पीछे है, उस पर सैकड़ों अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज है। यह समय के साथ-साथ बढ़ता जा रहा है। पाक सरकार और वहां के मंत्रियों को इस बात की चिंता करनी चाहिए। हमले की धमकी व भारत के खिलाफ अर्नगल विवादों को खड़ा करने में समय खराब नहीं करना चाहिए। उसे अगर, दुनिया के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलना है तो उसे आंतकवाद का साथ छोड़ना होगा और भारत के खिलाफ बात-बात पर लड़ाई की बात करने की मनोदशा से भी तौबा करना होगा। पाकिस्तान के सामने चुनौती बहुत बड़ी है। यह चुनौती इसीलिए भी बढ़ती गई, क्योंकि उसने बेकार की चीजों में वक्त जाया किया है। हमेशा भारत के खिलाफ छद्धम युद्ध छेड़ता रहा है, जबकि भारत दूसरे मोर्चों पर स्वयं को मजबूत करने में जुटा रहा। ऐसे में, भारत और पाकिस्तान के बीच लंबा फासला है। भारत को छूने के लिए उसे कड़ी मेहनत की जरूरत है। ऐसे में, उसके लिए यही जरूरी है कि अर्नगल विवादों को खड़ा न कर वह अपनी आंतरिक समस्याओं पर ध्यान लगाए।