भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने, ट्रेनों में चाय कुल्हड़ में बेचने की लोकसभा में हुई मांग
नयी दिल्ली:भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने, सोशल मीडिया, ‘ओटीटी’ मंचों पर अश्लील विषयवस्तु वाले कार्यक्रमों पर रोक लगाने और ट्रेनों में कुल्हड़ में चाय बेचे जाने जैसी मांगें सोमवार को लोकसभा में उठाई गईं।
सदन में शून्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश के सलेमपुर से समाजवादी पार्टी (सपा) सदस्य रमाशंकर राजभर ने कहा कि भोजपुरी भाषा दुनिया के आठ देशों में बोली जाती है और यह पूर्वांचल के घर-घर में बोली जाने वाली भाषा है।
उन्होंने सरकार से मांग की कि इस भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
मध्य प्रदेश के उज्जैन से भाजपा सदस्य अनिल फिरोजिया ने सरकार से मांग की कि रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में चाय कुल्हड़ में बेची जानी चाहिए जिससे मिट्टी के बर्तन बनाने वाले लोगों को फायदा होगा।
शिवसेना के नरेश म्हास्के ने सोशल मीडिया ‘इन्फ्लुएंसर’ रणवीर इलाहाबादिया की आपत्तिजनक टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में सोशल मीडिया और ‘ओटीटी’ मंचों के कार्यक्रमों पर सेंसर लगाने की सरकार से मांग की।
झारखंड के हजारीबाग से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद मनीष जायसवाल ने राज्य के कुछ हिस्सों में सरस्वती पूजन पर पथराव और राम नवमी के जुलूस को रोके जाने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा, ‘‘झारखंड में हिंदुओं पर जो अत्याचार हो रहा है, केंद्र सरकार को उस पर कार्रवाई करनी चाहिए।’’
सासाराम से कांग्रेस के सांसद मनोज कुमार ने पिछले दिनों अपने साथ हुई मारपीट की घटना का उल्लेख करते हुए अपनी जान को कुछ आपराधिक तत्वों से खतरा होने का दावा किया और सुरक्षा प्रदान किए जाने की मांग की।
कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला ने देश में चीनी मांझा से होने वाले हादसों का जिक्र किया तथा इसके चीन से आयात, देश में इसके उत्पादन और इसकी बिक्री पर रोक लगाने की मांग की।
सपा के आनंद भदौरिया ने दावा किया कि उनके क्षेत्र में प्रशासन बुद्ध कथा के आयोजन में अड़चन डालने का प्रयास करता है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा की तरह बुद्ध कथा के आयोजन के लिए भी अनुमति की जरूरत नहीं होनी चाहिए।
आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर ने भी सरकार से मांग की कि संत कबीर, गुरू रविदास और गौतम बुद्ध को मानने वाले लोगों को इनसे संबंधित धार्मिक कार्यों के आयोजन की अनुमति मिलनी चाहिए।
शिवसेना सांसद रवींद्र वायकर ने मुंबई में मराठी अध्ययन के लिए एक केंद्रीय विश्वविद्यालय खोले जाने की मांग की।