चतरा लोकसभा प्रत्याशी को लेकर, दो राह पर खड़ी भाजपा
भाजपा के कई कद्दावर नेता हैं टिकट के दौड़ में है शामिल
*महागठबंधन में भी सीट शेयरिंग को लेकर हो रही है किचकिच*
*चन्द्रेश शर्मा* की रिपोर्ट
चतरा । 24 मार्च: नरेंद्र मोदी के मजबूत केंद्रीय नेतृत्व के बावजूद टिकट बंटवारे में राजनीतिक उठापटक के बीच भाजपा की नैया डूबती नजर आ रही है। नीलम बनाम पार्टी के कैडर प्रत्याशी की भवंर में भाजपा की स्थिति डांवाडोल हो गयी है। टिकट बंटवारे की आस में भाजपा कई खेमो में बंटी दिख रही है। प्रेक्षको की माने तो नीलम देवी को टिकट मिलने की स्थिति में भाजपा की परंपरागत वोट खिसक सकता है। प्रेक्षको की माने तो माओवादी समर्थक का आरोप झेल रही नीलम को भाजपा के कैडर मतदाता पचा नहीं पा रहे हैं। वहीं टिकट बंटवारे में पार्टी के समर्पित नेताओं को दरकिनार करना भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के लिए लोहे के चने चबाने जैसा सिद्ध हो सकता है। वर्तमान परिदृश्य में टिकट की दावेदारी कर रहे पार्टी के कई वफादारों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का आशीर्वाद प्राप्त है। राज्य में संघ के कोटे से भी टिकट बंटवारे में भागीदारी दी जानी है। इस परिस्थिति में बाहर से आयातित किसी अन्य प्रत्याशी को पार्टी के कैडर मतदाता किसी भी कीमत पर पचाने के मूड में नहीं दिख रहे। संभावना यह भी व्यक्त की जा रही है कि अगर केंद्रीय नेतृत्व ने आयतित प्रत्याशी पर दांव खेला तो पार्टी में विद्रोह की स्थिति पैदा हो जाएगी। इस परिस्थिति में पार्टी के कद्दावर निर्दलीय भी मैदान में उतर जाएंगे। बागी उम्मीदवारों को मनाने में अगर पार्टी कामयाब भी हो गयी तब भी अंतर्कलह बरकरार ही रहेगा। इस परिस्थिति में इसका पूरा फायदा महागठबंधन प्रत्याशी को मिल सकता है। राजनीतिक सूत्रों की माने तो भाजपा के कई कद्दावर नेता निर्दलीय भी लड़ने के मूड में दिख रहे हैं। वर्तमान समय मे भाजपा के टिकट दावेदारी में निवर्तमान सांसद सुनील कुमार सिंह, किसान मोर्चा के पूर्व केंद्रीय महामंत्री कालीचरण सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा, विहिप के नन्दलाल केसरी, विजय पांडेय समेत अन्य दावेदार हैं। किसान मोर्चा के पूर्व केंद्रीय महामंत्री कालीचरण सिंह भी कद्दावर और प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। पलामू में हाईस्कूल में अध्यापक रह चुके कालीचरण सिंह आरएसएस की पृष्ठभूमि से आते हैं। राज्य की राजनीति में भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के अलावे पार्टी के द्वारा दिये गए कई दायित्वों को निभा चुके हैं। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा पत्रकारिता पृष्टभूमि से आते हैं। न्यूज एक्स (अंग्रेजी चैनल) को भी हेड कर चुके है, उन्होंने ही मोदी पर सबसे पहले किताब लिखी कि ‘मोदी बनेंगे प्रधानमंत्री’। 2014 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन कर ली। कई मीडिया डिबेट में वो देखे जाते रहे हैं। भाजपा से अन्य दावेदारों में नन्दलाल केसरी, विजय पांडेय विश्व हिंदू परिषद के काफी पुराने कर्मयोगी रहे हैं। झारखंड में विहिप के प्रचार प्रसार में इनकी भूमिकाओं को नकारा नहीं जा सकता।
*महागठबंधन में भी हैं कई दावेदार*
वहीं चतरा लोकसभा क्षेत्र से महागठबंधन से कौन लड़ेगा या दोस्ताना संघर्ष होगा, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। सीट शेयरिंग को लेकर अभी भी किचकिच जारी है। कांग्रेस, राजद और जेवीएम चतरा सीट पर दावा ठोंक रहे हैं। चतरा लोकसभा क्षेत्र से महागठबंधन प्रत्याशी के तौर पर कांग्रेस के अरुण कुमार सिंह, बिट्टू सिंह, मनोज यादव, राजद के बलवंत कुमार और सुभाष यादव रेस में हैं। वहीं जेवीएम ने भी चतरा सीट पर दावा ठोक रखा है। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस के पूर्व कोषाध्यक्ष धीरज प्रसाद साहू की माने तो महागठबंधन से कांग्रेस ही लड़ेगी। महागठबंधन में आपसी अंतर्विरोधों के बावजूद भाजपा की आपसी टूट महागठबंधन के लिए संजीवनी का काम करेगा। महागठबंधन की ओर से चुनाव की जो स्थिति बन रही है, उसमें कांग्रेस के अरुण कुमार सिंह व्यवसायी पृष्ठभूमि से आने के कारण स्थानीय प्रत्याशी के रूप में सभी जाति धर्मो में लोकप्रिय बने हुए हैं। वहीं पांकी के पूर्व विधायक विदेश सिंह के पुत्र बिट्टू सिंह का भी काफी ऊंचा कद है। महागठबंधन में कांग्रेस के मनोज यादव बरही के विधायक हैं। वहीं राजद की ओर से दावेदारी कर रहे स्थानीय प्रत्याशी बलवंत कुमार पत्रकारिता की पृष्ठभूमि से आते हैं। मृदभाषी एवं मिलनसार प्रवृति के बलवंत कुमार क्षेत्र में खासे लोकप्रिय माने जाते हैं। बिहार के दानापुर निवासी सुभाष प्रसाद पर बालू माफ़िया और काला धन जमा करने का आरोप है। चुनाव पूर्व से ही इनपर क्षेत्र में लुभावने वादे करने एवं पैसा बांटने का आरोप लगता आ रहा है। बिहार में कद्दावर और दबंग व्यवसायी के तौर पर जाने जाते हैं। ऐसे मे अब चतरा लोकसभा क्षेत्र के मतदाता चतरा के चक्रब्यूह से निकालकर किस प्रत्याशी को विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन के गलियारे तक पहुंचाती है, यह देखना दिलचस्प होगा।