Close Menu
Rashtra SamvadRashtra Samvad
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • होम
    • राष्ट्रीय
    • अन्तर्राष्ट्रीय
    • राज्यों से
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
      • ओड़िशा
    • संपादकीय
      • मेहमान का पन्ना
      • साहित्य
      • खबरीलाल
    • खेल
    • वीडियो
    • ईपेपर
    Topics:
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Rashtra SamvadRashtra Samvad
    • रांची
    • जमशेदपुर
    • चाईबासा
    • सरायकेला-खरसावां
    • धनबाद
    • हजारीबाग
    • जामताड़ा
    Home » आक्रामकता के शिकार बच्चों की पीड़ा और दर्द को समझें
    Breaking News Headlines मेहमान का पन्ना

    आक्रामकता के शिकार बच्चों की पीड़ा और दर्द को समझें

    News DeskBy News DeskJune 3, 2025No Comments7 Mins Read
    Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Share
    Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link

    आक्रामकता के शिकार मासूम बच्चों का अन्तर्राष्ट्रीय दिवस- 4 जून, 2025
    – ललित गर्ग –

    बच्चों को देश एवं दुनिया के भविष्य की तरह देखा जाता है। लेकिन उनका यह बचपन रूपी भविष्य लगातार हो रहे युद्धों की विभीषिका, त्रासदी एवं खौफनाक स्थितियों के कारण गहन अंधेरों एवं परेशानियों से घिरा है। आज का बचपन हिंसा, शोषण, यौन विकृतियों, अभाव, उपेक्षा, नशे एवं अपराध की दुनिया में धंसता चला जा रहा है। बचपन इतना उपेक्षित, प्रताड़ित, डरावना एवं भयावह हो जायेगा, किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। आखिर क्यों बचपन बदहाल होता जा रहा है? बचपन इतना उपेक्षित क्यों हो रहा है? बचपन के प्रति न केवल अभिभावक, बल्कि समाज, सरकार एवं युद्धरत देशों की सत्ताएं इतनी बेपरवाह कैसे हो गयी है? ये प्रश्न 4 जून को आक्रमण के शिकार हुए मासूम बच्चों के दिवस को मनाते हुए हमें झकझोर रहे हैं। इस दिवस को मनाने की प्रासंगिकता आज के परिप्रेक्ष्य में ज्यादा महसूस हो रही है। इस दिवस का उद्देश्य आक्रामकता के शिकार बच्चों की पीड़ा और उनके दर्द को स्वीकार करना, बाल अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दोहराना, समाज में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार और हिंसा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना, बच्चों के साथ हिंसा रोकने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से प्रयास करना, बच्चों के लिए सुरक्षित, हिंसामुक्त और अनुकूल वातावरण बनाना एवं बच्चों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें हिंसा से सुरक्षित रखने के लिए जागरूकता फैलाना है। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस की शुरुआत 1982 में की थी, जब फिलिस्तीनी और लेबनानी बच्चों पर हुए अत्याचारों के बाद यह दिवस घोषित किया गया था, जिसे मनाते हुए हमें दुनिया भर में बच्चों द्वारा झेले गए दर्द को स्वीकारना होगा, जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण के शिकार हैं। यह दिन बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
    बच्चे दुनिया की आबादी का एक चौथाई हिस्सा हैं और किसी भी समाज की भलाई के लिए बच्चों का सुरक्षित एवं संरक्षित होना जरूरी हैं। वे समाज के सबसे कमज़ोर सदस्य हैं, जिन्हें निष्कंटक, खुशहाल और सफल जीवन जीने के लिए समान अवसर दिए जाने और उनकी रक्षा किए जाने की आवश्यकता है। लेकिन, हर साल संघर्ष और युद्धों के कारण बच्चों की एक बड़ी संख्या हिंसा, विस्थापन, अपंगता और दुर्व्यवहार का शिकार होती है। यह केवल इस बात को साबित करता है कि बच्चों पर किसी भी संघर्ष का गंभीर एवं घातक प्रभाव पड़ता है। निश्चित ही रूस एवं यूक्रेन, गाजा एवं इजरायल जैसे लम्बे समय से चल रहे युद्धों के कारण हर दिन, दुनिया भर में बच्चे अकथनीय भयावहता एवं त्रासदियों का सामना कर रहे हैं। वे अपने घरों में सोने या बाहर खेलने, स्कूल में पढ़ने या अस्पतालों में चिकित्सा देखभाल प्राप्त करने में सुरक्षित नहीं हैं। हत्या और अपंगता, अपहरण और यौन हिंसा से लेकर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर हमले नयी बन रही विश्व संरचना के लिये गंभीर चुनौती है। बच्चे चौंका देने वाले पैमाने पर युद्धरत दलों के निशाने पर आ रहे हैं।
    हाल के वर्षों में, कई संघर्ष एवं युद्ध क्षेत्रों में, महामारियों एवं प्राकृतिक आपदाओं के कारण बच्चों के खिलाफ उल्लंघन की संख्या में वृद्धि हुई है। संघर्ष, युद्ध, हिंसा एवं महामारियों से प्रभावित देशों और क्षेत्रों में रहने वाले 250 मिलियन बच्चों की सुरक्षा के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। हिंसक अतिवादियों द्वारा बच्चों को निशाना बनाने से बचाने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार कानून को बढ़ावा देने के लिए और बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयासों एवं संकल्पों की जरूरत है ताकि बच्चों के बेहतर भविष्य को सुरक्षित एवं सुनिश्चित किया जा सके। संयुक्त राष्ट्र के नए एजेंडे में पहली बार बच्चों के खिलाफ हिंसा के सभी रूपों को समाप्त करने के लिए एक विशिष्ट लक्ष्य शामिल था और बच्चों के दुर्व्यवहार, उपेक्षा और शोषण को समाप्त करने के लिए कई अन्य हिंसा-संबंधी लक्ष्यों को मुख्यधारा में शामिल किया गया। विश्वस्तर पर बालकों के उन्नत जीवन के ऐसे आयोजनों के बावजूद आज भी बचपन उपेक्षित, प्रताड़ित एवं नारकीय बना हुआ है, आज बच्चों की इन बदहाल स्थिति की प्रमुख वजहें हैं, वे हैं-सरकारी योजनाओं का कागज तक ही सीमित रहना, बुद्धिजीवी वर्ग व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता, दुनिया की महाशक्तियों की ओर से बच्चों के ज्वलंत प्रश्नों पर आंख मूंद लेना, इनके प्रति समाज का संवेदनहीन होना एवं गरीबी-शिक्षा के लिये जागरुकता का अभाव है।
    युद्धों एवं ऐसी ही स्थितियों में 11,649 बच्चे मारे गए या अपंग हो गए। अधिकांश मामलों में, विस्फोटक आयुध और बारूदी सुरंगों का उपयोग आबादी वाले क्षेत्रों में किया गया, जिसके कारण बच्चों की मृत्यु हुई और वे अपंग हो गए। 8,655 बच्चों का इस्तेमाल संघर्ष में किया गया और 4356 का अपहरण किया गया, जिनमें से सबसे ज्यादा संख्या कांगो, सोमालिया और नाइजीरिया के लोकतांत्रिक गणराज्य में पायी गयी। पीड़ितों में से लगभग 30 प्रतिशत लड़कियां थीं। 1,470 बच्चे यौन हिंसा के शिकार हुए है। संघर्ष में यौन हिंसा कलंक और कानूनी सुरक्षा की कमी के कारण लड़कियों और लड़कों दोनों के लिए सबसे कम रिपोर्ट की जाने वाली गंभीर हिंसा है। 90 प्रतिशत से अधिक यौन हिंसा लड़कियों के खिलाफ की गई, जो यौन हिंसा और जबरन विवाह से असमान रूप से प्रभावित हैं, हालांकि लड़कों के खिलाफ यौन हिंसा की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। 2022 से 2023 तक मानवीय सहायता से वंचित करने की घटनाओं में 32 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जो अक्सर अन्य गंभीर उल्लंघनों में वृद्धि के साथ मेल खाती है। 2024 के लिए, मानवीय सहायता से वंचित करने की घटनाओं में कई संदर्भों में गिरावट आने की उम्मीद है, विशेष रूप से अफ़गानिस्तान, म्यांमार और सूडान में मानवीय संगठनों और कर्मियों पर नियंत्रण बढ़ाने वाले प्रतिबंधात्मक नियमों को अपनाने के कारण। 2023 तक, स्कूलों पर हमलों में लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कोफी अन्नान ने एक बार कहा था, ‘दुनिया में बच्चों के साथ जो भरोसा है, उससे ज्यादा पवित्र कोई भरोसा नहीं है। यह सुनिश्चित करने से ज्यादा महत्वपूर्ण कोई कर्तव्य नहीं है कि उनके अधिकारों का सम्मान किया जाए, उनके कल्याण की रक्षा की जाए, उनका जीवन भय और अभाव से मुक्त हो और वे शांति से बड़े हो सकें।’
    बच्चों के खिलाफ गंभीर उल्लंघनों को समाप्त करना और रोकना बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर जनादेश का मुख्य हिस्सा है। बच्चों को शत्रुता से बचाने का सबसे प्रभावी तरीका उन दबाव और खींचतान वाले कारकों को खत्म करना है जो उन्हें सशस्त्र संघर्ष में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं। बच्चे बहुत अच्छे लगते हैं जब वे हँसते-मुस्कुराते हैं। बच्चे यदि तनावरहित रहते हैं तो चारों तरफ खुशी का माहौल बन जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि बच्चे भी पीड़ा महसूस करते हैं। यह पीड़ा शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक किसी भी तरह के शोषण से पैदा होती है। बच्चे खुश, स्वस्थ और सुरक्षित होने चाहिए। उन्हें जाने-अनजाने में भी कोई पीड़ा नहीं दी जानी चाहिए। बच्चों की खुशी में देश एवं दुनिया का उज्ज्वल भविष्य छुपा है। कुछ बीमार मानसिकता यानी पीडोफिलिया ग्रस्त व्यक्ति मासूम बच्चों को क्रूरतम मानसिक व शारीरिक यातनाएं देने में आनंद की प्राप्ति करता है तथा उसके लिए यह एक ऐसा नशा बन जाता है कि वह बच्चों को यातनाएं देने कि क्रूरतम विधियां इजाद करता जाता है जिसमें बच्चो के साथ सेक्स, शरीर को चोटिल करना-काटना, जलाना, यहाँ तक कि उनके टुकडे-टुकडे कर उनके मांस तक खाना शामिल है। कुछ देशों में बच्चों को ऊंट की पीथ पर बान्धकर ऊटों को दौड़ाया जाता है जिससे बच्चे कि चीत्कार-चीख से वहां के लोग आनन्द एवं मनोरंजन की प्राप्ति करते हैं, यह भी पीडोफिलिया का ही एक उदाहरण है। इन क्रूर एवं अमानवीय स्थितियों का मासूम बच्चों पर भारी दुष्प्रभाव पड़ता है और इन कमजोर नींवों पर हम कैसे एक सशक्त दुनिया की कल्पना कर सकते हैं?

    Share. Facebook Twitter Telegram WhatsApp Copy Link
    Previous Articleपूर्वोत्तर में तबाही का मानसून
    Next Article कहानी : गोदना ( टैटू )

    Related Posts

    बिरसा नगर स्थित बिरसा बुरु संडे मार्केट में सौंदर्यीकरण कार्यों का निरीक्षण

    November 13, 2025

    विजया गार्डेन में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में हुई महत्वपूर्ण बैठक

    November 13, 2025

    जगजोत सिंह सोही क़ौम से माफी मांगे : कुलबिंदर 

    November 13, 2025

    Comments are closed.

    अभी-अभी

    बिरसा नगर स्थित बिरसा बुरु संडे मार्केट में सौंदर्यीकरण कार्यों का निरीक्षण

    विजया गार्डेन में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में हुई महत्वपूर्ण बैठक

    जगजोत सिंह सोही क़ौम से माफी मांगे : कुलबिंदर 

    घाटशिला विधानसभा : किसके सिर सजेगा ताज, फैसला आज सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू

    एमजीएम अस्पताल का सी आर्म मशीन खराब

    बागबेड़ा हाउसिंग कॉलोनी में सड़क निर्माण कार्य का शुभारंभ, विधायक संजीव सरदार का हुआ सम्मान

    कांग्रेस संगठन सृजन अभियान को गति देने के लिए बैठक आयोजित

    सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारी मांगों के अनुरुपःसरयू राय

    रेड क्रॉस भवन के सखी वन स्टॉप सेंटर का विधायक पूर्णिमा साहू ने किया दौरा

    मतगणना दिवस की तैयारियों की समीक्षा बैठक संपन्न

    Facebook X (Twitter) Telegram WhatsApp
    © 2025 News Samvad. Designed by Cryptonix Labs .

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.