सेफर इंटरनेट डे का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना :वरीय पुलिस अधीक्षक किशोर कौशल
राष्ट्र संवाद संवाददाता
“सुरक्षित इंटरनेट दिवस” पर कार्यशाला का आयोजन करीम सिटी कॉलेज परिसर में किया गया । कार्यशाला में प्रशासनिक-पुलिस पदाधिकारी के अलावा कॉलेज के प्राचार्य, शिक्षक एवं छात्र-छात्रायें शामिल हुए। वरीय पुलिस अधीक्षक श्री किशोर कौशल, एडीएम लॉ एंड ऑर्डर श्री अनिकेत सचान, एसडीएम धालभूम श्रीमती शताब्दी मजूमदार, प्राचार्य करीम सिटी कॉलेज समेत अन्य गणमान्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ किया । राष्टीय सूचना विज्ञान केंद्र, पूर्वी सिंहभूम के तत्वधान में आयोजित कार्यशाला में इंटरनेट का उपयोग, साइबर क्राइम से बचने के तरीके, साइबर क्राइम के विरूद्ध कानूनी प्रक्रिया आदि को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की गई ।
वरीय पुलिस अधीक्षक ने कार्याशाला को संबोधित करते हुए कहा कि इंटरनेट ने हमारी लाइफस्टाइल आसान बना दी है, परंतु हमें सावधान और सतर्क रहकर इंटरनेट का उपयोग करना चाहिए। शॉर्टकट से पैसे कमाने और विभिन्न तरह के लालच में पड़कर लोगों की गाढ़ी कमाई मिनटों में चली जाती है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराधी नए नए तरीके अपनाकर लोगों को ठगने की कोशिश करते हैं जिसमें डिजिटल अरेस्ट, अधिक रिटर्न का लालच देकर निवेश करना, विभिन्न तरह के ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्म इत्यादि शामिल है । उन्होने साइबर फ्रॉड से बचने के लिए सुरक्षित तरीके से पैसे का ट्रांजेक्शन करने, सार्वजनिक स्थानों पर मोबाइल चार्जिंग, सार्वजनिक वाईफाई का इस्तेमाल नहीं करने, बिना जाने समझे अनजान लोगों के साथ रकम की लेनदेन नहीं किए जाने, अनजान नंबर से आने वाले व्हाट्सएप कॉल एवं व्हाट्सएप वीडियो कॉल तथा इंटरनेशनल कॉल को रिसीव नहीं करने एवं स्वयं जागरूक होकर अपने परिवार को भी जागरूक करने पर बल दिया ।
एडीएम लॉ एंड ऑर्डर ने कहा कि जैसे हम घर में सफाई करते है ठीक वैसे ही हमें अपने और हमारे आस पास की साईबर स्वच्छता जरुरी है । कभी भी डिजिटल अरेस्ट की बात सुनकर भयभीत नहीं होना है, पैसा इन्वेस्ट कर अधिक रिटर्न देने वालों की जाल में नहीं फंसना है ।
अनुमंडल पदाधिकारी, धालभूम ने कहा कि साईबर अपराध के जाल में किसी भी उम्र के व्यक्ति फंस सकते हैं, लेकिन अपनी समझ से काम लेते हुए ऐसे ठगी से दूर रहे। सेफर इंटरनेट डे का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना है, लेकिन ऑनलाइन बच्चों और युवाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए ठोस कदम उठाना भी है।
सयुंक्त निदेशक (आईटी) सह जिला सूचना विज्ञान पदाधिकारी ने साइबर फ्रॉड से बचने की जानकारी देते हुए बताया कि किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले उसके डोमेन की जांच करना बेहद जरूरी है। फर्जी साइटों से बचने के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है। किसी भी एसएमएस के माध्यम से प्राप्त लिंक को खोलने से पहले उसकी जांच – पड़ताल कर लेनी चाहिए।
कार्यशाला में इंटरनेट का उपयोग करते समय अन्य महत्वपूर्ण सावधानियाँ बरतने की अपील की गई। साइबर फ्रॉड होने पर 1930 नंबर पर कॉल करने तथा राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर शीघ्र शिकायत दर्ज कराने और ट्रांजेक्शन ब्लॉक कराने की बात बताई गई। अनजान लोगों के साथ ओटीपी, आधार कार्ड, पैन कार्ड या बैंक की अन्य जानकारी साझा नहीं करने, अनजान नंबरों से आने वाली लिंक पर क्लिक नहीं करने, अनजान लोगों से पेमेंट पाने के लिए कयू.आर. कोड स्कैन नहीं करने व ओटीपी या पिन साझा नहीं करने, बैंक ट्रांजैक्शन करते समय सार्वजनिक वाईफाई का इस्तेमाल नहीं करने सहित आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, सोशल मीडिया, साइबर थ्रेटस, ऑनलाइन फ़्रॉड, डीप फेक, व्हाट्सएप्प सिक्योरिटी, डिजिटल अरेस्ट सहित अन्य मुद्दे पर चर्चा की गई।
साईबर सुरक्षा के कारण और रोकथाम हेतु सयुंक्त निदेशक (आईटी) सह जिला सूचना विज्ञान पदाधिकारी, अपर जिला सूचना विज्ञान पदाधिकारी, पुलिस उपाधीक्षक (साईबर), सहायक प्रोफेसर- एनआईटी कॉलेज, ई-डिस्ट्रिक्ट मैनेजर ममीष प्रसाद द्वारा तकनीकी टिप्स प्रेजेंटेशन के माध्यम से उपस्थित जिला एवं प्रखंड सभी पदाधिकारी एवं कर्मी, प्रज्ञा केंद्र संचालक, छात्र,अभिभावक, शिक्षक, आंगनबाड़ी सेविका सहायिका, पंचायत प्रतिनिधि को प्रशिक्षित किया गया।