कलह से उबर पाएगी कांग्रेस!
चेतावनी
देवानंद सिंह
2019 के लोकसभा चुनाव में भारत की जनता ने इस बात पर ज्यादा ध्यान दिया कि देश की बागडोर किसके हाथ में होगी विपक्ष के पास ना कोई स्पष्ट मुद्दा था और ना ही स्पष्ट चेहरा जिसका फायदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिला चुनाव के बाद बात अगर झारखंड की हो तो चुनाव से पूर्व झारखंड के स्थिति बिल्कुल अलग थी और परिणाम आते ही स्थिति राजग गठबंधन के पक्ष में है और मुख्यमंत्री रघुवर दास विपक्ष के बिखराउ को अपनी और करने में कोई और कसर नहीं छोड़ रहे हैं महागठबंधन में मुख्यमंत्री रघुवर दास की टीम सेंधमारी करने में लगी है और जल्द ही इसका परिणाम देखने को मिल सकता है
झारखंड प्रदेश कांग्रेस में जिस तरह से पिछले 1 सप्ताह से नजारा देखने को मिला उससे यह साफ संकेत हो चला है कि झारखंड में कांग्रेस नेतृत्व वहींन है
चुनाव सर पर है कांग्रेस में सिर फुटउवल जारी है राज्य में हर राजनीतिक दल भाजपा जेएम एम जेवीम चुनाव की तैयारी में जुट गया है परंतु कांग्रेसी नेताओं का आपसी विवाद झारखंड से लेकर दिल्ली तक गहरा ताजा रहा है प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय इस्तीफा दे चुके हैं भाजपा की पैनी नजर पूरे घटनाक्रम पर है प्रदेश की कद्दावर नेता और मंत्री सुबोध कांत सहाय के साथ-साथ अन्य नेताओं पर भी उन्होंने गंभीर आरोप लगाया है
झारखंड प्रदेश कांग्रेस संगठन के इस दुर्दशा का जिम्मेदार अगर किसी एक व्यक्ति को टहराया जाय तू प्रभारी आरपीएन सिंह का नाम सभी कांग्रेसियों के मुंह से दबी जुबान से अब सभी के मुख से निकलने लगी है आरपीएन सिंह प्रभारी बनकर नहीं बल्कि झारखंड में गुटबाजी को हवा देने आए और कांग्रेस को कब्र में ले जाकर रख दिया है
झारखंड में भाजपा को घरने के लिए कांग्रेस के पास कोई रणनीति नहीं थी महा गठबंधन के साथ भी कांग्रेस दिल से अगर रहती तो आज स्थिति दूसरी होती लेकिन आपसी तालमेल के अभाव में भाजपा मजबूत होती गई और कांग्रेस कब्र की और धीरे-धीरे अग्रसर होती गई
झारखंड में मुद्दों की भरमार के बावजूद कांग्रेस मुद्दा भुनाने में विफल हो गई और डॉ अजय अपने विरोधियों से परेशान होकर पद से ही इस्तीफा दे दिया दूसरी तरफ पूर्व मंत्री और कद्दावर नेता बन्ना गुप्ता डॉक्टर अजय से परेशान होकर धीरे धीरे कांग्रेस से विमुख होते जा रहे हैं ज्ञात हो कि पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता की पहचान एक जुझारू नेता के रूप में रही है कयास यह भी लगाया जा रहा है कि वह भी दूसरे घर की तलाश में लगे हैं
हालाकि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की कार्यशैली देखने से यह लग गई थी आने वाले समय में झारखंड कांग्रेस में भूचाल आने वाला है पूरे चुनाव के दौरान नेताओं का आपसी तालमेल का घोड़ आभाव देखने को मिला
कांग्रेस के पास निष्ठावान कार्यकर्ताओं की टीम का अभाव है वहीं भाजपा के पास निष्ठावान कार्यकर्ताओं की पूरी फौज मौजूद है कांग्रेस के नेता किसी कंपनी के गेट के सामने अगर धरना प्रदर्शन करते हैं तो दूसरे दिन उस नेता की ठेकेदारी चल पड़ती है राष्ट्रीय संगठन का इस और ध्यान ना जाना भी काग्रेस को कमजोर करने में अहम भूमिका निभाई है समर्पित कार्यकर्ता संगठन से दूर होते चले जा रहे हैं कांग्रेस की कार्यशैली से नाराज होकर भरत सिंह जैसे युवा नेता भी कांग्रेस को छोड़ चुके हैं
प्रदेश कांग्रेस में आरपीएन सिंह के प्रभारी बनते ही एक गुट पहले दिन उनका बन गया दूसरा गुट प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर अजय था तीसरा गुट पूर्व मंत्री सुबोध कांत सहाय ने पहले से बना कर रखा था और झारखंड की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले प्रदीपमुचू का गुट इन सबसे अलग रहा , हालांकि समय-समय पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह विधायक सुखदेव भगत ने बीच बीच में संगठन में धार लाने का असफल प्रयास जरूर किया
झारखंड प्रदेश कांग्रेस किसी मुद्दे पर भी रघुवर सरकार को घेरने में सफल नहीं हो सकी जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल भी टूटा जहां विपक्ष की मजबूत संगठन थी वहां भी कांग्रेस अपनी गुटबाजी के कारण धराशाई हो गई
कांग्रेस को अगर झारखंड की राजनीति में अपनी पैठ जमानी है तो रचनात्मक राजनीति के साथ साथ ठोस विकल्प पेश करना होगा, झारखंड की राजनीति में नया मॉडल विकसित करना होगा जो झारखंड की राजनीति को प्रभावित कर सके प्रदेश कांग्रेस को मजबूत करने के लिए राज्य में स्थानीय नेतृत्व को विकसित करने की ओर पहल करना होगा राष्ट्रीय नेतृत्व को प्रदेश के तथाकथित वरिष्ठ नेताओं को सम्मान पूर्वक किनारे करने की जुगत भी भिरानी होगी
बहरहाल राष्ट्रीय कांग्रेस अपनी परेशानी से जूझ रही है तो झारखंड कांग्रेस गुटबाजी के कारण सरफुटउल में मदमस्त है
कांग्रेस संगठन को धारदार बनाने के लिए वैसे नेताओं को आगे आने की जरूरत है जिन्हें ठेकेदारी दुकानदारी से कोई मतलब ना हो बल्कि निस्वार्थ भाव से संगठन की मजबूती के लिए दिन रात मेहनत कर सके ,दूसरे जिलों में जाकर संगठन की मजबूती के लिए प्रवास कर सके ऐसे नेताओं की कांग्रेस संगठन में जरूरत है प्रदेश कांग्रेस के साथ साथ राष्ट्रीय नेतृत्व को भी करना होगा विचार अन्यथा झारखंड प्रदेश से कांग्रेस का नामोनिशान मिटने में देर नहीं लगेगा झारखंड प्रदेश कांग्रेस की जो स्थिति अभी दिख रही है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले समय में कई कांग्रेसी नेता भाजपा का दामन थाम सकते हैं