शांति बहाल करने के लिए भारत हरसंभव सहयोग देने को तैयार : मोदी ने यूक्रेन यात्रा से पहले कहा
वारसॉ, 22 अगस्त (भाषा) युद्धग्रस्त यूक्रेन की अपनी बहुप्रतीक्षित यात्रा से एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत का दृढ़ता से मानना है कि किसी भी समस्या का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं किया जा सकता और यह (भारत) क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बहाल करने के लिए हरसंभव सहयोग देने को तैयार है।
मोदी ने पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क के साथ व्यापक वार्ता करने के बाद यह बात कही।
बैठक में, दोनों नेताओं ने भारत-पोलैंड संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में तब्दील करने का निर्णय लिया। इसके अलावा, उन्होंने कौशल प्राप्त श्रमिकों की दोनों देशों के बीच आवाजाही को बढ़ावा देने के लिए एक सामाजिक सुरक्षा समझौता पर भी हस्ताक्षर किए।
एक संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय कानून को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि सभी देशों को किसी भी राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ बल प्रयोग या उसे खतरे में डालने से बचना चाहिए।
मोदी ने मीडिया से कहा कि यूक्रेन और पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष ‘‘हम सभी के लिए गहरी चिंता का विषय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत का दृढ़ता से मानना है कि युद्ध के मैदान में किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। किसी भी संकट में निर्दोष लोगों की जान जाना पूरी मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम शांति और स्थिरता की शीघ्र बहाली के लिए बातचीत और कूटनीति का समर्थन करते हैं। इसके लिए भारत अपने मित्र देशों के साथ मिलकर हरसंभव सहायता देने के लिए तैयार है।’’
वारसॉ की अपनी यात्रा संपन्न करने के बाद, मोदी कड़ी सुरक्षा के बीच ट्रेन से यूक्रेन की राजधानी कीव की यात्रा करेंगे और इस यात्रा में उन्हें लगभग 10 घंटे लगेंगे।
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के इमैनुएल मैक्रों और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज सहित विश्व के कई नेताओं ने ट्रेन से कीव की यात्रा की है।
कीव में लगभग सात घंटे रुकने के दौरान मोदी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ, और प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे और यह उम्मीद है कि बातचीत मुख्य रूप से यूक्रेन में संघर्ष को हल करने के तरीके तलाशने पर केंद्रित होगी।
भारत ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की अबतक निंदा नहीं की है और वह वार्ता और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के समाधान की अपील करता रहा है। पिछले महीने मास्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी शिखर वार्ता में मोदी ने कहा था कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में संभव नहीं है और शांति वार्ता बम और गोलियों के बीच सफल नहीं होती है।
मोदी-टस्क वार्ता पर एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने यूक्रेन में जारी युद्ध और उसके भयावह व दुखद मानवीय परिणामों पर अपनी ‘‘गहरी चिंता’’ व्यक्त की।
इसमें कहा गया है, ‘‘उन्होंने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान सहित, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों व सिद्धांतों के अनुरूप अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति की आवश्यकता को दोहराया।’’
मोदी और टस्क ने वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, विशेष रूप से ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए यूक्रेन में युद्ध के ‘‘नकारात्मक प्रभावों’’ का भी उल्लेख किया।
बयान में कहा गया है, ‘‘इस युद्ध के संदर्भ में, उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल या इसके उपयोग की धमकी अस्वीकार्य है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया और संयुक्त राष्ट्र चार्टर की तर्ज पर कहा कि सभी देशों को किसी भी राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ बल प्रयोग या धमकी से बचना चाहिए।”
उन्होंने भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जिससे न केवल दोनों पक्षों को लाभ होगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका दूरगामी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
मोदी और टस्क ने एक मुक्त और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई तथा समुद्री सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं स्थिरता के लाभ के लिए संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और नौवहन की स्वतंत्रता की पैरोकारी की।
मोदी बुधवार को वारसॉ पहुंचे, जो करीब आधी सदी में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पोलैंड की पहली यात्रा है। यात्रा के दूसरे चरण में, शुक्रवार को मोदी करीब सात घंटे के लिए कीव में होंगे।
टस्क ने कहा, ‘‘मुझे बहुत खुशी है कि प्रधानमंत्री (मोदी) ने युद्ध की शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण और जल्द समाप्ति के लिए अपनी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता जताई है। हम दोनों इस बात से आश्वस्त हैं कि भारत यहां एक बहुत महत्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।’’
मोदी ने कहा कि इस साल भारत और पोलैंड अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इस साल, हम अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस अवसर पर, हमने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में तब्दील करने का निर्णय लिया है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा समझौता श्रमिकों की आवाजाही को बढ़ावा देगा और उनका कल्याण सुनिश्चित करेगा।
दोनों पक्षों ने रक्षा, व्यापार, नवीकरणीय ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, शहरी बुनियादी ढांचे, खाद्य प्रसंस्करण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अंतरिक्ष के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का भी संकल्प लिया।
मोदी ने 2022 में संघर्ष शुरू होने के बाद, यूक्रेन से भारतीय छात्रों को सुरक्षित रूप से निकालने में सहायता करने के लिए पोलैंड का आभार भी जताया।
टस्क ने अपनी टिप्पणी में कहा कि पोलैंड, भारत के साथ अपने रक्षा सहयोग का विस्तार करना चाहता है और वह अपनी (पोलैंड की) सेना के आधुनिकीकरण के लिए नयी दिल्ली के प्रयासों का समर्थन करना चाहेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सैन्य उपकरणों के आधुनिकीकरण में भाग लेने के लिए तैयार हैं।’’
मोदी ने भारत-पोलैंड रक्षा संबंधों का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा, ‘‘रक्षा के क्षेत्र में घनिष्ठ सहयोग हमारे परस्पर गहरे विश्वास का प्रतीक है। इस क्षेत्र में आपसी सहयोग को और मजबूत किया जाएगा।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि विभिन्न वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार वक्त की दरकार है।
उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। मानवता में विश्वास रखने वाले भारत एवं पोलैंड जैसे देशों के बीच इस तरह का और अधिक सहयोग आवश्यक है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इसी तरह, जलवायु परिवर्तन हमारे लिए साझा प्राथमिकता का विषय है। हम दोनों अपनी क्षमताओं को मिलाकर हरित भविष्य के लिए काम करेंगे।’’
मोदी ने कहा, ‘‘पोलैंड जनवरी 2025 में यूरोपीय संघ की अध्यक्षता संभालेगा। मुझे विश्वास है कि आपका सहयोग भारत और यूरोपीय संघ के बीच संबंधों को मजबूत करेगा।’’
उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में पोलैंड की विशेषज्ञता के बारे में भी बात की।