रामशंकर कुमार की रिपोर्ट
सीतामढ़ी : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की यौमे पैदाइश के मौके पर सीतामढ़ी संघर्ष समिति के तत्वावधान में राजोपट्टी स्थित जामिया रशीदिया एदारा अशरफुल बनात में सर सैयद और तालीम निसवां विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में सर सैयद अहमद खान के अभूतपूर्व योगदान को याद किया।
सीतामढ़ी संघर्ष समिति के अध्यक्ष मो.शम्स शाहनवाज ने कहा कि पिता की मौत के बाद एक क्लर्क की नौकरी से शुरुआत करने वाले सैयद अहमद खान का मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना तक का सफर अपने आप में बेमिसाल है। शिक्षा के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व और ऐतिहासिक योगदान को देखते हुए महात्मा गांधी ने उन्हें शिक्षा जगत का पैगंबर तक कहा था। 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली में पैदा हुए सर सैयद ने 1875 में एमएओ कॉलेज के रूप में जो पौधा लगाया था आज उसकी शाखाएं दुनिया के 110 से ज्यादा देशों में फैल चुकी हैं। शम्स ने कहा कि सर सैयद शिक्षा के जरिए समाज को मजबूत बनाने की बात करते थे, जिसमें महिलाओं को शिक्षित करना भी शामिल था। आज एएमयू महिलाओं की शिक्षा का एक केंद्र बन चुका है।
मौलाना मोहम्मद मुमताज़ कासमी ने कहा कि सर सैयद अहमद खान ने शिक्षा का जो अलख जगाया उससे आने वाली नस्लें भी फायदा उठाती रहेंगी। मदरसा की बच्चियों ने सर सैयद अहमद खान की मगफिरत के लिए अल्लाह पाक़ से दुआ किया।
कार्यक्रम में मौलाना लियाक़त हुसैन कासमी, मास्टर मो.इसराफील, मास्टर मो.शाहिद अली खान, मो.निज़ामुद्दीन अंसारी, मौलाना तारिक़ अनवर कासमी, मो.नौशाद, अली अनवर, वकार अहमद आदि मुख्य रूप से मौजूद थे।