एनटीपीसी द्वारा FC शर्तो का उल्लंघन कर ट्रांसपोर्टेशन के मामले एनजीटी ने जारी किया नोटिस
एनजीटी में किया गया शिकायत FC कंडीशन का उल्लंघन करवा रहे वन विभाग के अधिकारी
राष्ट्र संवाद संवाददाता
हज़ारीबाग़: झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिले के बड़कागांव में एनटीपीसी पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना द्वारा EC के शर्तो में संशोधन लेकर जिले के वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से भारत सरकार द्वारा FOREST CLEARANCE स्टेज 2, F.No 8-56/2009-FC के शर्त संख्या 9 का उल्लंघन कर सड़क मार्ग कोयला परिवहन किए जाने के संबंध में गुरुवार को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के नई दिल्ली ने शाखा के प्रधान बेंच में सुनवाई के बाद नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई सत्रह जुलाई को एनजीटी के कोलकाता ब्रांच में किया जाएगा। एक्टिविस्ट मंटु सोनी की याचिका/शिकायत पर पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता नवेन्दु कुमार ने कोर्ट में पक्ष रखा। कोर्ट ने पक्ष को सुनने के बाद मामले को स्वीकार करते हुए एनजीटी के कोलकाता ब्रांच ट्रांसफर कर दिया है। जिसमें भारत सरकार के वन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय रांची,प्रधान मुख्य वन संरक्षक, झारखंड, प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव,झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रांची, उपायुक्त हज़ारीबाग़ एवं एनटीपीसी को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया गया।
EC के शर्तो में संशोधन लेकर FC के शर्तो का उल्लंघन करवा रहा वन विभाग,कोर्ट हुआ सहमत,कोलकाता ब्रांच में होगी सुनवाई
एनजीटी दिल्ली के प्रधान शाखा में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता नवेन्दु कुमार ने पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना द्वार EC के शर्तों में संशोधन लेकर FC के शर्तों का उल्लंघन कर रही है और वन विभाग चुपचाप बैठी हुई है। शिकायत के बाद कार्रवाई करने के जगह उसके पक्ष में रिपोर्ट बनाती है। अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि FOREST CLEARANCE ( FC) के शर्त में वन्य जीवों के सुगम आवागमन हेतु कन्वेयर सिस्टम से कोयला परिवहन किए जाने का शर्त लगाया गया था। इसके बावजूद एनटीपीसी द्वारा कंवेयर सिस्टम और सड़क मार्ग दोनों से कोयला परिवहन किया जा रहा है। जिसके कारण अब तक दर्जनों आम नागरिक की मौत सड़क दुर्घटना में हो चुकी है और सबसे ज्यादा वन्य जीव प्रभावित हो रहे है ,उनका आवागमन प्रभावित हो रहा है और वन्य जीव भटक कर मानवीय आबादी में घुस जा रहे हैं और मानव जीवन के जान माल,कृषि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उसके बावजूद एनटीपीसी एवं ट्रांसपोर्ट एजेंसियों से प्रभावित होकर पश्चिमी वन प्रमंडल हज़ारीबाग़ के पदाधिकारी FC के कंडीशन को लागू करवाने को लेकर गम्भीर नही है। FC और EC दो अलग-अलग विषय हैं और दोनों डिवीजन के अलग-अलग मानकों के अनुसार शर्तो का पालन करना अनिवार्य किया जाता है। दोनों के लिए दो अलग-अलग कानून हैं। कोर्ट ने पक्ष सुनने के बाद मामले को एडमिट करते हुए आगे की सुनवाई के लिए कोलकाता ब्रांच ट्रांसफर कर दिया।
FC के उल्लंघन पर वन विभाग के अधिकारियों को नही सूझ रहा जवाब दे रहे विरोधभाषी जवाबजांच रिपोर्ट दबाकर बैठे हैं सीएफ
एनटीपीसी पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना द्वारा EC के शर्तो में संशोधन लेकर जिले के वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से भारत सरकार द्वारा FOREST CLEARANCE स्टेज 2, F.No 8-56/2009-FC के शर्त संख्या 9 का उल्लंघन कर सड़क मार्ग कोयला परिवहन किए जाने के संबंध में जिले के वन विभाग के अधिकारियों को अब जवाब नही सूझ रहा है। डीएफओ मौन प्रकाश तो FC के उल्लंघन का जवाब EC के शर्त संशोधन को ही मान कर रिपोर्ट बना चुके हैं। उन्हें इतनी भी समझ नही है कि FC और EC दोनों के लिए अलग-अलग कानून है और किसी भी मंत्रालय के द्वारा उनके पास यह लिखित आदेश नही मिला है कि EC शर्त संशोधन को ही FC के शर्त में छूट दी जाने का प्रावधान है,उसके बाद भी वह एनटीपीसी के पक्ष में रिपोर्ट बना दिए हैं। वहीं क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक आर एन मिश्रा ने कहा कि जांच के लिए आदेश दिए हैं और विभाग से मंतव्य मांगे हैं। वहीं वन संरक्षक ममता प्रियदर्शी ने बीते वर्ष नवम्बर में दो सदस्यीय जांच कमिटी बनाकर एक सप्ताह में रिपोर्ट की मांग की थी। रिपोर्ट के बारे में पूछने पर उनके द्वारा पहले यह कहा जाता है कि डीएफओ से बात कीजिए फिर बोलती हैं अच्छा बात करते हैं न. इसके बाद जांच कमिटी के सदस्य अविनाश कुमार परमार से पूछने पर बताया गया कि जांच रिपोर्ट दे दिया गया है। लेकिन सीएफ ने पल्ला झाड़ लिया। इस प्रकरण में वन विभाग के इतने विरोधभाषी बयान और कुतर्क उनकी भूमिका को संदिग्ध करता दिखता है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक वन विभाग अब भारत सरकार के रीजनल कार्यालय से मंतव्य मांगने की तैयारी में है। वहीं रीजनल कार्यालय के अधिकारी का कहना है कि हम सिर्फ EC के शर्त को जानते हैं FC के बारे में हम कुछ नही बता सकते,इसके बारे में वन विभाग के अधिकारी बताएंगे। वहीं वन विभाग के अधिकारी रीजनल कार्यालय का हवाला देकर FC का उल्लंघन करवा रहे हैं।