शरद पूर्णिमा पर ताजमहल की पांच दिनी नाइट व्यू शुरू, ‘चमकी’ दीदार के सभी स्लाट फुल
आगरा और ताजमहल के लिए यह खास मौका है। ताजमहल का पांच दिनी मून लाइट ताज व्यू गुरुवार से शुरू हो गया। शुक्रवार को साप्ताहिक बंदी की वजह से शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में ताज के दीदार की सैलानियों की हसरत अधूरी रह गईं। लेकिन शनिवार से सोमवार तक ‘चमकी’ दीदार के सभी स्लॉट फुल हैं।
एक दिन में अधिकतम 400 पर्यटक चांदनी रात में ताज को निहार सकते हैं। एएसआई ताजमहल के रोयल गेट के पास रेड सैंड स्टोन प्लेटफॉर्म से ही रात्रि दर्शन कराता है। इससे आगे पर्यटक नहीं जा सकते हैं। जबकि ताज के गुंबद से मुख्य प्रवेश द्वार की दूरी 330 मीटर है। पचास-पचास के बैच में सैलानियों के आठ ग्रुप तीस मिनट के अंतराल से ताज के रात्रि दर्शन के लिए जाएंगे। यह सिलसिला रात्रि साढ़े आठ बजे से साढ़े बारह बजे तक चलेगा।
ताजमहल सुप्रीम कोर्ट की कड़ी निगाहों का भी मरकज है। ताज का रात्रिदर्शन बंद होने के बाद ताज के नाइट विजन को फिर से शुरू करने की बात लगातार उठती रही। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नवंबर, 2004 में कुछ बंदिशों के साथ ताज का रात्रि दर्शन शुरू कर दिया गया।
हर महीने पूर्णमासी पर ताज का रात्रि दर्शन पांच दिन के लिए होगा। इसमें पूर्णिमा से दो दिन पहले और पूर्णिमा के दो दिन बाद तक नाइट विजन की मंजूरी दी गई थी। लेकिन यदि शुक्रवार बीच में है तो ताज महल बंद रहेगा।
शरद पूर्णिमा पर चांद जब धरती के सबसे करीब होता है तो उसकी शीतल किरणें ताजमहल पर अठखेलियां करतीं नजर आती हैं। ताजमहल पर ‘चमकी’ के इस हसीन नजारे को देखने के लिए पर्यटक वर्ष भर बेकरारी से इंतजार करते हैं। कभी ताज पर मूनलाइट पर लक्खी मेला लगता था। ताज पर वो ‘चमकी’ वो चमकी का शोर रात भर सुनाई देता था। लेकिन अब वह दौर गुजरे जमाने की यादों में शेष है।
सन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सुरक्षा कारणों से ‘चमकी’ मेला बंद कर दिया गया। वैसे मूनलाइट मेला कब शुरू हुआ, इसका कोई लिखित इतिहास तो नहीं है। लेकिन यह तय है कि शुरुआत अंग्रेजों ने ही की थी और अंग्रेजों ने चांदनी रात में ताज के सौंदर्य बोध को समझा था। आगरा में आज भी पयर्टन उद्यमियों के लिए मूनलाइट सीजन की शुरुआत मानी जाती है।