आज “संवाद की अदालत” में हमारे साथ हैं बहरागोड़ा के युवा विधायक कुणाल षडंगी, जिनसे हम उनके निजी जीवन, राजनैतिक कैरियर, और झारखंड की राजनीति के हर पहलू के बारे में बातचीत करेंगे।
सवाल: कुणाल जी, आपका राष्ट्र संवाद में स्वागत है। सबसे पहले यह बताइए कि आपने पढ़ाई के बाद राजनीति में आने का निर्णय क्यों लिया?
जवाब: जी धन्यवाद, मेरा मानना है की राजनीति से दूर रहकर आप उसमें सुधार नहीं ला सकते। हर क्षेत्र में अच्छे व बुरे दोनों तरह के लोग होते हैं। बाहर बैठकर राजनेताओं को कोसने से बेहतर है कि हम स्वयं इसका हिस्सा बनें, तथा बदलाव लाने की कोशिश करें। मेरे पिताजी ने मुझे सिखाया है की राजनीति जनता की सेवा करने का एक जरिया है, और इसलिए मैंने अपने क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधि बनकर, उनके हक की लड़ाई लड़ने का फैसला किया।
सवाल: अपने पहले चुनाव में ही आपने कई दिग्गज नेताओं को धूल चटाई थी, उसके बाद आप लगातार क्षेत्र की समस्याओं को उठाते रहे हैं, कुल मिलाकर कैसा रहा यह अनुभव?
जबाब: यह लोकतंत्र की खूबसूरती है की जनता जिसे चाहे उसे अपना प्रतिनिधि चुन सकती है, और मैं बहरागोड़ा की जनता का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने अपने प्रतिनिधि के तौर पर मुझे चुना। पिछले साढे चार सालों में, मैंने अपने जीवन को पूरी तरह से बदला हुआ पाया, चाहे वह सुबह 5:30 बजे गुड़ाबांधा जैसे दुर्गम क्षेत्र में जनता के बीच जाना हो, अथवा रात 11:30 बजे चाकुलिया के गांव में जनता की समस्याएं सुनना। यह मेरा सौभाग्य रहा है कि क्षेत्र की जनता ने मुझे अपना माना, और मुझे अपने सुख दुख का साथी बनाया।
सवाल: कई बार इस बात की चर्चा होती है कि आप झारखंड मुक्ति मोर्चा को छोड़ने वाले हैं इस बारे में आप क्या कहेंगे?
जबाब: (हंसते हुए) वह गीत सुना है ना आपने? “कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना…” तो मैं इस तरह की बातों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। मेरे लिए राजनीति सिर्फ और सिर्फ जनता की सेवा का एक माध्यम है, और कुछ नहीं।
सवाल: आप एक ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, तो गांवों के लिए किए गए कुछ कार्य बतायें।
जवाब: मेरे विधानसभा क्षेत्र की ग्रामीण जनता के लिए मैंने कई सार्थक प्रयास किये हैं। कई गांवों में पेयजल की व्यवस्था हेतु सोलर पंप के साथ ओवरहेड वॉटर टैंक लगवाया है, ताकि उन्हें पीने का स्वच्छ जल मिल सके। इसी उद्देश्य से कई पुराने तालाबों व जलाशयों का पुनरुद्धार किया गया, और जैसा कि आपको पता है कि झारखंड में सिंचाई एक बड़ी परेशानी का सबब रही है, तो कई गांवों में इसके लिए हमने सबमर्सिबल पंप लगवाए, ताकि उसके जल का प्रयोग सिंचाई के लिए हो सके। आपको यह जानकर खुशी होगी कि जिन जिन गांव में यह प्रयोग किया गया है उन गांव की तस्वीर बदल गई है। पहले जहां लोगों को एक फसल पर आफत थी अब वही लोग 2-3 फसल और सब्जियां भी उगा रहे हैं जिससे क्षेत्र में खुशहाली आ रही है। इसके अलावा, कई गांवों में सड़क, सांस्कृतिक भवन, सामुदायिक विकास भवन व अन्य सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं।
सवाल: आप की छवि लीक से हटकर काम करने वाले राजनेता की रही है, इस बारे में हमें कुछ बताएं?
जवाब: मैं अपने क्षेत्र की जनता के लिए और उन तक अधिकाधिक सुविधायें पहुंचाने के लिए कृतसंकल्प हूं, और इसके लिए मुझे जो कुछ भी करना पड़े, उससे मुझे कोई परहेज नहीं है। एक विधायक के सीमित अधिकार होते हैं, और उस पर भी, जब आप विपक्षी दल में हो, तो कई चीजें आपके पक्ष में नहीं होती, इसलिए कई बार हमने अपने क्षेत्र के विकास के लिए यूनिसेफ, कई गैर सरकारी संस्थाओं, और कई निजी कंपनियों को भी जोड़ा, ताकि उनके सीएसआर फंड का इस्तेमाल करके हम लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला पाएं।
सवाल: आपने यूनिसेफ की बात की, उनकी परियोजनाओं के बारे में कुछ बताईये?
जवाब: यूनिसेफ के साथ मिलकर हम बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में कई कार्यक्रम चला रहे हैं। उसमें एक प्रमुख कार्यक्रम है टीबी फ्री बहरागोड़ा का, जिसमें हम टीबी के हर मरीज के इलाज की पूरी निगरानी करते हैं, और यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी, जब तक टीबी का एक भी मरीज यहां है। इसके अलावा, हम लोग बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र को बाल विवाह मुक्त क्षेत्र बनाने के लिए भी एक अभियान चला रहे हैं।
सवाल: आप युवाओं में खासे लोकप्रिय हैं इसका कारण क्या है?
जवाब: इस क्षेत्र का हर व्यक्ति मुझे अपने परिवार के सदस्य मानता है, और खास कर के युवा, मुझे भैया कहकर ही संबोधित करते हैं तो उनसे कनेक्शन आसानी से बन जाता है। वे जानते हैं कि उनकी हर मुसीबत के समय, मैं उनके साथ हूं, और उनकी हर मांग को लेकर मैंने सदैव आवाज उठाई है। उदाहरण के तौर पर कल ही मैं शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव से मिला, और उनसे पारा शिक्षकों, जेटेट अभ्यर्थियों और अन्य मुद्दों पर कई मांगे रखीं। इसके अलावा विधानसभा से लेकर सड़क तक, युवाओं के मुद्दे पर मैंने ना सिर्फ आवाज उठाई है, बल्कि कई आंदोलन भी किए हैं।
सवाल: हमने सुना है कि आप क्षेत्र के सैकड़ों लड़कियों से हर वर्ष राखी बंधवाते हैं, इस बारे में बताइए।
जवाब: जैसा कि मैंने पहले ही कहा यह सभी मेरे लिए एक परिवार की तरह हैं, तो उन से राखी बंधवाना स्वभाविक है। आपको बताना चाहूंगा कि इन बहनों के लिए हमने कई काम किए हैं। उदाहरण के तौर पर बहरागोड़ा कॉलेज झारखंड का पहला को-एजुकेशन कॉलेज है जहां हमने सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाई हुई है। इस साल राखी के अवसर पर हमने इन बहनों के लिए “अज्ञानता से आजादी” नामक अभियान भी चलाया, जिसमें हमने उनकी स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरतों के बारे में खुलकर चर्चा की, उन्हें उससे संबंधित किताबें मुहैया कराई, और हमारे एक्सपर्ट ने उनको सलाह भी दी।
सवाल: बात बहरागोड़ा कॉलेज की हो रही है तो क्या आप छात्रों के हित में किए गए कार्यों का ब्यौरा देंगे?
जवाब: बिल्कुल, अभी पिछले महीने ही बहरागोड़ा कॉलेज में इंटरमीडियट की सीटें बढ़ाने हेतु जेसीएम ने एक आंदोलन किया था, जिसके लिए हम लोगों ने शिक्षा विभाग के सचिव से मिलकर उनकी मांगे स्वीकार करवाई। इसके अलावा, इस कॉलेज में रीडिंग रूम व अन्य कई सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। चाकुलिया क्षेत्र में एक सरकारी डिग्री कॉलेज के लिए मैंने सदन में भी सवाल उठाया था, लेकिन जब तक वह बन नहीं जाता, तब तक हमने स्थानीय शिबू रंजन खाँ डिग्री कॉलेज को स्थाई मान्यता देने की मांग रखी है। बहरागोड़ा कॉलेज के छात्रों के लिए हमने बस सेवा भी शुरू करवाई है।
सवाल: क्या आप उद्योग धंधे व रोजगार के लिए कुछ कर रहे हैं?
जबाब: हमलोग छात्रों को स्किल इंडिया के तहत तकनीकी शिक्षा दिलवा रहे हैं। बहरागोड़ा व चाकुलिया पॉलिटेक्निक मेरे कार्यकाल में शुरू हुये। चूंकि आदित्यपुर में उद्योगों के लिये जमीन की कमी है, तो हम नें सरकार से बात कर के, बहरागोड़ा को आयडा का एक्टेंशन सेंटर घोषित करवाया है, ताकि उधोग धंधों के लिये यहाँ जमीन मिल सके। इसके तहत अभी तक 4 कंपनियां यहाँ आ चुकी हैं, और 2 में काम भी शुरू हो चुका है।
सवाल: यह माना जाता है की बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में बहरागोड़ा का दबदबा है और चाकुलिया कहीं पीछे छूट जाता है इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: ऐसी बात नहीं है, चाहे वह विधायक निधि से संबंधित मामले हो, अथवा अन्य सरकारी योजनाएं, हमने हमेशा इस बात का ध्यान रखा है की चाकुलिया क्षेत्र को विकास में बराबर की हिस्सेदारी मिले, और काफी हद तक हम इस दिशा में सफल भी रहे हैं। हमारा स्थानीय विधायक कार्यालय यह सुनिश्चित करता है कि चाकुलिया के किसी भी फरियादी की फरियाद अनसुनी ना जाए और साथ ही साथ हर योजना में हम अधिकतम लाभ उन्हें पहुंचाने की कोशिश करते हैं। मेरे लिए क्षेत्र का हर गांव, व हर ब्लॉक बराबर है।
सवाल: आपके क्षेत्र में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में आपकी शिकायतें रही हैं?
जवाब: हमारे क्षेत्र में कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका लाभ भी हजारों लोगों को मिल रहा है लेकिन इस क्रम में हमें उन योजनाओं की विसंगतियों को दूर करने की भी कोशिश करनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री आवास योजना में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को मात्र ₹1,30,000 की राशि मिलती है जबकि शहरी क्षेत्र के लोगों को इसका दुगुना मिलता है। एक सच्चाई यह भी है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को निर्माण सामग्री शहरी क्षेत्र से लाने में ट्रांसपोर्टेशन इत्यादि का खर्च ज्यादा लग जाता है, तो उन्हें भी बराबर राशि मिलनी चाहिए, जिसके लिए मैंने कई बार आवाज उठाई है।
सवाल: हाल में ही मुख्यमंत्री जी ने एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान आपको “युवा तुर्क” कह कर संबोधित किया था, कैसा लगता है इस तरह के विश्लेषण सुनकर?
जवाब: वो मेरे पिता जी के सहयोगी रहे हैं, और यह उनका बड़प्पन है कि उन्होंने ऐसा कहा, मैं तो जनता का सेवक हूं और अपने क्षेत्र के विकास के लिए अनवरत प्रयत्नशील हूं। आज मैं जो कुछ भी हूं उसमें मेरे पिताजी, मुख्यमंत्री जी, माननीय हेमंत सोरेन जी और विधानसभा तथा पार्टी में वरिष्ठ साथियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है, तथा इसके लिए मैं उन सभी का आभारी हूँ।
सवाल: आपको सर्वश्रेष्ठ युवा विधायक का पुरस्कार मिला था, इसके अलावा आप कई बार देश विदेश में झारखंड का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, उस अनुभव के बारे में कुछ बताइए।
जवाब: यह मेरा सौभाग्य है कि मेरे प्रयासों को मेरी पार्टी व सरकार द्वारा हमेशा सराहा गया है। रही बात विदेशों में झारखंड का प्रतिनिधित्व करने की, मुझे इस बात पर गर्व है कि मुझे इस लायक समझा गया।
सवाल: आप सोशल मीडिया पर खासे लोकप्रिय हैं, उसकी वजह क्या है?
जवाब: आज सोशल मीडिया हर जनप्रतिनिधि के लिए काफी जरूरी हो गया है, क्योंकि उसके जरिए ना सिर्फ हम सिर्फ जनता तक अपना संदेश पहुंचा पाते हैं, अपने कार्यों को दिखा पाते हैं, बल्कि जनता भी अपनी शिकायतें हम तक उसके जरिए ही पहुंचाती है। हमारी कोशिश रहती है की उन शिकायतों का त्वरित निष्पादन हो।
सवाल: लोकसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन की पराजय के बारे में आपकी क्या राय है?
जवाब: लोकतंत्र में जनता का निर्णय ही अंतिम होता है और हम सभी को उसे स्वीकारना पड़ता है। महागठबंधन की इस पराजय में स्थानीय मुद्दों से ज्यादा राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहे, और मुझे यह कहने में तनिक भी गुरेज नहीं है कि महागठबंधन के राष्ट्रीय नेतृत्व को शायद जनता ने नकार दिया। लेकिन, झारखंड विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाएंगे और इस बार परिणाम कुछ अलग होंगे।
सवाल: एक निजी सवाल, आपके पिताजी (डा. दिनेश षडंगी) की तबीयत के बारे में हम सभी जानना चाहेंगे।
जवाब: पिताजी की तबीयत काफी खराब है, और मेरा पूरा परिवार उनके साथ पहले रांची में और अब कोलकाता में, उनको सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने की कोशिश में लगा हुआ है। हमें उम्मीद है कि वह जल्द ही ठीक होकर वापस आएंगे और मुझे उंगली पकड़कर, फिर एक बार, सही राह दिखाएंगे।
सवाल: पिछले साढ़े चार वर्षों में, कोई ऐसा काम, जो बाकी रह गया हो?
जबाब: विकास तो एक सतत चलने वाले प्रक्रिया है, जिस ओर हमें निरंतर काम करते जाना है। जब हम लोग अमेरिका जैसे विकसित देशों में जाते हैं, जो शायद भारत से बहुत आगे हैं, लेकिन फिर भी, वहाँ भी संसद में बैठकर लोग विकास की बात करते हैं, योजनाएं बनाते हैं, और उनको लागू करते हैं।
मैंने भी, काफी कुछ करने की कोशिश की है, और बहुत कुछ किया जाना बाकी है। जनता के सहयोग व आशीर्वाद से, हम लोग आगे भी, प्रयास करते रहेंगे।
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हर मुद्दे पर बेबाक तरीके से अपनी राय रखने के लिये, हम विधायक कुणाल षडंगी को धन्यवाद देते हैं, और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।