हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने भूमि मुद्दे पर प्रदर्शन व कक्षाओं का बहिष्कार समाप्त किया
हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ (यूओएचएसयू) ने विश्वविद्यालय की सीमा से लगी 400 एकड़ भूमि को विकसित करने की तेलंगाना सरकार की योजना के खिलाफ अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन और कक्षाओं का बहिष्कार वापस ले लिया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को तेलंगाना सरकार से हैदराबाद विश्वविद्यालय के बगल में स्थित भूखंड पर अगले आदेश तक किसी भी प्रकार की गतिविधि पर रोक लगा दी।
यूओएचएसयू के उपाध्यक्ष आकाश कुमार ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की रोक के बाद बृहस्पतिवार को अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन और कक्षाओं का बहिष्कार वापस ले लिया गया तथा प्रदर्शनकारी छात्रों ने शुक्रवार से कक्षाओं में भाग लेना शुरू कर दिया।
यूओएचएसयू और इसके साथ जुड़े अन्य यूनियन तथा हितधारकों ने पारिस्थितिकी संरक्षण चिंताओं का हवाला देते हुए कांचा गचीबोवली में 400 एकड़ भूमि को विकसित करने की राज्य सरकार की योजना के खिलाफ अनिश्चितकालीन प्रदर्शन शुरू किया था और एक अप्रैल से कक्षाओं का बहिष्कार करने की घोषणा की थी।
शीर्ष अदालत ने बृहस्पतिवार को तेलंगाना सरकार से हैदराबाद विश्वविद्यालय के पास स्थित भूखंड पर लगे पेड़ों को हटाने की ‘‘आवश्यकता’’ के बारे में स्पष्टीकरण मांगा और अगले आदेश तक किसी भी गतिविधि पर रोक लगा दी।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद तेलंगाना सरकार ने विश्वविद्यालय के समीप स्थित भूखंड के बारे में समाधान खोजने के लिए हैदराबाद विश्वविद्यालय कार्यकारी समिति, नागरिक संस्था समूहों, छात्रों और अन्य हितधारकों के साथ चर्चा के लिए मंत्रियों की एक समिति गठित करने का निर्णय लिया।
विश्वविद्यालय के छात्रों ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया।
हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष उमेश आंबेडकर ने कहा कि संघ तब तक अपनी लड़ाई जारी रखेगा जब तक कि भूमि की नीलामी की प्रस्तावित योजना को रद्द नहीं कर दिया जाता और पूरे 400 एकड़ के भूखंड को आधिकारिक तौर पर विश्वविद्यालय के नाम पर पंजीकृत नहीं कर दिया जाता।
आकाश कुमार ने कहा कि छात्र विश्वविद्यालय के पूर्वी परिसर (विवादित भूमि) और परिसर के अन्य हिस्सों से पुलिसकर्मियों को हटाने की भी मांग कर रहे हैं और इस संबंध में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है।