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    Home » बढ़ती निगरानी के कारण भारत में सामने आ रहे साइबर धोखाधड़ी के अधिक मामले: अमित शाह
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    बढ़ती निगरानी के कारण भारत में सामने आ रहे साइबर धोखाधड़ी के अधिक मामले: अमित शाह

    Devanand SinghBy Devanand SinghMay 28, 2024No Comments3 Mins Read
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    बढ़ती निगरानी के कारण भारत में सामने आ रहे साइबर धोखाधड़ी के अधिक मामले: अमित शाह

    नयी दिल्ली:  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि पिछले एक साल में देश में साइबर धोखाधड़ी की लगभग 27 लाख शिकायतें दर्ज की गईं और बढ़ती निगरानी के कारण ऐसे अधिक मामलों का पता चल रहा है।

    उन्होंने सप्ताहांत में एक साक्षात्कार में पीटीआई-भाषा से कहा, ”पिछले एक साल में देश में साइबर धोखाधड़ी की लगभग 27 लाख शिकायतें दर्ज की गईं।”

    गृह मंत्री ने कहा कि पहले साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी, लेकिन अब आम जनता के लिए शिकायत दर्ज कराने के वास्ते एक टोल फ्री नंबर उपलब्ध है।

     

     

    उन्होंने कहा, “हमने खातों से लेन-देन को रोकने का प्रावधान किया है। लोग (जब साइबर धोखाधड़ी का मामला होता है) शिकायतें दर्ज कराना शुरू करते हैं और कुछ ही सेकंड में खाते से लेन-देन बंद हो जाता है।”

    यह पूछे जाने पर कि क्या देश में साइबर धोखाधड़ी के मामले बढ़े हैं, शाह ने कहा कि मामले नहीं बढ़े हैं, लेकिन “धोखाधड़ी का अब पता चल रहा है। हमने एक टोल फ्री नंबर भी उपलब्ध कराया है। यही कारण है कि इनका पता चल रहा है।”

    उन्होंने कहा कि संबंधित शिकायतों के सफल समाधान के कारण लोग उस नंबर पर कॉल करते हैं।

    पिछले हफ्ते भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आर्इ4सी) के मुख्य कार्याधिकारी राजेश कुमार ने कहा था कि कंबोडिया, म्यांमा, लाओस और कुछ अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देश अंतरराष्ट्रीय संगठित गिरोहों का केंद्र बन गए हैं जो भारत में वित्तीय धोखाधड़ी, डिजिटल गिरफ्तारी और एटीएम कार्ड गड़बड़ी जैसे साइबर अपराधों को तेजी से अंजाम दे रहे हैं।

     

     

     

    साइबर धोखाधड़ी के मामलों को ज्यादातर आई4सी द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय के साइबर और सूचना सुरक्षा प्रभाग के तहत एक इकाई है। इसे देश में बढ़ते साइबर अपराधों और हमलों से समन्वित एवं व्यापक तरीके से निपटने के लिए अनिवार्य किया गया है।

    वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘आई4सी स्काइप खातों, गूगल और मेटा पर विज्ञापनों, एसएमएस हेडर, सिम कार्ड, बैंक खातों आदि जैसे साइबर अपराध बुनियादी ढांचे की “लगातार निगरानी और अवरोधन” का कार्य कर रहा है।’’

     

     

     

    अपराध और आपराधिक निगरानी नेटवर्क एवं प्रणाली (सीसीटीएनएस) का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने देश में सभी थानों को नेटवर्क के तहत लाने का प्रयास किया है।

    उन्होंने कहा, “यह लगभग पूरा हो चुका है। लगभग 99.5 प्रतिशत थाने अब नेटवर्क से जुड़े हुए हैं। केवल 0.5 प्रतिशत ही शेष बचे हैं। ऐसा कनेक्टिविटी संबंधी मुद्दों के कारण है। जो थाने छूट गए हैं वे बहुत अंदरूनी इलाकों में स्थित हो सकते हैं, किसी पहाड़ी की चोटी पर या जंगल में।”

    यह परियोजना 2009 में शुरू की गई थी जिसे राज्यों और केंद्र के बीच घनिष्ठ समन्वय में क्रियान्वित किया जा रहा है।

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