अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पाकिस्तान को सीधे तौर पर खतरनाक देश करार दिया है. उन्होंने परमाणु हथियार को लेकर कहा है कि ऐसा देश जिसमें आपसी सामंजस्य नहीं है. उनका ये बयान काफी अहम है वो भी ऐसे मौके पर जब बाइडेन खुद भी रूस की धमकी के बाद कह चुके हैं वो भी कड़ी कार्रवाई से चूकेंगे नहीं.
व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर प्रकाशित एक प्रतिलेख में बाइडेन के हवाले से कहा गया है. उन्होंने कहा है कि मुझे लगता है कि पाकिस्तान शायद दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है, जो बिना किसी सामंजस्य के परमाणु हथियार रखता है. अमेरिकी राष्ट्रपति की टिप्पणी वैश्विक स्तर पर बदलती भू-राजनीतिक स्थिति के संदर्भ में की गई थी. उन्होंने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है और देश अपने गठबंधनों पर पुनर्विचार कर रहे हैं.े
उन्होंने कहा कि इस मामले की सच्चाई यह है कि मैं वास्तव में इस पर विश्वास करता हूं कि दुनिया हमें देख रही है. मजाक नहीं है. यहां तक कि हमारे दुश्मन भी यह पता लगाने के लिए देख रहे हैं कि हम इसका पता कैसे लगाते हैं, हम क्या करते हैं. बाइडेन ने इस पर जोर देते हुए कहा कि अमेरिका के पास दुनिया को उस स्थान पर ले जाने की क्षमता है जो पहले कभी नहीं था. उन्होंने कहा कि क्या आप में से किसी ने कभी सोचा था कि क्यूबा मिसाइल संकट के बाद से आपके पास एक रूसी नेता होगा, जो सामरिक परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी दे सकता है.
अमेरिका के दो प्रभावशाली सांसदों ने प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से 1971 में पाकिस्तानी सशस्त्र बलों द्वारा जातीय बंगालियों और हिंदुओं के खिलाफ किए गए अत्याचारों को नरसंहार करार देने का अनुरोध किया गया है. भारतीय-अमेरिकी कांग्रेस सदस्य रो खन्ना और सांसद सीव चाबोट ने शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा में यह प्रस्ताव पेश किया. इसमें पाकिस्तान सरकार से ऐसे नरसंहार में उसकी भूमिका के लिए बांग्लादेश के लोगों से माफी मांगने के लिए भी कहा गया है.
रिपब्लिकन पार्टी के सांसद चाबोट ने ट्वीट किया, हमें वर्षों बाद भी उन लाखों लोगों को नहीं भूलना चाहिए, जो नरसंहार में मारे गए थे. नरसंहार की बात स्वीकारने से ऐतिहासिक रिकॉर्ड मजबूत होता है, हमारे साथी अमेरिकी जागरूक होते हैं और साथ ही भविष्य के साजिशकर्ताओं को यह पता चलता है कि ऐसे अपराधों को बख्शा या भुलाया नहीं जाएगा.