राहुल गांधी के जवाब में झलका एक स्पष्ट दृष्टिकोण
देवानंद सिंह
भारत की राजनीति में कभी-कभी ऐसे क्षण आते हैं, जब विपक्षी नेताओं के भाषण न केवल वर्तमान राजनीति की स्थिति पर टिप्पणी करते हैं, बल्कि देश के भविष्य के लिए एक स्पष्ट दिशा भी निर्धारित करते हैं। सोमवार को राहुल गांधी का राष्ट्रपति के अभिभाषण पर दिया गया जवाब उसी श्रेणी में आता है। उनका भाषण महज राजनीतिक विरोध का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और शिक्षा जैसे मौलिक मुद्दों पर एक गंभीर विमर्श का आह्वान भी था। राहुल गांधी ने अपने भाषण में केवल वर्तमान सरकार की नीतियों पर सवाल नहीं उठाए, बल्कि देश की दीर्घकालिक प्रगति के लिए आवश्यक बदलावों की ओर भी इशारा किया।
राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण की आलोचना से की, जिसमें उन्होंने कहा कि हम सालों से वही पुराने भाषण सुनते आ रहे हैं, जिनमें समस्याओं का वही विश्लेषण और समाधान होता है, लेकिन वास्तविक बदलाव नहीं आता। यह टिप्पणी भारतीय राजनीति की स्थिरता और नीतिगत अपारदर्शिता को उजागर करती है। उनका यह आरोप सीधे तौर पर यह सवाल उठाता है कि क्या हम अपनी समस्याओं को वास्तविक रूप से समझने और उनका समाधान करने में सक्षम हैं या फिर हम महज दिखावे और भाषणों में उलझे हुए हैं।
राहुल गांधी ने न केवल वर्तमान सरकार के साथ ही कांग्रेस के नेतृत्व में 10 साल तक चली यूपीए सरकार को भी रोजगार के मोर्चे पर प्रभावी कदम नहीं उठा सकने को लेकर घेरा। उनका यह बयान सरकारों के बीच निरंतरता और असफलताओं की ओर इशारा करता है। उनका कहना था कि बेरोजगारी की समस्या न केवल आज की एनडीए सरकार के कार्यकाल की, बल्कि कांग्रेस के कार्यकाल की भी थी। विशेष रूप से उन्होंने पीएम मोदी द्वारा पेश की गई ‘मेक इन इंडिया’ योजना को सराहना तो की, लेकिन इसकी सफलता को लेकर जिस तरह सवाल उठाए, उसने केंद्र की मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने की जरूर कोशिश की। बकायदा, उन्होंने आंकड़ों के माध्यम से यह साबित करने की कोशिश की कि इस योजना ने अपेक्षित परिणाम नहीं दिए। 2014 में जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 12 प्रतिशत रह गई है। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर समस्या है।
राहुल गांधी का यह भाषण आर्थिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण था, जिसमें उन्होंने ‘प्रोडक्शन’ और ‘मैन्युफैक्चरिंग’ की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका मानना था कि अगर, हमें देश की आर्थिक प्रगति को सुनिश्चित करना है, तो हमें मैन्युफैक्चरिंग और उत्पादन के क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना होगा। उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे 1990 के बाद से दुनिया भर के देशों ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को मजबूत किया, जिससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए। भारत में वर्तमान स्थिति यह है कि हम ज्यादातर चीजों को असेंबल करते हैं, लेकिन प्रोडक्शन की दिशा में बड़ी प्रगति नहीं हुई। राहुल गांधी का यह बयान एक महत्वपूर्ण संकेत था कि भारत को उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि न केवल अर्थव्यवस्था मजबूत हो, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हों।
राहुल गांधी ने यह भी रेखांकित किया कि भविष्य में टेक्नोलॉजी और शिक्षा का बहुत महत्व होगा। उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे यूपीए सरकार के दौरान कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर में निवेश किया गया, जिससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए। यह उनके दृष्टिकोण को दिखाता है कि भविष्य की अर्थव्यवस्था केवल मैन्युफैक्चरिंग पर निर्भर नहीं होगी, बल्कि तकनीकी कौशल और नवाचार पर भी आधारित होगी। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन के उपयोग का हवाला देते हुए यह कहा कि भविष्य में इलेक्ट्रिक प्रोडक्ट्स, बैटरियां और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर ध्यान देना होगा। उनका यह बयान हमारे शिक्षा और कौशल विकास सिस्टम में बदलाव की आवश्यकता को उजागर करता है। उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि वह इस मामले में हमसे कम से कम दस साल आगे है, और अगर हम बच्चों को अब से ही इन तकनीकी क्षेत्रों की शिक्षा देना शुरू कर दें, तो आने वाले वर्षों में भारत अपनी प्रोडक्शन क्षमता को बेहतर कर सकता है।
राहुल गांधी का यह दृष्टिकोण न केवल भविष्य की दिशा को दर्शाता है, बल्कि यह भी साफ करता है कि अगर हम प्रोडक्शन और तकनीकी शिक्षा पर ध्यान देंगे, तो इससे ना सिर्फ आर्थिक प्रगति होगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। यह आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है, क्योंकि केवल भाषण और योजनाओं से काम नहीं चलेगा। अगर, हमें अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है, तो हमें ठोस नीतियों और दूरदृष्टि से काम करने की जरूरत है। राहुल गांधी ने यह भी बताया कि कांग्रेस का दृष्टिकोण रोजगार, मैन्युफैक्चरिंग, प्रोडक्शन और शिक्षा के विकास की दिशा में स्पष्ट और कारगर होगा। उनका यह भाषण कांग्रेस के लिए एक स्पष्ट संकेत था कि वह भविष्य में भारतीय युवाओं, रोजगार और शिक्षा के मुद्दों को गंभीरता से उठाएगी। यह कांग्रेस के राजनीतिक भविष्य के लिए भी एक कदम था, जिससे वह जनता के बीच एक मजबूत विपक्ष के रूप में स्थापित होना चाहते हैं।
आखिरकार, राहुल गांधी का यह भाषण यह स्पष्ट करता है कि भारत की भविष्यवाणी केवल भाषणों और योजनाओं से नहीं हो सकती। हमें वास्तविक बदलाव के लिए ठोस नीतियों, शिक्षा, तकनीकी कौशल और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। यह भाषण न केवल एक विपक्षी नेता के रूप में राहुल गांधी का दृष्टिकोण स्पष्ट करता है, बल्कि यह एक मार्गदर्शन भी कहा जा सकता है कि भारत को अपनी दिशा बदलने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए। यह भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है और हमें इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।