नई दिल्ली. कोरोना पर राहत की खबर है. भारत 8 महीने बाद दुनिया के टॉप-10 संक्रमित देशों की लिस्ट से बाहर हो गया है. यहां अब 2.22 लाख मरीज ऐसे हैं, जिनका इलाज चल रहा है. ऐसे ही मरीजों को एक्टिव केस कहा जाता है. बाकी एक करोड़ लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1 लाख 50 हजार 151 मरीजों की मौत हो चुकी है. मई में भारत टॉप-10 संक्रमित देशों की सूची में आया था. सितंबर तक दुनिया का दूसरा सबसे संक्रमित देश हो गया था.
पूरी दुनिया में ऐसे एक्टिव केस की संख्या 2.34 करोड़ है. इनमें भारत के केवल 0.94 प्रतिशत मरीज हैं. सबसे ज्यादा 35.67 प्रतिशत एक्टिव केस अमेरिका में हैं. दूसरे नंबर पर फ्रांस है, जहां 10.32 प्रतिशत एक्टिव केस हैं. तीसरे नंबर पर ब्राजील है, जहां 2.78 प्रतिशत एक्टिव केस बचे हैं. देश में कोरोना का पहला केस 30 जनवरी को सामने आया था.
तब से मार्च तक देश में 1425 एक्टिव केस थे. मतलब इन मरीजों का इलाज चल रहा था. इसके बाद से इसमें बढ़ोतरी शुरू हुई. जून तक ऐसे मरीजों की संख्या बढ़कर 2.20 लाख तक हो गई.
17 सितंबर को देश में कोरोना का पीक आया. तब देश में एक्टिव केस की संख्या 10.17 लाख से ज्यादा थी. उस वक्त भारत दुनिया का दूसरा सबसे संक्रमित देश था. अमेरिका पहले नंबर पर था. 17 सितंबर के बाद से इसमें गिरावट शुरू हुई. अक्टूबर तक इसमें तीन लाख से ज्यादा केस घटे और मरीजों की संख्या 7.83 लाख हो गई. अब तक इसमें 9.93 लाख से ज्यादा एक्टिव केस कम हो चुके हैं.
हर 100 मरीजों में 96 लोग ठीक हो रहे
देश में कोरोना मरीजों के ठीक होने की रफ्तार 96.3 प्रतिशत हो गई है. मतलब अब हर 100 मरीजों में 96 लोग ठीक हो रहे हैं. रिकवरी के मामले में भारत दुनिया के टॉप-20 संक्रमित देशों में सबसे आगे है. अमेरिका, ब्राजील, फ्रांस, रूस, स्पेन, ब्रिटेन जैसे कई बड़े देश भी भारत के मुकाबले काफी पीछे छूट गए हैं.
मौत की रफ्तार में 23 प्रतिशत की गिरावट
देश में कोरोना से अब तक 1.4 प्रतिशत यानी डेढ़ लाख मरीजों की मौत हुई है. हालांकि, अच्छी खबर ये है कि इसमें पिछले 4 महीनों से गिरावट हो रही है. सितंबर तक देश में हर दिन 1000 से 1300 मौतें हो रहीं थीं. इसके बाद इसमें गिरावट शुरू होने लगी. आंकड़ों पर नजर डालें तो सितंबर में सबसे ज्यादा 32 हजार 246 लोगों की मौत हुई. अक्टूबर में यह संख्या घटकर 22 हजार 344 हो गई. नवंबर में 15 हजार 17 और दिसंबर में 10 हजार 858 मरीजों ने जान गंवाई. इन तीन महीनों के अंदर मौत की रफ्तार में 23 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.