नई दिल्ली. किसान आंदोलन को दिल्ली बॉर्डर पर 11 दिन पूरे हो चुके हैं. बेशक आंदोलन के चलते दूध-सब्जी की सप्लाई बंद नहीं हुई है, लेकिन उस पर असर दिखना शुरु हो गया है. बड़ी गाड़ियां ना के बराबर ही दिल्ली-एनसीआर में दाखिल हो रही हैं. ज़रूरी सामान की सप्लाई को छोड़ बाकी इंडस्ट्री ने दिल्ली का रुख करना फिलहाल रोक दिया है. इसकी एक वजह यह भी है कि बड़ी गाड़ियों को सड़क पर रास्ता नहीं मिल पा रहा है. इसी के चलते दूध और सब्ज़ी के व्यापारियों ने सप्लाई का अलग ही तरीका निकाला है. डिमांड के बराबर न सही, लेकिन इस तरीके से सप्लाई को बनाए रखा है.
रोहतक सब्ज़ी मंडी में हरी सब्जी के थोक कारोबारी विजय हरवीरा ने बताया कि आमतौर पर हम बड़े कैंटर में सब्ज़ियां दिल्ली-एनसीआर में भेजते हैं. लेकिन आंदोलन के चलते अब मेन रोड पर बड़ी गाड़ियों को रास्ता नहीं मिल पा रहा है. 250 से 300 बड़ी गाड़ियां रास्ते में फंसी हुई हैं. इसलिए अब हम मेन रोड से गाड़ी न भेजकर गांवों के अंदर से गुजरने वाले रास्तों से सब्जी की गाड़ियों को दिल्ली-एनसीआर भेज रहे हैं. इसके लिए हम एक टन तक की क्षमता वाली गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहे हैं. डिमांड पूरी करने के लिए ट्रांसपोर्टर दूसरे ज़िलों से भी गाड़ियां मंगा रहे हैं.
यूपी के दूध कारोबारी निर्वेश शर्मा का कहना है कि एक बड़े टैंकर में 20 से 25 हज़ार लीटर तक दूध आता है. किसी भी आंदोलन के दौरान बड़ी गाड़ियों के साथ जोखिम भी बड़ा होता है. दूसरा इस वक्त दिल्ली-एनसीआर में दाखिल होने के लिए बड़े टैंकरों को आसानी से रास्ता भी नहीं मिल पा रहा है. इसलिए बॉर्डर के पास खड़े 4 से 5 हज़ार लीटर की क्षमता वाले टाटा मैजिक में लगे टैंकरों में बड़े टैंकरों से दूध भर दिया जाता है. इससे ट्रांसपोर्ट के खर्च पर भी ज़्यादा असर नहीं पड़ रहा है.