नई दिल्ली. भारत-चीन के बीच एलएसी पर जारी तनाव कम होता नजर आ रहा है. दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की बातचीत के दौरान बनी सहमति जमीन पर कुछ इलाकों में दिखाई देने भी लगी है, लेकिन चीन अब भी एलएसी पर अपने लाव-लश्कर के साथ मौजूद है. हालांकि चीनी सेनाएं थोड़ी पीछे जरूर हुई हैं, लेकिन पूरी तरह से पीछे नहीं हटी हैं.चरणबद्ध तरीके से सेना को पीछे हटाने की कार्यवाही का पहला चरण गलवान, गोगरा और हॉटस्प्रिंग इलाके से पूरा हो चुका है. हालांकि सेना की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. सेना के सूत्रों की मानें तो चीन की सेना एलएसी से डेढ़ से दो किलोमीटर तक पीछे हटी है. पहले भारतीय सेना ने इसकी पुष्टि की और उसके बाद ही अपनी सेना को वहां से पीछे किया.फिलहाल एलएसी से लेकर जितनी दूर दोनों सेना पीछे गई हैं, उस इलाके को बफर जोन बनाया गया है. इस इलाके में तय समय तक कोई भी सेना नहीं आएगी. वहीं चीन की हर हरकत पर भारतीय सेना ने अपनी पैनी नजर बनाई हुई है और लगातार इस बात को मॉनिटर कर रही है कि चीन आखिर और क्या हरकत कर सकता है. मसलन गलवान इलाके में चीन की तरफ से जो रास्ता बनाया गया है वो अभी पत्थरों वाला कच्चा रास्ता है और अगर इस रास्ते को वो पक्का करता है तो समझा जाएगा कि वो लंबे समय के लिए वहां डटने आया है.इसके साथ ही चीन ने डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया को पैंगोंग पर भी आंशिक रूप से शुरू किया है. कुछ सेना को कम कर फिंगर 4 से फिंगर 5 तक ले गए हैं. लेकिन चीन को फिंगर 8 के पीछे सिरजाप प्लेन तक भेजना है, जहां वो अप्रैल में था. भारत के लिए ये सबसे चुनौती वाला काम होगा. फिलहाल पहले चरण की लगातार मॉनिटरिंग की जाएगी. क्योंकि चीन पर भरोसा करना अब आसान नहीं होगा.