ओलचिकी लिपि के जनक पंडित रघुनाथ मूर्मू की शतवार्षिकी
संथाली संस्कृति का सहभागी है कुशल भारत समूह- नरेश अग्रवाल
राष्ट्र संवाद संवाददाता
रायरंगपुर: संथाली लिपि ओलचिकी की शतवार्षिकी एवं इसके आविष्कारक गुरू गोमकी के रूप में सम्मानित पंडित रघुनाथ मूर्मू की 120 वीं जयंती के अवसर पर उड़ीसा के मयूरभंज जिला स्थित राष्ट्रपति के गांव रायरंगपुर में दो दिवसीय समारोह हुआ जिसमें उड़ीसा के राज्यपाल, झारखंड के मुख्यमंत्री सहित पूरे देश से जनजातीय भाषा के विद्वान, साहित्य-संस्कृति और समाज कल्याण से जुड़े सैकड़ों लोगों ने भागीदारी की।
इस अवसर पर विभिन्न प्रदेशों के जनजातीय विधायक, मंत्री, प्रशासनिक अधिकारी सहित अन्य लोगों ने भी शिरकत की एवं पंडित मूर्मू के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की।
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में संथाली और अन्य जनजातीय समाज के उत्थान को लेकर निरंतर कार्य कर रहे कुशल भारत समूह के कर्णधार नरेश अग्रवाल को विशेष अतिथि के रूप में इस मौके पर आमंत्रित किया गया।
अपने संबोधन में श्री अग्रवाल ने कहा कि संथाली सहित सभी जनजातीय संस्कृति – साहित्य और परंपराएं को संरक्षित – संवर्धित करने की जरूरत है ताकि इस भाषा का प्रचार-प्रसार बढ़े।
पंडित मूल्य के जीवन और कर्म को ऐतिहासिक बताते हुए उन्होंने कहा कि एक गुलाम देश में स्वतंत्र भाषा का आविष्कार करना बहुत बड़ा साहसिक कार्य था जिसे पंडित मूल्य ने न सिर्फ अंजाम दिया बल्कि अपने जीते-जी उसे वैश्विक स्वीकृति दिलाकर गये। कुशल एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा संचालित दिल्ली वर्ल्ड स्कूल में पंडित रघुनाथ मूर्मू के लिए एक स्वतंत्र विभाग स्थापना की भी घोषणा की गई।
श्री अग्रवाल ने कहा कि पुरुलिया के अजोध्या पहाड़ स्थित उनके रिसोर्ट कुशल पल्ली के चारों प्रवेश द्वार जनजातीय व्यक्तित्वों को समर्पित हैं। सैकड़ों युवक-युवती उनके प्रतिष्ठान में सेवा देकर अपनी आजीविका चला रहे हैं। कुशल पल्ली द्वारा ट्राइबल मैराथन राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित है।
कुशल समूह की ओर से संथाली सहित विभिन्न जनजातीय भाषा और संस्कृति को अग्रसर करने के लिए पांच लाख का अनुदान दिया गया।