डोनाल्ड ट्रंप का बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर कदम भारत के अनुकूल: जयशंकर
लंदन:विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है जो भारत के हितों के अनुकूल है और दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार समझौते की आवश्यकता पर सहमत हुए हैं।
लंदन के ‘चैथम हाउस थिंक टैंक’ में बुधवार शाम ‘विश्व में भारत का उदय और भूमिका’ शीर्षक पर आयोजित सत्र के दौरान विदेश मंत्री से नयी अमेरिका सरकार के शुरुआती कुछ सप्ताहों में उठाए गए कदमों, विशेष रूप से ट्रंप की शुल्क योजना को लेकर सवाल किया गया।
जयशंकर ने कहा, “हम एक ऐसे राष्ट्रपति और प्रशासन को देख रहे हैं जो बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है और यह भारत के अनुकूल है।”
जयशंकर ब्रिटेन और आयरलैंड के छह दिवसीय दौरे पर हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति ट्रंप के दृष्टिकोण से हमारे पास एक बड़ा साझा उपक्रम ‘क्वाड’ है जो एक ऐसी समझ है जहां हर कोई अपना उचित हिस्सा देता है… इसमें किसी को भी लाभ नि:शुल्क नहीं मिलता।… इसलिए यह एक अच्छा मॉडल है जो काम करता है।’’
‘क्वाड’ में अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं।
मंत्री ने शुल्क के विशिष्ट मुद्दे पर कहा कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा के लिए फिलहाल वाशिंगटन में हैं। इससे पहले पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ट्रंप ने ‘व्हाइट हाउस’ (अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) में वार्ता की थी।
जयशंकर ने कहा, “हमने इस (शुल्क) विषय पर बहुत खुलकर बातचीत की और उस बातचीत का परिणाम यह हुआ कि हम द्विपक्षीय व्यापार समझौते की आवश्यकता पर सहमत हुए।’’
‘चैथम हाउस’ की निदेशक ब्रोनवेन मैडॉक्स के साथ बातचीत के दौरान विदेश मंत्री ने भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) संबंधी वार्ता पर अपने ‘‘सतर्क आशावाद’’ सहित कई मुद्दों पर व्यापक चर्चा की।
उन्होंने कहा, “यह एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है इसलिए जटिलता को देखते हुए यह स्वाभाविक है कि इसमें समय लगेगा… (ब्रिटेन के) प्रधानमंत्री (केअर) स्टॉर्मर, विदेश मंत्री डेविड लैमी और (वाणिज्य) मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स के साथ मेरी चर्चाओं से मुझे लगातार यह संदेश मिला कि ब्रिटिश पक्ष भी आगे बढ़ने में रुचि रखता है।”
जयशंकर ने कहा, ‘‘…..मैं ‘सतर्क आशावादी’ हूं और उम्मीद करता हूं कि इसमें अधिक समय नहीं लगेगा।’’
विदेश नीति से जुड़े जिन अहम मुद्दों पर चर्चा की गई, उनमें रूस-यूक्रेन संघर्ष में भारत की भूमिका, ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) राष्ट्र समूह का रुख और चीन के साथ संबंध शामिल थे।
उन्होंने कहा, “ हम उन कुछ देशों में हैं जो नियमित रूप से मॉस्को और कीव दोनों से विभिन्न स्तरों पर बातचीत करते रहे हैं… जहां भी यह महसूस हुआ है कि भारत कुछ कर सकता है, हम हमेशा इसके बारे में खुले दिमाग से सोचते रहे हैं। हमारा लगातार यह रुख रहा है कि उन्हें सीधे बातचीत करने की जरूरत है।”
चीन के संबंध में जयशंकर ने अक्टूबर 2024 से हुई कुछ सकारात्मक प्रगति का उल्लेख किया जिसमें तिब्बत में कैलाश पर्वत की तीर्थयात्रा मार्ग का खुलना भी शामिल है।
उन्होंने कहा, “चीन के साथ हमारे संबंध बहुत ही अनोखे हैं, क्योंकि दुनिया में केवल हमारे दोनों देशों की आबादी दो अरब से अधिक है… हम ऐसा संबंध चाहते हैं, जिसमें हमारे हितों का सम्मान हो, संवेदनशीलता को पहचाना जाए और जो हम दोनों के लिए काम करे।”
कश्मीर में मुद्दों को हल करने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा, “अनुच्छेद 370 को हटाना पहला कदम था, कश्मीर में विकास एवं आर्थिक गतिविधि और सामाजिक न्याय को बहाल करना दूसरा कदम था और चुनाव कराना तीसरा कदम था जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने मतदान किया।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि जिस बात का हम इंतजार कर रहे हैं, वह कश्मीर के उस हिस्से को वापस पाना है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। मैं आपको आश्वासन देता हूं कि जब यह हो जाएगा, तब कश्मीर का समाधान हो जाएगा।”
जयशंकर बृहस्पतिवार को आयरलैंड के अपने समकक्ष साइमन हैरिस के साथ बातचीत करेंगे।