महाकुंभ में मची भगदड़ से प्रधानमंत्री मोदी परेशान, CM योगी से की बात, तुरंत मदद का निर्देश
महाकुंभ भगदड़ पर सूत्रों का दावा- 10 लोगों की हुई मौत, अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं
महाकुंभ: संगम तट पर मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान मची भगदड़ में कई लोगों की मौत के बाद सभी 13 अखाड़ों ने शाही स्नान रद्द कर दिया था. बाद में प्रशासन से बातचीत के बाद दिन में 11 बजे के बाद शाही स्नान करने की बात कही जा रही है
प्रयागराज महाकुंभ में बड़ा हादसा हो गया है। मंगलवार की रात को संगम घाट पर भगदड़ मच गई। इस घटना में अभी तक 17 लोगों की मौत की सूचना है। बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। कई लोग दबे हैं। यह हादसा अत्यधिक भीड़ के चलते हुआ। अचानक मची भगदड़ से किसी को संभलने का मौका नहीं मिला।
महाकुंभ के अस्पताल में घायलों को लेकर आने वाली एंबुलेंस का तांता लगा हुआ है। राहत और बचाव कार्य में पूरा प्रशासन जुटा हुआ है। मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि अफवाह के कारण भगदड़ हुई इसमें 17 श्रद्धालुओं की मौत हुई है। 50 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं। सभी को महाकुंभ नगर के केंद्रीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
भगदड़ के बाद अखाड़ा परिषद् का फैसला, आज नहीं होगा अमृत स्नान
प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ मचने के बाद अखाड़ा परिषद् ने फैसला किया है कि मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान नहीं होगा। यह जानकारी अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने दी। उन्होंने कहा कि महाकुंभ प्रयागराज में आज भगदड़ की घटना मचने के बाद अखाड़े ने मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान का कार्यक्रम पूरी तरह रद्द कर दिया है। अब आज कोई भी अखाड़ा अमृत स्नान नहीं करेगा। अखाड़े ने अपने जुलूस भी वापस शिविरों में बुला लिए हैं।
महाकुंभ में मौनी अमावस्या के लिए मंगलवार सुबह से ही श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा हुआ था। दोपहर में बेकाबू भीड़ ने कई स्थानों की बैरिकेडिंग भी तोड़ी। रात में स्नान शुरू होने के बाद संगम में भीड़ अधिक बढ़ गई। संगम तट और उसके आसपास लाखों श्रद्धालु जमा हो गए। अखाड़ों के लिए बनाई गई बैरिकेडिंग भी कुछ स्नानार्थियों ने तोड़ने का प्रयास किया। जिसको जहां से जगह मिलती उधर ही चला जाता। आधी रात के बाद स्नानार्थियों की भीड़ संगम तट के करीब ठहर गई, जिससे स्थिति बिगड़ने लगी। रात करीब दो बजे स्थिति नियंत्रण से बाहर हुई तो भगदड़ मच गई। इधर-उधर भागती भीड़ में जो नीचे गिर पड़ा वह उठ नहीं सका। जिसने भागने का प्रयास किया वह भी दब गया।
बता दें महाकुंभ में आज मौनी अमावस्या का अमृत स्नान है, जिसके चलते हर तरफ श्रद्धालु ही दिखाई दे रहे हैं। प्रशासन के मुताबिक, संगम समेत 44 घाटों पर 8 से 10 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की संभावना है। इससे ठीक, एक दिन पहले यानी मंगलवार को साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। मेला क्षेत्र और शहर में साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच गए। सुरक्षा के लिए 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रमुख महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि महाकुंभ के दौरान संगम घाट पर ‘भीड़’ के कारण सभी अखाड़ों के पारंपरिक स्नान अनुष्ठान को स्थगित कर दिया गया है। हालांकि पुरी ने भगदड़ का जिक्र नहीं किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हम देख रहे हैं कि अब भीड़ कम हो रही है और हम मेला प्रशासन के साथ बातचीत कर रहे हैं।’’
पुरी ने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा, ‘‘अगर भीड़ कम हो रही है, तो हम स्नान करना चाहेंगे।’’
पुरी ने कहा कि वह संतों के पारंपरिक अखाड़ा स्नान अनुष्ठानों को आगे बढ़ाने के लिए मेला प्रशासन से मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं।
कुंभ मेले की परंपरा के अनुसार, तीन संप्रदायों ‘संन्यासी, बैरागी और उदासीन’ से संबंधित अखाड़े संगम घाट पर एक भव्य, विस्मयकारी जुलूस के बाद एक निर्धारित क्रम में पवित्र डुबकी लगाते हैं।
हिंदू धर्म में गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम को अत्यंत पवित्र माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान और विशेष रूप से मौनी अमावस्या जैसी विशेष स्नान तिथियों पर इसमें डुबकी लगाने से लोगों के पाप धुल जाते हैं और उन्हें ‘मोक्ष’ की प्राप्ति होती है।
तीर्थयात्रियों की अनुमानित आमद को देखते हुए मेला अधिकारियों ने मंगलवार को एक परामर्श जारी किया था, जिसमें भक्तों से सुरक्षा और सुविधा के लिए भीड़-प्रबंधन दिशानिर्देशों का पालन करने का आग्रह किया गया था।
तीर्थयात्रियों से संगम घाट तक पहुंचने के लिए निर्धारित लेन का उपयोग करने, स्नान क्षेत्र में पहुंचने के दौरान अपनी लेन में रहने और पवित्र स्नान के बाद घाटों पर देर तक न रुकने के लिए कहा गया था।
उन्हें सुचारू आवागमन सुनिश्चित करने के लिए तुरंत पार्किंग क्षेत्रों या अपने गंतव्यों पर जाने के लिए कहा गया था।
प्रशासन ने इस बात पर जोर दिया था कि ‘संगम के सभी घाट समान रूप से पवित्र हैं’।
हर 12 वर्ष पर आयोजित होने वाला महाकुंभ 13 जनवरी को शुरू हुआ और 26 फरवरी तक जारी रहेगा। मेले की मेजबानी कर रही उत्तर प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम में कुल 40 करोड़ तीर्थयात्री आएंगे।