नई दिल्ली: चीन ने आसमान और जमीन के बाद अब समुद्र में भी हथियारों की जाल बिछा दिया है. ड्रैगन की इस चाल के पीछे भारत के साथ अन्य देशों को भी दबाव में लेना है. दरअसल, चीन ने समुद्र में परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बियों को तैनात कर दिया है. इन पनडुब्बियों के साथ ऐसे रडार भी हैं जो अन्य देशों की पनडुब्बियों की मौजूदगी का पता लगा सकते हैं. अमेरिका, चीन के इस शक्ति प्रदर्शन को एक बड़े खतरे के तौर पर देख रहा है. अमेरिका का मानना है कि समुद्र में परमाणु क्षमता से लैस इन पनडुब्बियों के चीन एशिया में उसके दबदबे को कम करने की कोशिश में है. इस बेस पर ऐसी सुविधाएं विकसित की गई हैं ताकि बलिस्टिक मिसाइलों को स्टोर किया जा सके और उन्हें लोड किया जा सके. जापान और ताइवान के साथ चीन के संबंधों में तनाव की वजह बने साउथ चाइना सी के पास स्थित इस द्वीप में कई जगहों पर ऐंटिने लगे दिखते हैं, जो दूसरे देशों की पनडुब्बियों के बारे में पता लगाने का काम करते हैं. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि समुद्र में मिलिट्री तकनीक के मामले में चीन अब छह दशक बाद अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस के क्लब में साबित हो गया है, जिसके पास समुद्र में भी न्यूक्लियर बलिस्टिक मिसाइल सबमरीन्स हैं. हाल ही में प्रकाशित अपनी सालाना रिपोर्ट में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि पेइचिंग के पास अब समुद्र में भी विश्वसनीय और ताकतवर परमाणु हथियार हैं.