सुशांत मामला- सत्यमेव जयते
जय प्रकाश राय
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के ममाले की सीबीआई जांच को सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी के बाद अब यह उम्मीद जगी है कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। पूरे मामले में फ्लैश बैक पर जाने से एक बात साफ नजर आती है कि सुशांत की मौत के पीछे कोई बड़ी साजिश जरूर है। पहले दिन से ही सुशांत को डिप्रेशन का शिकार साबित करने की एक मुहिम चलाई जा रही थी। यह सब दिया चक्रवर्ती जैसी एक मामूली कलाकार के बूते के बाहर की बात है। उसके बाद से मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार की भूमिका पर लगातार सवाल उठने लगे थे। यदि सुशांत के पिता की शिकायत पर बिहार में प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई होती तो मुंबई पुलिस मामले को ठंडे बस्ते में डालने की पूरी तैयारी कर चुकी थी। एक तरह से देश की सबसे पेशेवर मानी जाने वाली मुंबई पुलिस पर बिहार पुलिस किस कदर भारी पड़ी यह पूरे देश ने देखा। खासकर बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने जिस बेहद संतुलित फिर आक्रमक तरीके से अपने अधिकारियों का बचाव एवं मुंबई पुलिस पर हमले किये उसने भी देश में एक माहौल बनाने का काम किया। उसके बाद से मुंबई पुलिस पर संदेह करनेवालों की संख्या लगातार बढ़ती चली गई।
चूंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामला सीबीआई को सौंपा है इसलिये मुंबई पुलिस या महाराष्ट्र सरकार सीबीआई अधिकारियों के साथ वैसा सलूक नहीं करेगी जैसा बिहार के आईपीएस अधिकारी या बिहार पुलिस के अधिकारियों के साथ किया गया था। यह बेहद आश्चर्य की बात है कि मुंबई पुलिस ने इस मामले में अबतक कोई प्राथमिकी ही दर्ज नहीं की थी। यही कारण है कि बिहार में दर्ज प्राथमिकी को ही पूरे केस की प्राथमिकी मानी गई। मुंबई पुलिस जो इतनी पेशवर मानी जाती है किस बिना पर इस मामले में 56 लोगों का बयान लेती रही, इसके लिये भी सुप्रीम कोर्ट में उसे फटकार मिली है।
इस पूरे प्रकरण में राजनीति को छोड़ दें तो भी बालीवुड में साफ तौर पर दो फाड़ नजर आ रहा है। कंगना राउत या उन जैसे चुनिंदा कलाकारों ने खुलकर सीबीआई जांच की पैरवी की वरना बाकी को सांप सूंघा रहा। जो शेष कई अभिनेता कश्मीर मामले को लेकर या कई घटनाओं को लेकर सड़कों पर कैंडल पोस्टर लिये उतर पड़ते हैं उनको सुशांत मामले में सांप क्यों सूंघ रहा यह भी जांच का विषय है। बालीवुड के ट्वीटर वीर, ‘वीरांगणायेÓ भी अदृश्य नजर आ रहे हैं। यह सब स्वाभाविक तौर पर संदेह पैदा करने वाला है। अब देखना है कि सीबीआई जांच का कोई राजनीतिक इसतेमाल न किया जाये। चूंकि मामले में शिवसेना प्रमुख के बेटे का नाम आ रहा है तो इसके जरिये शिवसेना पर नकेल कसने के बजाय दोषियों को उजागर किया जाना चाहिए।
लेखक चमकता आईना के संपादक हैं