रेखा गुप्ता के चयन से आरएसएस ने आगे बढ़ाई अपनी परिपाटी
देवानंद सिंह
दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता का चयन राजनीतिक दृष्टिकोण से चौंकाने वाला और रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। दिल्ली में भाजपा की मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता का नाम सामने आना, खासकर जब सबसे प्रबल दावेदार के रूप में प्रवेश वर्मा का नाम हटाया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण था।
इस फैसले के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की प्रमुख भूमिका को नकारा नहीं जा सकता, जो एक बार फिर अपनी राजनीतिक शाखा भाजपा पर प्रभावी रूप से अपना दबदबा साबित कर रहा है। रेखा गुप्ता का चयन और इस प्रक्रिया में आरएसएस का मार्गदर्शन, पार्टी की कार्यशैली और भविष्य की रणनीति पर एक बदलाव का संकेत देता कि RSS राजनीति में जिस तरह की परिपाटी को स्थापित करना चाहती है, उसे ही आगे बढ़ाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का वर्चस्व किसी से छुपा नहीं है। भाजपा को उसकी राजनीतिक शाखा के रूप में देखा जाता है। यह संगठन न केवल चुनावी अभियानों में मदद करता है, बल्कि पार्टी की विचारधारा और नेतृत्व को भी आकार देता है। पिछले कुछ समय में, खासकर हरियाणा, महाराष्ट्र और अब दिल्ली में, आरएसएस ने पार्टी की रणनीतियों को सीधे प्रभावित किया है।
दिल्ली में रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री पद के लिए चयन को लेकर जो बातें सामने आई हैं, वह इस बात की पुष्टि करती हैं कि आरएसएस अपने राजनीतिक एजेंडे के तहत भाजपा को एक नई दिशा देने के प्रयास में है। संघ ने इस बार भाजपा को वंशवाद और परिवारवाद से बाहर रखने का निर्णय लिया है।
दिल्ली में मुख्यमंत्री की रेस में कई वरिष्ठ नेता, चर्चित नाम नामी शामिल थे, लेकिन आरएसएस ने इस मुद्दे पर साफ-साफ रुख अपनाया कि भाजपा को परिवारवाद और वंशवाद से दूर रखना जरूरी है। यही कारण था कि प्रवेश वर्मा का नाम इस रेस से बाहर किया गया।
आरएसएस का ध्यान इस बार एक नए और मजबूत चेहरे को सामने लाने पर था, जो पार्टी की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हो और उसे सही दिशा में आगे बढ़ा सके। रेखा गुप्ता का चयन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उनका एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) से जुड़ा हुआ इतिहास और संघ से गहरा नाता उन्हें पार्टी की विचारधारा और संगठनात्मक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बनाता है।
आरएसएस की रणनीति केवल भाजपा को मजबूत करने की नहीं, बल्कि पार्टी में महिला नेतृत्व को भी प्रोत्साहित करने की है। रेखा गुप्ता को इस दृष्टिकोण से भी देखा जा सकता है। संघ का हमेशा से मानना रहा है कि महिलाओं को शक्ति प्रदान करना और उन्हें राजनीतिक मंच पर लाना जरूरी है। रेखा गुप्ता की नियुक्ति को इस विचारधारा से जोड़कर भी देखा जा रहा है, क्योंकि आरएसएस महिला नेताओं को ‘मातृशक्ति’ के रूप में देखता है और इस दृष्टिकोण को पार्टी में लागू करने की कोशिश करता है।
लिहाजा, दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता का चयन न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में है, बल्कि यह भाजपा को एक नया चेहरा देने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। ऐसे समय में जब देश में महिलाओं के अधिकारों और उनके समाज में योगदान को लेकर बहस हो रही है, भाजपा द्वारा महिला मुख्यमंत्री का चयन एक रणनीतिक और प्रतीकात्मक कदम है।
केंद्र में भाजपा की सत्ता को बनाए रखने और उसे मजबूती देने के लिए आरएसएस की भूमिका महत्वपूर्ण है। संघ ने पार्टी के अंदर एकता बनाए रखने और कार्यकर्ताओं के बीच एकजुटता का संदेश दिया है। रेखा गुप्ता का चयन इस तथ्य को भी उजागर करता है कि संघ ने पार्टी में संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक कदम और बढ़ाया है।
यह भी देखा गया है कि भाजपा के अंदर कई बार आंतरिक संघर्ष और नेतृत्व की असमंजसता रही है, लेकिन संघ ने अपने फैसलों से यह सुनिश्चित किया है कि पार्टी में एकजुटता बनी रहे और कोई भी विचारधारा के खिलाफ न जाए। दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में विजेंद्र गुप्ता का चयन, जिन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया और संगठन को एकजुट रखा, इस बात का प्रतीक है कि संघ भाजपा के भीतर लंबे समय से काम करने वाले नेताओं को भी सम्मान दे रहा है।
आरएसएस की भूमिका को समझने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम इसकी रणनीतियों को ठीक से देखें। हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद अब दिल्ली में संघ ने अपनी पकड़ को मजबूत किया है। इन राज्यों में आरएसएस के काम को देखकर यह कहा जा सकता है कि संघ अपनी विचारधारा को बनाए रखते हुए भाजपा के लिए नई राह खोज रहा है। हरियाणा में संघ ने जाट और गैर-जाट समुदायों के बीच संतुलन बनाने में मदद की, वहीं महाराष्ट्र में नेतृत्व की स्थिरता बनाए रखी। दिल्ली में संघ ने भाजपा की विचारधारा को स्पष्ट रूप से लागू किया और एक नई दिशा दिखाई।
आरएसएस का मानना है कि एक मजबूत पार्टी तभी बना जा सकता है, जब उसमें विचारधारा की स्पष्टता, संगठन की मजबूती और कार्यकर्ताओं के बीच एकता हो। इसी दृष्टिकोण से संघ ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार चुना, ताकि पार्टी के भीतर एक नई ऊर्जा और एकता का संचार हो सके।
कुल मिलाकर, रेखा गुप्ता का मुख्यमंत्री बनने का निर्णय न केवल दिल्ली की राजनीति, बल्कि भारतीय राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत है। यह फैसला संघ की रणनीति और भाजपा के भविष्य को दिशा देने की उसकी क्षमता को साबित करता है। संघ ने एक मजबूत, सशक्त और विचारधारा से जुड़ी महिला नेता को आगे बढ़ाकर पार्टी के भीतर एक नई दिशा दिखाई है।
यह कदम भाजपा के लिए न केवल एक नई पहचान देने वाला है, बल्कि भारतीय राजनीति में महिला नेतृत्व के महत्व को भी रेखांकित करता है। रेखा गुप्ता का चयन और संघ की भूमिका, यह दर्शाते हैं कि भाजपा और संघ का भविष्य एकजुटता, विचारधारा और संगठनात्मक शक्ति पर आधारित होगा।