क्या सरकार अखबारों को बंद कर देना चाहती है? क्या कहता है जनविश्वास कानून:सुभाष सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष लीपा
25 सितम्बर को RNI द्वारा जारी किये गए एक नोटिस से समाचार पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशकों में भारी रोष है| देश भर से लघु और मध्यम समाचारपत्रों को चलाने वाले प्रकाशकों ने इस पर अपना विरोध व्यक्त किया है|
RNI ने 25 सितम्बर को अपनी ऑफिशियल वेबसाईट पर नोटिस जारी करते हुए सभी प्रकाशकों को निर्देशित किया था कि समाचार पत्र- पत्रिका के प्रकाशन की प्रत्येक प्रति PIB के रीजनल ऑफिस और दिल्ली के RNI दफ्तर डाक या व्यक्ति द्वारा 48 घंटे के भीतर-भीतर भेजना अनिवार्य होगा|
यदि प्रकाशक 48 घंटे के भीतर हर प्रति रीजनल और RNI ऑफिस में जमा नहीं करते हैं तब प्रकाशकों पर 2000 रूपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा| इस नोटिस का फायदा उठाते हुए RNI द्वारा निर्देशित अधिकारियों ने देर से पहुँचने वाले प्रकाशकों का अपमान करना शुरू कर दिया|
इस सम्बन्ध में लीड इण्डिया पब्लिशर्स एसोसिएशन (लीपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष सिंह ने विरोध जताते हुए सरकार से 48 घंटे की समय सीमा ख़त्म करने की बात कही है| इसके आलावा उन्होंने PRB एक्ट में हुए संशोधन को भी प्रकाशकों को समझाया कि आखिर किस कानून के अंतर्गत RNI ने 48 घंटे का तुगलकी फरमान सुनाया है| उन्होंने कहा कि रेगुलेरिटी के नाम पर 48 घंटे की समय सीमा थोपना ना सिर्फ अतार्किक है बल्कि प्रकाशकों पर अविश्वास जाताना भी है|
उन्होंने कहा कि अगर RNI प्रकाशकों की समस्या सुने बिना इस तरह के अनर्गल नियम लागू करती है तो PRB एक्ट के अच्छे पहलू नजरअंदाज हो जाएंगे और कहीं ऐसा न हो कि जन विश्वास कानून जन अविश्वास कानून बन जाए|
दिल्ली हैड ऑफिस में हुई लीड इण्डिया पब्लिशर्स एसोसिएशन की बैठक में अध्यक्ष सुभाष सिंह ने बोलते हुए कहा कि सरकार ने PRB एक्ट 1968 में संशोधन कर इस कानून को डिक्रिमिनाइज़ेशन करने का जो काम किया है वो स्वागत योग्य है| लेकिन संशोधन के बाद बने PRB एक्ट 2023 को ठीक से समझाया नहीं गया है| जिसका फायदा रीजनल कार्यालय में बैठे लोग उठा रहे हैं और प्रकाशकों को अपमानित कर रहे हैं| इसलिए अब लीड इण्डिया पब्लिशर्स एसोसिएशन PRB एक्ट के प्रावधानों को प्रकाशकों तक पहुंचाने का काम करेगी|
लघु एवं मध्यम समाचार पत्र-पत्रिका के प्रकाशकों के साथ हुई इस बैठक के बाद लीड इण्डिया पब्लिशर्स एसोसिएशन ने प्रकाशकों की चिंताओं को लेकर एक ज्ञापन भी सूचना प्रसारण मंत्रालय को भेजा|
ज्ञापन के अनुसार लीड इण्डिया पब्लिशर्स एसोसिएशन ने मंत्रालय को प्रकाशकों के निम्नलिखित बिन्दुओं से अवगत कराया –
1- 48 घंटे की समय सीमा का उद्देश्य क्या है, रेगुलेरिटी सत्यापित करना या प्रकाशकों को परेशान करना
2- यदि समाचार पत्र PRB एक्ट की धारा 12(VI) के अनुसार अपने 50 प्रतिशत अंक प्रकाशित कर रहा है तब ऐसी समय सीमा और जुर्माने का क्या अर्थ है| धारा 12(VI) के अनुसार 50 प्रतिशत अंक छापने वाले समाचार पत्र और पत्रिका को रेगुलर यानी निरंतर प्रकाशित होने वाला माना जाता है|
3- जनविश्वास एक्ट 2023 के अंतर्गत संशोधित हुई PRB एक्ट की धारा13 (vi) के अनुसार 10 हजार से अधिक रूपये का जुर्माना नहीं लगाया जा सकता, ऐसे में हर प्रति के जमा ना होने पर जुर्माने का नियम कैसे लगाया जा सकता है
4- RNI पर जारी नोटिस को अस्पष्ट रूप से ड्राफ्ट करने का क्या उद्देश्य था
लीड इण्डिया पब्लिशर्स एसोसिएशन का मानना है कि संशोधित कानून प्रकाशकों के लिए अच्छा है लेकिन उस कानून के अच्छे बिन्दुओं को छुपाते हुए अनर्गल नियम बनाकर कानून को बदनाम ना किया जाए| साथ ही RNI में संवाद प्रक्रिया को स्थापित किया जाए ताकि एकतरफा अनर्गल फैसलों पर पहले ही चर्चा हो सके|