मुफ्ती इस्लाम कासमी रहमतुल्ला अलैह की जीवनी पर आधारित किताब “क्या शख्स ज़माने से उठा” का हुआ भव्य लोकार्पण।
राष्ट्र संवाद सं
जामताड़ा: प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान और दारुल उलूम वक्फ देवबंद के हदीस विभाग के वरिष्ठ शिक्षक रहे मुफ्ती मोहम्मद इस्लाम कासमी रहमतुल्ला अलैह की जीवनी पर आधारित पुस्तक क्या शख्स ज़माने से उठा का सोमवार को भव्य लोकार्पण किया गया। यह कार्यक्रम मदरसा नदवतुल इस्लाह, फुकबंदी में आयोजित हुआ, जिसमें झारखंड सरकार के मंत्री डॉ. इरफान अंसारी और मंत्री हफिजुल हसन बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
किताब का लोकार्पण मुफ्ती साहब के फ़र्ज़न्द मौलाना बदरुल इस्लाम कासमी के हाथों सैकड़ों उलमा की मौजूदगी में हुआ। इस मौके पर उपस्थित उलेमाओं ने मुफ्ती इस्लाम कासमी की सादगी, बुलंद अख़लाक और उनके इल्मी योगदान को याद किया। वक्ताओं ने कहा कि मुफ्ती साहब ने न सिर्फ़ इल्म की रौशनी फैलाई, बल्कि अपने किरदार और रहन-सहन से लोगों के दिलों में खास मक़ाम बनाया।
मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले मुफ्ती इस्लाम कासमी जैसे आलिम-ए-दीन ने पूरी दुनिया में अपनी इल्मी शख्सियत का लोहा मनवाया। उन्होंने कहा कि इस किताब के माध्यम से नई पीढ़ी को मुफ्ती साहब की जिंदगी से सीखने का बेहतरीन मौका मिलेगा।
वहीं मंत्री हफिजुल हसन ने अपने संबोधन में 1985 के दौर को याद करते हुए बताया कि उस वक़्त जब इस क्षेत्र में बहुत कम उलेमा थे, तब मुफ्ती इस्लाम कासमी और मौलाना अब्दुल सत्तार सल्फ़ी दो अहम चेहरों में शामिल थे। उन्होंने कहा कि इन दोनों ने इलाक़े की तालीमी तरक्की में बड़ा योगदान दिया।
कार्यक्रम का संचालन मदरसा के नाज़िम मौलाना अब्दुल मुईद कासमी ने किया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से आए उलमा जैसे मौलाना मोहम्मद रिजवान कास्मी (पूर्व शिक्षक, दारुल उलूम देवबंद), मौलाना कमरुद्दीन निज़ामी (गांडे गिरिडीह), मौलाना आफ़ताब आलम नदवी (धनबाद), मुफ्ती इम्तियाज़ (दिल्ली), मुफ्ती जहीरुद्दीन कास्मी (कोलकाता) समेत कई गणमान्य उलमा और मेहमानों ने शिरकत की।
मुफ्ती मोहम्मद सईद आलम ने जानकारी दी कि मौलाना बदरुल इस्लाम, मौलाना अब्दुल मुईद, मुफ्ती कमरुज्जमां सहित मदरसा के शिक्षकों की छह दिन की मेहनत से यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
कार्यक्रम में मौलाना रिजवानुल्लाह कास्मी, मुफ्ती फज़लुर रहमान, कारी जमशेद जोहर, डॉ. अंजर आलम, मौलाना इमरान समेत सैकड़ों की संख्या में उलमा और क्षेत्रीय लोग मौजूद रहे।