चिरूडीह गांव में विशाल जलसे का आयोजन
मदरसे के विद्यार्थियों द्वारा अंग्रेजी, अरबी, उर्दू, हिंदी, भाषाओं में तकरीर प्रस्तुत किया गया।
समाज को बेहतर बनाने में सर्वप्रथम शिक्षा पर जोर देना एक बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रेरक कदम है -मौलाना अब्दुल गफ्फार सलफी।
सद्दाम हुसैन
संवाददाता/जामताड़ा
जामताड़ा जिले के नारायणपुर प्रखंड अंतर्गत चिरूडीह गांव में मदरसा मोहम्मदिया तजवीदुल कुरान में शनिवार को रात्रि में विशाल जलसे का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम मदरसे के विद्यार्थियों द्वारा अंग्रेजी, अरबी, उर्दू, हिंदी, भाषाओं में तकरीर प्रस्तुत किया गया। मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में बनारस से आए हुए मौलाना अब्दुल गफ्फार सलफी ने संबोधित किया उन्होंने कहा समाज को बेहतर बनाने में सर्वप्रथम शिक्षा पर जोर देना एक बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रेरक कदम है। शिक्षा किसी भी समुदाय के विकास और प्रगति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षा से न केवल व्यक्तिगत विकास होता है, बल्कि यह समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है। यह लोगों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करती है, और उन्हें अपने जीवन में बेहतर निर्णय लेने में मदद करती है। इस्लामी शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मुस्लिम समुदाय के लोगों को अपने धर्म के बारे में जानने और समझने में मदद करती है। इस्लामी शिक्षा से लोगों को अपने धर्म के मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में जानकारी मिलती है, जो उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करती है। इस्लामी शिक्षा में कुरान, हदीस, और इस्लामी इतिहास जैसे विषयों का अध्ययन शामिल है। अल्पसंख्यक मुस्लिम बच्चों के लिए इस्लामी शिक्षा के साथ-साथ डॉक्टर, इंजीनियर, और अन्य पेशेवर क्षेत्रों में करियर बनाना बहुत महत्वपूर्ण है। इस्लामी शिक्षा से बच्चे अपने धर्म के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं और अपने मूल्यों और सिद्धांतों को समझते हैं। इसलिए, बच्चों को इस्लामी शिक्षा के अलावा अन्य पेशेवर क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना बहुत महत्वपूर्ण है। हलाल कमाई के बारे में समझाने से मुसलमानों को अपने जीवन में इस्लामी मूल्यों को लागू करने में मदद मिलती है। यह उन्हें अपने व्यवसाय और वित्तीय लेन-देन में ईमानदारी और न्याय के साथ व्यवहार करने के लिए प्रेरित करता है। इस्लामी शिक्षा के अनुसार जीने से लोगों को अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद मिलती है। यह उन्हें अपने धर्म के मूल्यों को व्यावहारिक रूप में लागू करने में मदद करता है और उन्हें एक बेहतर मुसलमान बनने में मदद करता है। लोगों ने इस्लामी शिक्षा के अनुसार जीने की शपथ लिए और अपने बच्चों को शिक्षित करने पर संकल्पित हुए। जलसे का संचालन हाफिज अलाउद्दीन असरी ने किया। मौलाना नसीम यूनुस आल्यावी, मौलाना मोहम्मद सलफी, मौलाना मोहिउद्दीन आदि ने संबोधित किया। वहीं उक्त कार्यक्रम में मदरसे के संचालक हाफिज मोहम्मद शमीम अख्तर जामी ने सभी अतिथियों एवं दूर दराज विभिन्न गांव से जलसा सुनने आए लोगों का स्वागत किया। मास्टर शफीउल्लाह, हाफिज नईमुद्दीन मोहम्मदी, मौलाना मंसूर आलम फैजी, मौलाना जफरुद्दीन सल्फी, मौलाना जहीरूद्दीन, हाफिज मकसूद आलम मोहम्मदी,सहित कई अन्य ने जलसा में कामयाब करने में सहयोग दिया। इस अवसर पर जामताड़ा जिला मोमिन कॉन्फ्रेंस के अलावा कई तंजीमो के जिम्मेदारों ने शिरकत किया। जामताड़ा एवं गिरिडीह धनबाद जिले के विभिन्न गांव से लगभग 10000 से अधिक संख्या में जवान बुजुर्ग महिला जलसा सुनने पहुंचे थे।