कड़ाके की ठंड में ठिठुरते जरूरतमंद: चुनाव में मिली शिकस्त,गायब हुए समाजसेवी, सफेदपोश नेता उठे सवाल
राष्ट्र संवाद संवाददाता
चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में इन दिनों पड़ रही कड़ाके की ठंड ने गरीबों और निसहायों के लिए भारी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। जरूरतमंद लोग ठंड से बचने के लिए पर्याप्त कपड़ों और कंबलों की आस में हैं, लेकिन उनकी मदद को कोई आगे नहीं आ रहा। चुनाव के समय सामाजिक संस्थाएं – जन सेवा ही लक्ष्य “सेवा ही संकल्प है” नामक समाजसेवी संस्थाएं सहायता के नाम पर वोट मांगने वाले नेता और सामाजिक कार्यकर्ता अब क्षेत्र से नदारद हैं।
*चुनावी वादे और हकीकत का अंतर*
ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में पिछली चुनावी गतिविधियों के दौरान गरीबों, वृद्धों और जरूरतमंदों को मदद के नाम पर वोट बटोरने की राजनीति जोरों पर थी। सामाजिक संस्थाएं – जन सेवा ही लक्ष्य “सेवा ही संकल्प है” जैसी संस्थाएं समाज सेवा के माध्यम से जनता का ध्यान आकर्षित करने में जुटे थे। लेकिन चुनाव समाप्त होने के बाद यह सेवा और संकल्प कहीं गायब हो गए।
*ठंड ने खोली सच्चाई की परतें*
इस सर्द मौसम ने स्वार्थी राजनीति और तथाकथित समाजसेवियों की पोल खोल दी है। जरूरतमंदों की मदद के लिए कोई भी नेता या संस्था सामने नहीं आ रही है। गरीबों की सेवा करने का संकल्प और लक्ष्य केवल चुनाव तक ही सीमित था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मानव सेवा के नाम पर स्वार्थ साधने की यह प्रवृत्ति बढ़ रही है।
*जनता ने दिखाया आईना*
ईचागढ़ की जनता ने 2024 के चुनावों में स्वार्थी राजनीति को स्पष्ट सबक सिखाया कि अब जनता सिर्फ उन पर भरोसा करेगी जो वास्तविक रूप से सेवा के प्रति समर्पित हैं।
आज की स्थिति में जरूरत है कि नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मानवता को प्राथमिकता दें और ठंड से जूझ रहे गरीबों, वृद्धों और निसहायों की मदद के लिए आगे आएं.