संथाल काटा पोखर के इतिहास को लेकर हुई जन जागरूकता कार्यक्रम
रानीश्वर ( दुमका )
राष्ट्र संवाद संवाददाता
शुभेन्दु भट्टाचार्य की रिपोर्ट
संथाल विद्रोह के समापन के मार्मिक इतिहास को लेकर गोटा भारत सिद्धों कान्हू हूल बैसी, भारत सेवाश्रम संघ दुमका शाखा के पाथरा के स्वामी प्रणबानंद बिद्या मंदिर के सचिव स्वामी नित्यव्रता नंद एवं बांग्ला भाषा व संस्कृति रक्षा समिति के संयुक्त सहयोग से जन जागरूकता पद यात्रा हुई । रविबार भारत।सेवाश्रम संघ दुमका शाखा के पाथरा के आश्रम के छात्र ,शिक्षक ,अविभाबक ने पद यात्रा निकाल कर दिगुली के संथाल काटा पोखर पंहुच कर संथाल बिद्रोह के शहीद नायको को श्रद्धांजलि अर्पित किया हैं । कार्यक्रम में आश्रम के स्वामी नित्यब्रता नंद महाराज हूल बेशी के कोषाध्यक्ष सनातन मुर्मू ,गमानियल हांसदा एक्टिंग प्रेसिडेंट परमेश्वर कुमार हेम्ब्रम पेटर्न सुलेमान मरांडी मीडिया प्रभारी आश्रम के स्वामी नित्यव्रता नंद , भाषा समिति के प्रदेश सचिव गौतम चटर्जी मौजूद थे ,बैठक संथाल काटा पोखर के इतिहास को लेकर इतिहासकार गौतम ने बिस्तर से प्रकाश डाला है ।बताया हैं कि 1855 के संथाल विद्रोह के 150 साल के बाद भी वह इतिहास दबा हुआ था । बर्ष 2000 में झारखंड बंग भाषी जागरण पत्रिका में सर्वप्रथम उस पोखर के इतिहास को प्रकाशित किया गया हैं ।दो दशक से उस इतिहास को बांग्ला एवं हिंदी पत्र पत्रिका में प्रकाशित किया गया हैं । दुमका के पूर्व उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने उस इतिहास को संज्ञान में लेकर पोखर को धरोहर के रूप में चिन्हित किया हैं । कार्यक्रम में फादर सोलेमान ,सच्चिदानंद सोरेन , इनोसेंट सोरेन ,सुलेमान मरांडी शिबधन सोरेन डॉ असीम लायेक , दिगुली के ग्राम सभा के अध्यक्ष श्याम राय , स्नेह लता सोरेन ,सिधो कान्हू बिरसा बिश्व विद्यालय के लाइब्रेरियन बेल टुडू ने कार्यक्रम में बड़चड़ कर भाग लिया हैं ।मौके पर सांसद नलिन सोरेन अपने समर्थक सिद्धार्थ लाहा ,डा अब्दुल रईस खान ,बख़्सिस हुसैन खान एवं अन्य कार्यकर्ताओं के साथ संथाल काटा पोखर पंहुच कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित किया हैं