बाल विवाह एवं बाल हिंसा विषय पर जागरुकता/उन्मुखीकरण हेतु आयोजित कार्यक्रम का उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी जामताड़ा श्री शशि भूषण मेहरा (भा०प्र०से०) ने किया विधिवत शुभारंभ
बाल विवाह जैसी कुरीतियों को समाप्त करना केवल प्रशासनिक कार्य नहीं है, बल्कि सभी के परस्पर सहयोग से ही इस बुराई को जड़ से समाप्त किया जा सकता है – उपायुक्त*
उपायुक्त ने जिलेवासियों से किया अपील बोले – अपने बेटे बेटियों को बिना भेदभाव किए अच्छी शिक्षा दें, कम उम्र में शादी के दलदल में ना धकेलें, संकल्प लें कि कम उम्र में बच्चों की शादी नहीं करेंगे – उपायुक्त
आज दिनांक 04.11.2023 को समाहरणालय सभागार में बाल विवाह एवं बाल हिंसा विषय पर उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी जामताड़ा श्री शशि भूषण मेहरा (भा०प्र०से०) की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी श्री शशि भूषण मेहरा (भा०प्र०से०), जिला जनसंपर्क पदाधिकारी श्री दीपक राम, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमति कलानाथ एवं अन्य के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
*कुप्रथा की समाप्ति हेतु सभी के परस्पर सहयोग की आवश्यकता*
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपायुक्त ने कहा कि जामताड़ा जिला बाल विवाह जैसी कुरीतियों से शिकार है। इन कुरीतियों को समाप्त करना केवल प्रशासनिक कार्य नहीं है, यह सामाजिक जागरूकता का विषय है, जिसे सभी के परस्पर सहयोग में जागरूकता से ही इस बुराई को समाज से समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि जब किसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए सरकार कानून बनाती है तो समाज में इसका तीव्र विरोध होता है। उदाहरण के तौर पर देखें तो सती प्रथा समाप्त करने हेतु कानून लागू होने पर इसका कड़ा विरोध हुआ, यह एक जघन्यतम अपराध था। लेकिन धीरे धीरे सामाजिक स्तर पर जागरुकता होने एवं प्रयास के उपरांत सती प्रथा का जड़ से उन्मूलन हुआ। इसी प्रकार जागरूकता एवं सामाजिक सहयोग से ही इसे समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आंकड़े बता रहे हैं कि जिले में होने वाला हर दूसरा विवाह बाल विवाह है, यह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है, उन्होंने सभी हितधारकों को 31 अक्टूबर से 14 नवंबर तक चलने वाले अभियान के दौरान विभिन्न गतिविधियों के बेहतर संचालन को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिया।
*माता पिता बच्चों की कम उम्र में शादी करके यह न सोचें की उनके दायित्व पूर्ण हो गए, यह जघन्य अपराध है*
उपायुक्त ने कहा की दुर्भाग्य से बच्चों की शादी उस वक्त हो जाती, जब वे खुद अपरिपक्व होते हैं, उनका स्वयं का मानसिक, शारीरिक विकास ठीक से नहीं हो पाता है, यह बेहद गंभीर बात है। बच्चों को जब बच्चे होने लगेंगे तो वे अपंग होंगे, कुपोषित होंगे, अपंग हो सकते हैं, मृत्यु दर बढ़ेगा कई प्रकार की सामाजिक समस्याएं बढ़ेगी, जो किसी भी स्तर से मान्य नहीं है। इसलिए बच्चे जब इस बोझ को संभालने के लिए परिपक्व हो जाए तभी उनका ब्याह करें। वहीं कम उम्र में शादी को लेकर सभी को इसके विरोध में खड़ा होना पड़ेगा।
*मीडिया, समाज एवं स्थानीय स्तर पर समाज के बुद्धिजीवी वर्ग की भूमिका अहम*
उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधिगण, समाज के बुद्धिजीवी वर्ग, मीडिया बंधु सभी का यह दायित्व है कि समाज को इस दुष्चक्र से बाहर निकालने में अपनी सक्रिय भूमिका को निभाएं। अक्सर माता पिता यह सोचते हैं कि अपने बच्चों की शादी कर के वो अपने दायित्वों से परिपूर्ण हो गए हैं, मुझे लगता है यह एक जघन्यतम अपराध है। यह सिर्फ कानून के भय से समाप्त नहीं होगा। उपायुक्त ने मीडिया से अपील करते हुए कहा कि इसे रोकने में आपकी भूमिका और भी अहम हो जाती है, आप लोग अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें ताकि इसका जड़ से उन्मूलन हो सके।
*बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को दें सूचना, होगी कार्रवाई*
उन्होंने जिले वासियों से अपील है कि अगर अपने आस-पास बाल विवाह हो रहा है तो आप अपने क्षेत्र के बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (उपायुक्त, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, अनुमंडल अधिकारी, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, अंचल अधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, प्रखण्ड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, महिला पर्यवेक्षिकायें, पंचायत सचिव,) या स्थानीय कानून प्रवर्तन अधिकारीयों या बाल संरक्षण एजेंसियों, 112 या चाइल्ड लाईन 1098 पर रिपोर्ट कर सकते है।
*बाल विवाह को जड़ से उन्मूलन हेतु महाआंदोलन के रूप में लेना होगा*
मौके पर जिला जनसंपर्क पदाधिकारी ने कहा कि इक्कीसवीं सदी में हम सभी जी रहे हैं और समाज में इस तरह की कुप्रथा पर आज भी चर्चा करना यह दुखद है, हमलोग सरकार एवं समुदाय दोनो से जुड़े हैं, ऐसे में हमारा दायित्व बेहद अहम है। इस कुप्रथा का घातक प्रभाव हमारे नौनिहालों पर पड़ रहा है, जिसे हम सभी को महाआंदोलन की तरह लेना होगा एवं इसके उन्मूलन के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे।
*जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने विस्तार पूर्वक दी अभियान की जानकारी*
वहीं जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने इस विषय पर पूरे अभियान के दौरान की गतिविधियों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। वहीं पीपीटी के माध्यम से बताया गया की राज्यों में पहले स्थान पर पश्चिम बंगाल है जबकि झारखंड पांचवे नंबर पर जबकि झारखंड के जिलों में जामताड़ा प्रथम स्थान पर है। वहीं इस दौरान जेएसएलपीएस डीपीएम, सीडब्ल्यूसी के सदस्यगण सहित अन्य ने इस कुप्रथा के रोकथाम को लेकर कई जानकारी को साझा किया।
जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक कुप्रथा है, साथ ही यह एक कानूनन अपराध है इस कुप्रथा को रोकने के लिये सरकार द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम बनाए गए हैं जो निम्न प्रकार हैः-
*बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006*
🔹 *अधिनियम के मुख्य प्रावधान :-*
▪️यह अधिनियम समाज में बाल विवाह पर रोक लगाने हेतु लागू किया गया है, इस अधिनियम के अन्तर्गत 21 वर्ष से कम आयु के लड़के या 18 वर्ष से कम आयु की लड़की के विवाह को बाल विवाह के श्रेणी में रखा जाता है।
▪️इस अधिनियम के तहत बाल विवाह दण्डनीय अपराध है।
▪️ बाल विवाह करने वाले व्यस्क पुरूष या बाल विवाह सम्पन्न कराने वाले को इस अधिनियम के तहत 2 वर्ष के कठोर कारावास या 1 लाख जुर्माना या दोनों सजा से दंडित किया जा सकता है।
▪️ इस अधिनियम के अन्तर्गत किये गये अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होंगे।
▪️इस अधिनियम के अन्तर्गत अव्यस्क बालक/बालिका के विवाह को अमान्य करने का प्रावधान है।
*कार्यक्रम में इनकी रही उपस्थिति*
इस अवसर पर जिला परिषद अध्यक्ष श्रीमती राधा रानी सोरेन, जिला शिक्षा पदाधिकारी डॉ गोपाल कृष्ण झा, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी श्री आनंद ज्योति मिंज, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी श्री दीपक राम, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमति कलानाथ, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी श्रीमति अंजू पोद्दार, प्रखंड विकास पदाधिकारी नारायणपुर श्री मुरली यादव, प्रखंड विकास पदाधिकारी करमाटांड श्री सफी आलम, डीपीएम जेएसएलपीएस श्री राहुल रंजन, सीडब्ल्यूसी सदस्य, महिला पर्यवेक्षिका, विभिन्न संगठनों के सदस्यगण आदि उपस्थित रहे।