सीएम आवास में ईडी करेगी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ, सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था के बीच एक बार फिर झंझट में झारखंड की धुंधली तस्वीर दिखाने लगी है कल की बैठक के बाद यह कयास लगाने लगे थे राजनीतिक पंडित की कल्पना सोरेन मुख्यमंत्री विशेष परिस्थिति में बन सकती है परंतु देर शाम परिवार में ही विरोध की तस्वीर ही नहीं आई बल्कि मीडिया में बयान भी चलने लगा विधायक सीता सोरेन का ऐलान कल्पना मंजूर नहीं, सस्पेंस बरकरार
झारखंड में चल रहा राजनीतिक घटनाक्रम झारखंड की सियासत के लिए काफी अहम रहा है. रविवार से मंगलवार तक जिस तरह की राजनीति और जिस तरह की बातें झारखंड में बाहर निकाल कर आई है वह निश्चित तौर पर झारखंड के स्थिरता और अस्थिर करने वाली राजनीति के बीच चल रहे द्वंद का बड़ी और शायद देश की पहली राजनीतिक घटनाक्रम बनेगा
उधर झारखंड के राज्यपाल डॉक्टर सीपी राधाकृष्णन ने मंगलवार को राज्य के मुख्य सचिव डीजीपी और गृह सचिव को राजभवन तलब किया
झारखंड में राजनीतिक संकट के बीच हेमंत सोरेन के लिए एक नई असमंजस की स्थिति बन गई है. कल्पना सोरेन को सीएम बनाने की चर्चा के बीच भाभी और विधायक सीता सोरेन ने कल्पना को सीएम के तौर पर स्वीकार करने से इनकार कर दिया है
कब तक चुप रहूंगी… कब तक सहूंगी… झारखंड में छिड़े सियासी घमासान के बीच झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू सह जामा विधायक सीता सोरेन ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर उनके देवर हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाते हैं तो वह उस फैसले को स्वीकार नहीं करेंगी. ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह से फोन पर बातचीत के दौरान सीता सोरेन ने अपने संघर्षों की कहानी बताई.
उन्होंने कहा कि इस पार्टी को खड़ा करने के लिए बाबा (शिबू सोरेन) के साथ उनके दिवंगत पति दुर्गा सोरेन ने कंधा से कंधा मिलाकर काम किया. उनके इस संघर्ष में मैं हमेशा उनके साथ खड़ी रही। सीता सोरेन ने कहा कि दो छोटी बच्चियों को मैंने कितनी तकलीफों से पाला है, यह मैं ही जानती हूं. इसी बीच मेरे पति दुर्गा सोरेन चल बसे. उस हालात में मैंने न जाने कितने त्याग किए. लेकिन अब चुप नहीं रहूंगी.
उन्होंने कहा कि हक क्यों नहीं मांगूंगी. अगर देवरानी कल्पना सोरेन को सीएम बनाया जाएगा तो क्या हमारी उपेक्षा नहीं होगी. इससे क्या हमारे दिवंगत पति के संघर्षों की उपेक्षा नहीं होगी. मैं इस घर की बड़ी बहू हूं और इसपर मेरा हक बनता है.
सीता सोरेन ने कहा कि अगर मैं राजनीति में नहीं रहती तो कभी हक नहीं जताती. 2019 के चुनाव में मुझे लगा था कि सम्मान मिलेगा, लेकिन नहीं मिला. हेमंत सोरेन सीएम बने तो मैंने उस फैसले को स्वीकार कर लिया लेकिन उनकी पत्नी को सीएम स्वीकार नहीं करूंगी. देवरानी कल्पना सोरेन भी राजनीति में नहीं है. इसलिए उनका हक नहीं बनता है.
सीता सोरेन ने कहा कि राजा को राजा की तरह व्यवहार करना चाहिए. मेरी बेटियां बड़ी हो गई हैं लेकिन उनकी शादी की चिंता तक नहीं है किसी को. अगर हेमंत सोरेन को अपने बड़े भाई की बेटी से प्यार है तो पिता के तौर पर उसे आशीर्वाद दें. उसको मुख्यमंत्री बनाएं. तब जाकर झारखंड के लोग समझेंगे कि इंसाफ हुआ है.
बरहहाल सब की नजर आज पर टिकी है ED के रूख के बाद झारखंड की क्या तस्वीर बनेगी इस पर पूरे झारखंड की नजर रहेगी