मुख्यमंत्री जी !काश, ये चर्चा अच्छे कार्यों के लिए होती दवा जरा कड़वी है सहन कीजिए
कल पढ़ें विपक्ष की भूमिका भी कटघरे में
देवानंद सिंह
इन कल पढ़ें दिनों झारखंड काफी चर्चा में है। भ्रष्टाचार, क्राइम और सियासी संग्राम को लेकर। हर दिन नई-घटनाएं घट रहीं हैं। सियासी संग्राम तो झारखंड में शुरू से ही चलता रहा है, लेकिन यहां पिछले दिनों जिस तरह भ्रष्टाचार को लेकर आईएएस पूजा सिंघल का मामला रहा, इस वक्त क्राइम को लेकर अंकिता का प्रकरण पूरे देश में चर्चा में है। राज्य में जिस तरह को घटनाएं घट रहीं हैं, उसमें नहीं लगता कि राज्य में सरकार और कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज है।
दुमका में किस तरह एक मासूम बच्ची को इसके घर में पेट्रोल डालकर जला दिया जाता है, वहीं पलामू में कुछ मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा आदिवासियों के घर जला दिए जाने की घटना सामने आई है। वहीं, राज्य में लगातार बंग्लादेशी घुसपैठियों के घुसने की भी खबरें सामने आती रहती हैं। जो घटनाएं शासन और कानून व्यवस्था की नाकामी को प्रदर्शित करती हैं। जब ये घटनाएं राज्य में घट रहीं थीं, तब पूरी की पूरी सरकार ही राज्य में नहीं थी। विधायक पिकनिक मना रहे थे। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों को जनता की चिंता कहां है,
वे केवल और केवल अपनी कुर्सी बचाने में जुटे रहे, इसके लिए न केवल उन्होंने रायपुर के शानदार रेस्तरां में वक्त गुजारा, बल्कि कई तो राजधानी दिल्ली और बंगाल में पिकनिक मनाते नजर आए। इन परिस्थितियों को वजह से ही राज्य का यह हाल हो रहा है, जब सरकार ही डर की वजह से इधर-उधर भागती नजर आ रही है तो आम आदमी का डरना लाजमी तो है ही,
बल्कि दुमका और पलामू जैसी घटनाएं भविष्य में नहीं घटेंगीं, इससे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है। उधर, सीएम से लेकर दूसरे मंत्री राज्य की चिंता करने के बजाय राजनीतिक बयानबाजी देने में जुटे हैं। खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कह रहे हैं कि उन्हें आदिवासी मुख्यमंत्री होने की वजह से बदनाम किया जा रहा है, लेकिन उनसे यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या राज्य में हो रहीं घटनाएं आपकी सरकार की असफलता को कहानी बयां नहीं कर रहीं हैं ? अगर, सरकार सही काम करेगी तो उसे बदनाम कैसे किया जा सकता है। जैसा काम होगा, उसकी वैसी आवाज आएगी,
लिहाजा मुख्यमंत्री के बयान में दम नजर नहीं आता है। नेशनल क्राइम कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में महिला हिंसा का आकंड़ा डेढ़ गुणा बढ़ गया है। वहीं, देश में सबसे ज्यादा दंगे भी झारखंड ही हुए हैं। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी झारखंड सरकार से कानून व्यवस्था को लेकर सवाल कर चुका है।
अब विपक्ष भी सरकार पर सवाल उठा रहा है।राज्य के लिए सबसे अधिक चिंता का विषय यह है कि बंग्लादेशी घुसपैठी यहां की आदीवासी महिलाओं से विवाह करके उन्हें लव जिहाद का शिकार बना रहे हैं और सरकार के लोग इन सब बातों पर बिल्कुल ही चुप्पी साधे हुए हैं, जिसकी वजह से हेमंत सोरेन सरकार पर से लगातार जनता का विश्वास भी उठता जा रहा था। अगर, सरकार ने अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचार, क्राइम आदि पर लगाम लगाते हुए राज्य के विकास पर ध्यान दिया होता तो यह नौबत कतई नहीं आती।
कल विपक्ष की भूमिका पर कड़वा सच