सामाजिक संदर्भ में अनुचित बयानबाजी से बचें नेता
देवानंद सिंह
कोविड प्रोटोकॉल के तहत मकर संक्रांति और टुसू पर्व पर लगाई गई पाबंदियों को लेकर राज्य के पूर्व मंत्री और झामुमो नेता दुलाल भुइयां काफी नाराज हैं। उन्होंने शुक्रवार को अपने आवास पर अपने परिजनों के साथ टुसू पर्व मनाया और पारंपरिक मांदर भी बजाएं, हालांकि वह उत्साह नजर नहीं आया, जिसके लिए टुसू पर्व जाना जाता है। इसी वजह से उन्होंने सरकार पर निशाना साधा कि लोक आस्था के पर्व छठ को धूमधाम से मनवाने के लिए पूरा प्रशासनिक अमले के साथ ही सरकार भी जुटी रहती है, नदियों को साफ कराया जाता है, लेकिन झारखंड के आदिवासियों-मूलवासियों के सबसे बड़े पर्व टुसू को लेकर सरकार की तरफ से कोई तैयारी नहीं की गई, ऊपर से कोविड प्रोटोकॉल ने पर्व की रौनक को खत्म कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार की इन पाबंदियों की वजह से आदिवासियों-मूलवासियों की भावनाएं आहत हुई हैं। पूर्व मंत्री के इस बयान पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रहीं हैं। भोजपूरी नव चेतना मंच के अध्यक्ष अप्पू तिवारी ने भी दुलाल भुइयां द्वारा लोकपर्व छठ पर उठाए गए सवालों पर कड़ा ऐतराज जताया है। अप्पू तिवारी ने दुलाल भुइयां को नसीहत देते हुए कहा कि उन्होंने अपनी दबंगई से आदिवासी, मूलवासी और दलित वंचित लोगों के भयादोहन कर सुर्खिया बटोरी हैं, उनके अधिकारों का हनन कर राजनीतिक प्रतिष्ठा पाई है और भोले-भाले, पिछड़े, दलितों का शोषण कर अकूत सम्पति अर्जित की है, ऐसे लोगों को न सिर्फ पिछड़े, दलितों के नाम पर राजनीति करने का अधिकार है, बल्कि छठ पर्व जैसे लोक आस्था के पर्व पर भी बयान देने की जरूरत नहीं है। इन्हें ऐसे बयानबाजी से बाज आना चाहिए अन्यथा इनका बचा हुआ राजनीतिक सम्राज्य भी नष्ट हो जाएगा। जिस तरह से दुलाल भुइयां के बयान को लेकर सवाल उठ रहे हैं, इस पर आने वाले दिनों में भी निश्चित ही और राजनीति होगी, ऐसा इसीलिए क्योंकि पूर्व मंत्री ने जिस तरह का बयान दिया है, वह सामाजिक संदर्भ में बेहद ही अनुचित है, क्योंकि कोरोना की वजह से केवल टुसू पर्व पर ही असर नहीं पड़ा है, बल्कि देश भर में मनाए जाने वाले पर्वों पर भी पड़ा है। इसीलिए पाबंदियों और किसी पर्व को लेकर सवाल उठाना ठीक नहीं है, अगर सरकार ने पाबंदियां लगाई भी हैं तो लोगों के जीवन को बचाने के लिए, उन्हें सुरक्षित रखने के लिए। अगर, जीवन बचा रहेगा तो कोरोना खत्म हो जाने के बाद पर्व धूमधाम ने मनाए जाते रहेंगे। दुलाल भुइयां ने जो बयान दिया है, वह उनका बड़बोलापन तो है ही बल्कि छोटी मानसिकता का भी परिचायक है। राजनीतिक तौर पर सियासी बयानबाजी ठीक है, लेकिन किसी पर्व को टारगेट करना सही नहीं है, क्योंकि यह जनभावनाओं से जुड़ा मामला होता है, इससे बड़े जनसमुदाय की आस्था जुड़ी होती हैं। वैसे देखें तो यह पहला मौका नहीं है, जब पूर्व मंत्री दुलाल भुईयां ने इस तरह का बयान दिया है। वह अपने बड़बोलेपन के कारण झामुमो को छोड़ सभी राजनीतिक दलों की परिक्रमा करते हुए काफी मशक्कत के बाद फिर एक बार झामुमो में आए, लेकिन अपनी ही सरकार के खिलाफ आग उगलने की हिमाकत कर रहे हैं। ऐसे में, लगता है कि दुलाल का एक बार फिर भविष्य अंधेरे में पड़ सकता है, क्योंकि जिस तरह दुलाल भुइयां ने सरकार पर कटाक्ष किया है, उस पर राजनीतिक बवाल न हो, इससे बिल्कुल भी इंकार नहीं किया जा सकता है। लिहाजा, अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राजनीतिक महकमे से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है और दुलाल भुइयां का राजनीतिक भविष्य क्या करवट लेता है।