बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य रिश्ते भारत के लिए चिंताजनक
देवानंद सिंह
बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच सैन्य रिश्तों में तेजी से वृद्धि हो रही है। इस बदलाव को दर्शाने वाला सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम बांग्लादेश के उच्च रैंकिंग सैन्य अधिकारियों का पाकिस्तान दौरा है। दरअसल, इसी माह बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल एसएम कमरुल हसन पाकिस्तान गए थे, जहां उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से मुलाकात की। यह बैठक इस संदर्भ में महत्वपूर्ण कही जा सकती है कि दोनों देशों के सैन्य संबंध गहरे हो रहे हैं। पाकिस्तान ने बांग्लादेश को सैन्य प्रशिक्षण और अन्य रक्षा सहयोग की पेशकश भी की है।
इस दृष्टिकोण से इन दोनों के बीच बढ़ती सैन्य साझेदारी भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय कहा जा सकता है। पाकिस्तान की ओर से बांग्लादेश को सैन्य उपकरणों की आपूर्ति पर भी विचार किया जा रहा है, जिसमें जेएफ-17 जैसे जेट विमान भी शामिल हैं। यह जेट पाकिस्तान और चीन की साझेदारी से विकसित हुआ है और इसे भारत के लिए एक नई तकनीकी चुनौती के रूप में देखा जा सकता है। बांग्लादेश को इन जेट विमानों की आपूर्ति, खासकर चीन के बजाय पाकिस्तान से किया जाना, निश्चित ही दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को नया आयाम देने की भरपूर कोशिश है। सैन्य प्रशिक्षण भी बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सहयोग का एक प्रमुख हिस्सा है। पाकिस्तान ने बांग्लादेश को अपनी सेना के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल करने की पेशकश की है। इस तरह के सैन्य अभ्यासों और प्रशिक्षणों से दोनों देशों के सैन्य बलों के बीच आपसी समझ और तालमेल बढ़ेगा, जो निश्चित रूप से लंबी अवधि में उनके सैन्य संबंधों को और मजबूत करेगा।
उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्र हुआ था, लंबे समय तक पाकिस्तान के साथ उसके राजनीतिक और सैन्य संबंधों में तनाव देखने को मिलता था, लेकिन बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद जिस तरह भारत के साथ रिश्तों में दूरी आई है और अब बांग्लादेश पाकिस्तान के करीब जा रहा है, उससे क्षेत्रीय परिदृश्य में नया बदलाव देखने को मिल रहा है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सैन्य सहयोग गहरा होने से निश्चित रूप से भारत की सुरक्षा नीति और रणनीति पर प्रभाव पड़ेगा, जो स्थिति भारत के लिए चुनौतीपूर्ण होगी, क्योंकि बांग्लादेश ने भारतीय सुरक्षा हितों को पहले प्राथमिकता दी थी। अब अगर बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ अपने सैन्य संबंधों को और गहरा करने की तरफ आगे बढ़ रहा है तो यह भारत की सुरक्षा रणनीतियों को जटिल बनाएगा।
बांग्लादेश की राजनीति हमेशा से ही पाकिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर विभाजित रहने से भारत निश्चित रूप से फायदे में थे और बांग्लादेश का झुकाव भारत की तरफ रहा। शेख़ हसीना की नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के दौरान बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्ते ज्यादा तनावपूर्ण रहे। हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश ने पाकिस्तान के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाया हुआ था, खासकर 1971 के युद्ध के बाद, लेकिन जब बांग्लादेश की नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) सत्ता में आई, जैसे ख़ालिदा ज़िया के समय तो उस समय रिश्ते कुछ जरूर सुधरे थे। शेख़ हसीना की सरकार के बाहर होने के बाद बांग्लादेश में अंतरिम सरकार ने पाकिस्तान के साथ रिश्ते मजबूत करने की दिशा में शुरू से कदम बढ़ाए हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ और बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस की मुलाकातें और पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों का बांग्लादेश दौरा इस बदलाव को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते व्यापारिक रिश्ते भी होंगे। बांग्लादेश ने पाकिस्तान से चावल, चीनी और अन्य खाद्य पदार्थों का आयात बढ़ाने की योजना बनाई है। इसके अलावा, पाकिस्तान से बांग्लादेश के लिए व्यापार प्रतिनिधिमंडल का दौरा और दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते की बात भी हो रही है। यह स्थिति भी भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक साझेदारी भारत को आर्थिक रूप से चुनौती देगी, खासकर यदि यह साझेदारी गहरे सैन्य रिश्तों में बदलती है।
इस बदलाव से भारत की विदेश नीति और सुरक्षा रणनीति को नया दृष्टिकोण अपनाना पड़ेगा। भारत ने बांग्लादेश में भारी निवेश किया है और उसे अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे रिश्ते रखने की जरूरत है, लेकिन यदि बांग्लादेश पाकिस्तान के साथ अपने सैन्य संबंधों को गहरा करता है, तो यह भारत के लिए एक बड़ा संकट बन जाएगा। भारत की सुरक्षा नीति में हमेशा बांग्लादेश को एक महत्वपूर्ण कड़ी माना गया है और किसी भी तरह के बदलाव से भारत को सुरक्षा और सामरिक दृष्टिकोण से चुनौती मिल सकती है। इसके अलावा, यदि पाकिस्तान और बांग्लादेश का सैन्य सहयोग बढ़ता है, तो यह भारत के पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर दबाव बना सकता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
ऐसे में, भारत को यह समझने की आवश्यकता है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के रिश्ते केवल द्विपक्षीय नहीं, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं। बांग्लादेश की नई विदेश नीति, पाकिस्तान के प्रति बढ़ती सहानुभूति और दोनों देशों के बीच बढ़ता सैन्य सहयोग भारत के लिए एक नई चुनौती है। भारत को अपने पारंपरिक और ऐतिहासिक रिश्तों को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की रणनीतिक चुनौती का सामना किया जा सके।
हालांकि, बांग्लादेश की प्राथमिकता पाकिस्तान के साथ साझेदारी के रूप में उभर रही है, यह स्थिति केवल समय के साथ विकसित होगी। बांग्लादेश को अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा नीति के तहत यह तय करना होगा कि वह किसके साथ गहरे रिश्ते बनाना चाहता है। अगर, बांग्लादेश पाकिस्तान को अपनी रणनीतिक साझेदारी का हिस्सा मानता है, तो यह निश्चित रूप से चिंताजनक होगा।
ऐसे स्थिति में यह देखना दिलचस्प होगा कि बांग्लादेश किसे प्राथमिकता देता है। अपनी स्वतंत्रता और पहचान को बनाए रखते हुए पाकिस्तान के साथ अपनी साझेदारी को या फिर अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के हिसाब से भारत के साथ अपने रिश्तों को। अगर, वह पाकिस्तान को चुनता है तो भारत को अपनी विदेश नीति और सुरक्षा रणनीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित कर सकता है।