यूसीआईएल के पूर्व कर्मचारी और विस्थापित मंगल सोरेन ने प्रबंधन पर लगाए गंभीर आरोप
राष्ट्र संवाद संवाददाता
यूसीआईएल के पूर्व कर्मचारी और विस्थापित मंगल सोरेन ने प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सोमवार को प्रेस वार्ता कर उन्होंने कहा कि वह आदिवासी और गरीब परिवार से हैं। ऊंची पकड़ नहीं होने के कारण उन्हें यूसीआईएल से निकाला गया। वर्ष 2018 में प्रबंधन ने उन पर मनगढ़ंत आरोप लगाकर नौकरी से हटा दिया। आरोप था कि उन्होंने किसी कर्मचारी से मारपीट की और प्रबंधन के खिलाफ काम किया। मंगल सोरेन ने सवाल उठाया कि अगर उन्होंने किसी को मारा था तो पुलिस में शिकायत क्यों नहीं की गई।
उन्होंने बताया कि कुछ अधिकारियों ने आपस में कमेटी बनाकर जांच की और रिपोर्ट के आधार पर उन्हें नौकरी से निकाल दिया। उस समय उनका कोई राजनीतिक या प्रशासनिक संपर्क नहीं था। इसलिए उन्हें आसानी से बाहर कर दिया गया। पिछले 5-6 साल से वह किसी तरह परिवार चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रबंधन ने उनके बच्चों को भी स्कूल से निकाल दिया। उनकी बेटी को पढ़ाई से वंचित कर दिया गया। स्कूल से ट्रांसफर सर्टिफिकेट भी नहीं दिया गया, जिससे वह किसी और स्कूल में दाखिला नहीं ले सकीं।
मंगल सोरेन ने कहा कि मामला न्यायालय में लंबित है। अभी तक उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है। उन्होंने सवाल किया कि जब तक फैसला नहीं आता, तब तक उनकी बेटी को शिक्षा से क्यों रोका जा रहा है। बेटी की उम्र बढ़ रही है, लेकिन वह घर में बैठी है। अगर वह केस जीतते हैं तो उन्हें मुआवजा मिलेगा, लेकिन शिक्षा का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कौन करेगा।
उन्होंने यूसीआईएल में ऊंची पैरवी रखने वाले गोपीनाथ दास का भी जिक्र किया। कहा कि गोपीनाथ दास पर ओवर टाइम ओर यात्रा 56 लाख के घोटाले का आरोप था। सीआईडी और सीबीआई ने जांच की। उन्हें जेल भी जाना पड़ा। फिर भी उन्हें दोबारा नौकरी पर रख लिया गया। क्योंकि उनके भाई ऊंचे पद पर हैं और बड़े अधिकारियों से संबंध हैं। मंगल सोरेन ने कहा कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है, न ही पुलिस में शिकायत हुई। फिर भी उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर हालात नहीं बदले तो वह परिवार सहित आत्मदाह कर सकते हैं। उन्होंने प्रबंधन से